बच्चा 10 kg का, बस्ता 5kg का...स्कूल बैग पॉलिसी कम करेगी बच्चों का ये 'बोझ'

अब न्यू एजुकेशन पॉलिसी का हिस्सा स्कूल बैग पॉलिसी 2020 धीरे धीरे जमीन पर उतर रही है. कर्नाटक राज्य ने इसकी पहल की है. सोचिए- जब इसे देश भर में अपनाया जाएगा तो आपके बच्चों को क्या फायदा मिलेगा. उनके कंधे का बोझ कैसे और क‍ितना तक कम हो जाएगा. सरकार ने इसे लेकर कैसे तैयारी की है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty) प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty)

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 22 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

कई सालों से ये मुद्दा उठ रहा है कि बच्चों के स्कूल बैग का वजन लगातार बढ़ रहा है. स्कूल के करिकुलम के अनुसार किताबों के अलावा बैग में पानी, खाना, स्पोर्ट्स किट जैसी चीजें भी होती हैं.बच्‍चों के स्‍कूल बैग के बढ़े हुए वजन को घटाने के लिए कर्नाटक सरकार ने नये दिशानिर्देश जारी किए हैं. इस गाइडलाइन के अनुसार बच्‍चों के स्‍कूल बैग का वजन बच्‍चे के खुद के वजन के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.

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राज्‍य सरकार के इस नियम से बच्‍चों के स्‍कूल बैग का वजन निर्धारित भार से अधिक नहीं हो सकेगा. यह एक अच्छी पहल है. सरकार ने स्कूल बैग के बढ़ते वजन को लेकर कई सर्वे और स्टडी का हवाला देते हुए स्कूल बैग पॉलिसी तैयार की है. अगर यह पॉलिसी देशभर में लागू होती है तो पूरे स्कूलिंग सिस्टम में रिफॉर्म आ सकता है. आइए आपको बताते हैं कि NEP 2020 के तहत विशेषज्ञों के जरिये इस पॉलिसी में क्या खास गाइडलाइन व नियम निर्धारित किए गए हैं. 

स्कूल बैग पॉलिसी में क्या है खास 
पॉलिसी में कहा गया है कि स्कूल बैग का वजन बच्चे के वजन का 10 फीसदी के आसपास होना चाहिए. इसके लिए स्कूल को वेइंग मशीन लगानी चाहिए और बच्चों के क्लास के हिसाब से स्कूल बैग की सामग्री निर्धारित करनी चाहिए. मसलन अगर आप बच्चे के स्‍कूल बैग में पानी की बोतल भेजते हैं तो उसके लिए स्कूलों को निर्देश है कि बच्चों को स्कूल कैंपस में पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी उपलब्ध कराएं. 

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कैसा हो स्कूल बैग 
नियम के मुताबिक स्कूल बैग में अलग अलग कम्पार्टमेंट होने चाहिए जिसमें सारी चीजें अलग अलग फिट हो सकें. स्‍कूलबैग में दो गद्देदार और एक बराबर पट्टियां हों जो दोनों कंधों पर चौकोर फिट हो सकें. स्कूल में पहिए वाले स्‍कूल बैग को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह सीढ़ियों पर चढ़ते समय बच्चों को चोट पहुंचा सकता है. 

क्लास के अनुसार कितना भारी हो स्कूल बैग 

ऐसे किया गया सर्वे 
स्कूल बैग पॉलिसी निर्धारित करने के लिए सरकार की ओर से विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया था, जिसने सर्वे करके कई तथ्य प्राप्त किए. इसके सैंपल में 352 स्कूलों, 2992 पैरेंट्स और 3624 छात्र-छात्राओं को शामलि किया गया. स्कूल हेड से न सिर्फ उनके स्टाफ बल्क‍ि पेरेंट्स और स्टूडेंट्स से डेटा कलेक्ट करने को कहा गया. इसमें छात्रों का वेट, उनके स्कूल बैग का वेट जैसे मापदंड शामिल किए गए थे. 

वेट में क्या क्या है शामिल 
यह जो शब्द लिया गया ‘weight’ यानी वजन, इससे मतलब न सिर्फ स्कूल बैग बल्कि इस बैग के साथ वजन बढ़ाने वाली अन्य चीजें भी शामिल थीं. इसमें बच्चों के बैग का बोझ और उनके बॉडी वेट का डेटा स्कूलों ने इकट्ठा किया. इसके सर्वे में पता लगाया गया कि क्या वाकई स्कूल बैग का बोझ बच्चों पर बहुत ही ज्यादा है.  

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कितना होना चाहिए किताबों का वजन 

क्या स्कूल बैग सचमुच भारी हैं?
इस सर्वे में 48.8 फीसदी स्कूल प्रमुखों ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों के स्कूल बैग का वजन किया. इसमें से 19 फीसदी स्कूल हेड ने माना कि प्राथमिक कक्षाओं यानी कक्षा एक से पांच के लिए स्कूल बैग का वजन आम तौर पर 2 से 3.5 किलोग्राम तक हैं. वहीं दो स्कूल हेड ने बताया कि यह 3 से 5 किलोग्राम तक है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों के अनुसार बैग का वजन सिर्फ शरीर के वजन का 10 प्रतिशत होना चाहिए. इसका मतलब है कि यह वजन मानक से एक डेढ़ किलो ज्यादा है. धीरे धीरे क्लास बढ़ने पर छठी कक्षा से वजन तीन से छह किलोग्राम बढ़ जाता है. अधिकतम स्कूल हेड (77.2%) का कहना है कि छात्र आमतौर पर किताबों के अलावा दोपहर का भोजन ले जाते हैं. स्कूल हेड ने कहा कि स्कूल परिसर में पेयजल के बावजूद ज्यादातर छात्र पानी की बोतलें जरूर लाते हैं. 

सर्वे में मिला किन चीजों का कितना वेट 
टेक्स्ट बुक- 500 ग्राम से 3.5 किलोग्राम
नोट बुक्स – 200 ग्राम से 2.5 किलोग्राम 
लंच बॉक्स- 200 ग्राम से एक किलोग्राम 
वॉटर बॉटल- 200 ग्राम से एक किलोग्राम
खाली बैगों का वजन भी 150 ग्राम से एक किलोग्राम त‍क पाया गया. 
क्लास 9 से बड़ी क्लासेज में रेफरेंस बुक्स भी वजन बढ़ा रही हैं. 

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यहां पढ़ें पूरी स्कूल बैग पॉलिसी 2020

पेरेंट्स का पक्ष: विदेशों में भी फॉलो होता है ये नियम 
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि पब्ल‍िक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के कंधे में बचपन से स्कूल बैग का वजन उनके वजन से आधा या उससे थोड़ा कम होता है. इस तरह की पॉलिसी बनाकर सरकार को स्कूलों के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए. स्कूल जिस तरह अपने प्रकाशकों से किताबें छपाते हैं, वो एनसीईआरटी की किताबों से भारी होती हैं. स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही चलनी चाहिए.

अपराजिता कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में ये नियम सख्ती से लागू है कि बच्चे अपने वजन का 10 प्रतिशत ही वजन स्कूल बैग के तौर पर ले जा सकते हैं. वहीं अमेरिका के द अमेरिकन ऑक्युपेशनल थेरेपी एसोसिएशन ने रिकमेंड किया है कि बॉडीवेट का दस प्रतिशत ही स्कूल बैग का वजन होना चाहिए. इसी तरह अमेरिकन एकेडमी ऑफ पिडियाट्र‍िक्स ने भी 10 से 20 प्रतिशत बॉडी वेट के अनुरूप स्कूल बैग का वजन रिकमेंड किया है. 

स्कूलों को लागू करनी चाह‍िए ये पॉलिसी  
सरकार की न्यू एजुकेशन पॉलिसी का हिस्सा स्कूल बैग पॉलिसी में जिस तरह की संस्तुत‍ियां की हैं, उसके अनुरूप एनसीईआरटी और एससीईआरटी को भी किताबें तैयार करने के निर्देश देने की बात कही गई है. अब इसमें सवाल यह उठता है कि क्या प्राइवेट स्कूल इस तरह के नियमों का सख्ती से पालन कर पाएंगे. अभ‍िभावक निशा श्रीवास्तव कहती हैं कि मेरा बेटा 10वीं क्लास के लिए जो बैग ले जाता है वो करीब 8 से 9 किलो है जोकि इस नियम के अनुसार बहुत ज्यादा है. स्कूलों को ऑर्गनाइजर, फाइल्स, दूसरी एसेसरीज और किताबों के वजन को लेकर सोचना चाहिए और इस तरह की पॉलिसी को लागू करना चाहिए. ऐसी उम्मीद है कि कर्नाटक की ही तर्ज पर दूसरे राज्य भी इस पर विचार करेंगे और इस पॉलिसी को पूरी तरह से लागू करेंगे. 

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