चिकोटी काटना, चांटा मारना, मुर्गा बनाना... यूपी के स्कूलों में छात्रों को डांटने-मारने पर होगी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक व मानसिक दंड नहीं दिया जाएगा. बच्चों को फटकारना, परिसर में दौड़ाना, चिकोटी काटना, चाटा मारना, घुटनों के बल बैठाना, क्लास रूम में अकेले बंद करना आदि प्रतिबंधित रहेगा.

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UP Education Departmet banned Punishment in Schools UP Education Departmet banned Punishment in Schools

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 13 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों के लिए शिक्षा विभाग ने अहम फैसला लिया गया है. इन स्कूलों में अब कोई भी शिक्षक किसी भी छात्र के साथ मारपीट नहीं कर सकता है और न ही किसी छात्र को मानसिक दंड दिया जाएगा. शिक्षा विभाग ने छात्रों की सजा को लेकर नए नियम जारी किए हैं. इन नियमों के अनुसार, शिक्षक बच्चों को फटकारना, परिसर में दौड़ाना, चिकोटी काटना, चांटा मारना या घुटनों पर बैठे रहने जैसी सजा नहीं दे सकते हैं.

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बच्चों को मानसिक दंड देने पर भी प्रतिबंध

अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को सजा के रूप में क्लासरूम में अकेले बंद कर देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग के ये नए नियम नए सत्र से लागू किए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक़, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी BSA को निर्देश दिया है कि नए सत्र से परिषदीय विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को  शारीरिक और मानसिक दंड न दिया जाए. बच्चों को अपनी बात कहने का अधिकार है. हर स्कूल में जहां पर छात्रावास हैं, वहां एक फ़ोरम बनाया जाए जहां बच्चे अपनी बात रख सकें. स्कूल में कंप्लेंट बॉक्स होना चाहिए ताकि बच्चे शिकायत कर सकें. बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ पेरेंट्स-टीचर मीटिंग जरूर होनी चाहिए.

शिकायत कर सकेंगे स्कूली छात्र

महानिदेशक ने यह भी बताया कि विद्यालय में शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री के द्वारा शुरू किए गए टोल फ़्री नंबर1800 893277 पर कंप्लेंट की जा सकती है. विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर इस नंबर को चस्पा किया गया है जिससे शिकायतों और सुझावों के नियमित मॉनिटरिंग की जा सके. महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि भोजन के दौरान, खेल के मैदान, पेयजल व प्रसाधन सुविधाओं में भी किसी के साथ कोई विभेद न किया जाए. बच्चों को उनके अधिकारों से परिचित कराते हुए उनके लिए तैयार मॉड्यूल का शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाए. सभी विद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि हर माह शिक्षक-अभिभावक समिति की बैठक में इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है.

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