टीचर्स के लिए TET अनिवार्य... जानिए किन शिक्षकों को मिलेगी राहत, किसे होगा नुकसान

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों की योग्यता को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से कम समय बचा है, वे बिना TET (Teacher Eligibility Test) क्वालिफिकेशन के रिटायरमेंट तक पढ़ा सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकारी और प्राइवेट (नॉन-माइनॉरिटी) दोनों स्कूलों पर लागू होगा. ( Photo: ITG) सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकारी और प्राइवेट (नॉन-माइनॉरिटी) दोनों स्कूलों पर लागू होगा. ( Photo: ITG)

राधा तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

सुप्रीम कोर्ट की बेंच (जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह) ने 1 सितंबर को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से ज़्यादा बाकी है, उन्हें अनिवार्य रूप से TET (Teacher Eligibility Test) पास करना होगा. जिनकी सेवा में 5 साल से कम बचे हैं, वे बिना TET पास किए भी पढ़ा सकते हैं, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा.

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अगर कोई शिक्षक TET पास नहीं करता और उसकी सेवा लंबी बाकी है, तो उसे या तो नौकरी छोड़नी होगी या फिर रिटायरमेंट लेकर सेवा लाभ (Terminal Benefits) लेना होगा. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह फैसला शिक्षा में गुणवत्ता और जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए ज़रूरी है. यह आदेश तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों से आई याचिकाओं पर दिया गया है.

क्यों जरूरी है TET?
साल 2010 में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने नियम बनाया था कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए शिक्षक को TET पास करना जरूरी होगा.  तभी से TET को एक ऐसी परीक्षा माना जाता है जो यह तय करती है कि शिक्षक पढ़ाने के लिए योग्य और सक्षम हैं या नहीं.

इसका मकसद कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की गुणवत्ता और क्षमता सुनिश्चित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “20 साल से बिना TET पढ़ा रहे शिक्षक भी शिकायतों के बिना पढ़ाते रहे हैं, लेकिन अब शिक्षा में समानता और गुणवत्ता के लिए एक मानक ज़रूरी है.”

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दो मुख्य मुद्दे उठाए गए हैं:

  • क्या लंबे समय से पढ़ा रहे शिक्षकों को भी अब TET क्वालीफाई करना जरूरी है?
  • क्या राज्य अल्पसंख्यक संस्थानों (Minority Institutions) में नौकरी करने वाले शिक्षकों से TET पास करने की शर्त रख सकता है? 

अल्पसंख्यक स्कूलों में भी TET अनिवार्य होगा या नहीं?
सवाल यह है कि क्या अल्पसंख्यक स्कूलों (जैसे मुस्लिम, ईसाई, सिख आदि संस्थान) में भी TET नियम लागू होगा या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तय करने का काम अब उसकी बड़ी बेंच करेगी. यानी, बड़ी बेंच यह देखेगी कि अगर अल्पसंख्यक संस्थानों में TET लागू किया गया तो क्या यह उनके संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित करेगा. 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
TET (Teacher Eligibility Test) को अनिवार्य (Mandatory) कर दिया गया है, ताकि स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति एक समान गुणवत्ता मानक पर हो. यह फैसला सरकारी और प्राइवेट स्कूलों दोनों पर असर डालेगा. लेकिन अल्पसंख्यक संस्थानों (Minority Institutions) से जुड़े अधिकार और RTE (Right to Education) के बीच टकराव की वजह से मामला बड़ी बेंच के पास भेजा गया है. 

इस फैसले का असर किस पर होगा?
1. सरकारी स्कूल- अब नई नियुक्ति सिर्फ उन्हीं की होगी जिन्होंने TET पास किया है. जो पुराने शिक्षक बिना TET पढ़ा रहे थे, उन्हें अब परीक्षा देनी होगी (अगर 5 साल से ज़्यादा सेवा बाकी है).

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2. प्राइवेट (नॉन-माइनॉरिटी) स्कूल
यहां भी अब TET पास करना जरूरी होगा. स्कूल प्रबंधन मनमाने तरीके से कम योग्यता वाले शिक्षक नहीं रख पाएंगे. 

3. अल्पसंख्यक (Minority) स्कूल
यही सबसे बड़ा विवाद है. संविधान का आर्टिकल 30 कहता है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को अपने हिसाब से शिक्षक रखने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल बड़ी बेंच को भेज दिया है कि क्या माइनॉरिटी स्कूलों में भी TET अनिवार्य होगा या नहीं.

किन्हें छूट मिल सकती है?
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान (जैसे मुस्लिम, ईसाई, सिख, आदि द्वारा संचालित स्कूल). कुछ विशेष श्रेणियों के शिक्षक, जिन्हें पहले से ही मान्यता मिली है (जैसे पुराने नियुक्त शिक्षक, या जिनके लिए सरकार ने पहले से राहत दी है).

किनकी मुसीबत बढ़ेगी?
वे उम्मीदवार जो TET पास नहीं कर पाए लेकिन नौकरी करना चाहते हैं. छोटे प्राइवेट स्कूल, जिन्हें कम पैसे में बिना TET वाले शिक्षक रखना आसान था. पहले से नौकरी कर रहे लेकिन TET न पास करने वाले शिक्षक (भविष्य असुरक्षित हो सकता है).  TET पास करना अब शिक्षकों के लिए पासपोर्ट जैसा है – इसके बिना नई नौकरी नहीं मिलेगी. जिनकी नौकरी बची है, उन्हें जल्दी तैयारी करनी होगी. अल्पसंख्यक स्कूलों का भविष्य फैसला अब बड़ी बेंच करेगी.

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