'इस पेशे में परिपक्व लोगों की जरूरत', LLB कोर्स को तीन साल करने की मांग पर बोला सुप्रीम कोर्ट

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि इस पेशे में परिपक्व लोगों की जरूरत है और मौजूदा पांच साल का पाठ्यक्रम बहुत फायदेमंद साबित हुआ है.

Advertisement
सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 8:55 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के बाद पांच साल के एलएलबी कोर्स की अवधि घटाकर तीन साल करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पेशे में परिपक्व लोगों की जरूरत है. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि एलएलबी के पाठ्यक्रम में छेड़छाड़ की जरूरत नहीं है.

बता दें कि याचिका में मांग रखी गई थी कि केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया, 12वीं कक्षा के बाद मौजूदा पांच साल के एलएलबी पाठ्यक्रम की जगह तीन साल के पाठ्यक्रम संचालन की व्यवहार्यता तलाशने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करें. इसको लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि उन्हें इस पेशे में परिपक्व लोगों की जरूरत है और मौजूदा पांच साल का पाठ्यक्रम बहुत फायदेमंद साबित हुआ है.

Advertisement

एलएलबी में दाखिला लेने वाली 50 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां

वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने इस बात को साबित करने की कोशिश की कि स्कूल के बाद पांच साल का कोर्स लड़कियों को बहुत प्रभावित करता है. वकील की इस दलील पर पीठ ने कहा कि पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लेने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियां हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने का सुझाव दिया.

'ये कोर्स अनुच्छेद 21 का उल्लंघन'

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एलएलबी के साथ किसी और कोर्स की पढ़ाई में समय काफी व्यर्थ होता है. एलएलबी, के साथ बीए, बीकॉम आदि करने में छात्र को पांच साल देने होते हैं. एक छात्र के करियर में दोनों को एकसाथ करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके साथ ही 5 साल की वार्षिक फीस में भी खर्चा होता है. उदाहरण देते हुए कहा गया कि एक छात्र साइंस से 12वीं करके आया है, लेकिन उसे 5 साल के इस कोर्स में में अनिवार्य रूप से कला या वाणिज्य का अध्ययन करना पड़ता है. यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो स्वतंत्र इच्छा का अधिकार है.

Advertisement

याचिकाकर्ता के अनुसार, आईआईटी के माध्यम से बी.टेक के लिए 4 साल की गैर-अतिरिक्त शिक्षा की आवश्यकता होती है और वह भी इंजीनियरिंग के एक निर्दिष्ट क्षेत्र में जबकि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के माध्यम से बीए-एलएलबी या बीबीए-एलएलबी करवाया जाता है. कला/वाणिज्य की पढ़ाई करने में विद्यार्थी के जीवन के 5 साल व्यतीत हो जाते हैं. इसलिए, 5 साल का कोर्स अतार्किक है.

क्या हैं एलएलबी करने के रूल?

बता दें कि अगर आप लॉयर बनना चाहते हैं 12वीं के बाद किसी भी फील्ड में ग्रेजुएशन कर सकते हैं, इसके बाद 3 साल का एलएलबी कोर्स करना होता है. इसके अलावा दूसरा विकल्प 5 साल को कोर्स है, जिसमें किसी भी फील्ड में ग्रेजुएशन के साथ LLB किया जाता है. इन कोर्स में एक साल का समय बचता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement