Success Story: मेहनत खामोशी से की जाए तो सफलता शोर मचा देती है. कुछ ऐसी ही खामोशी से पढ़ाई करते हुए अपने माता-पिता और परिवार का सपना सच किया है खातौली कोटा के तलाव पंचायत के फतेहपुर गांव के निवासी प्रिंस ने. करीब 150 घरों के इस गांव से प्रिंस पहला डॉक्टर बनेगा. प्रिंस के पिता खेतीहर मजदूर हैं तथा मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं.
प्रिंस के पिता लक्ष्मीचंद इससे पूर्व दवा की दुकान पर काम करते थे, तब सोचते थे कि बेटा डॉक्टर बने और उसकी पर्ची से लोग दवा खरीदें तो जीवन सफल हो जाए. इसके बाद परिवार का हाल बिगड़ा और दुकान का काम छूट गया. वर्तमान में वे खेतीहर मजदूर हैं.
प्रिंस ने नीट में 675 अंक प्राप्त किए हैं, कैटेगिरी रैंक 656 है तथा आल इंडिया रैंक 2263 है. प्रिंस को एलाइड एम्स मिलने की पूरी उम्मीद है. प्रिंस अपने परिवार ही नहीं बल्कि गांव का पहला बच्चा होगा जो AIIMS से एमबीबीएस करेगा. प्रिंस की इस सफलता से गांव में खुशी का माहौल है.
प्रिंस ने बताया, 'मेरी प्रारंभिक पढ़ाई खातौली में ही हुई. 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद 11वीं में मैंने इटावा स्कूल में एडमिशन लिया. ऐसे में करीब 25 किलोमीटर का सफर कर रोज पढ़ने जाना होता था. कई बार बसों के इंतजार में घंटों लग जाते थे. राजस्थान बोर्ड और हिन्दी मीडियम से पढ़ाई की. 10वीं में 93.17 तथा 12वीं में 96.20 नंबर प्राप्त किए.'
प्रिंस ने आगे कहा, 'इसके बाद नीट घर से तैयारी करके दी तो पहले ही प्रयास में 583 अंक प्राप्त किए. फिर लगा कि यदि तैयारी कोचिंग से की होती तो शायद बेहतर परिणाम होते. परिवार के पास पैसे नहीं थे और बाहर भेजने में सक्षम नहीं थे. ऐसे में बहुत से लोगों से बात की, किसी ने कहा कोटा में जाओ तो किसी ने कहा यहीं रहकर पढ़ लो. यहां मेरी 90 प्रतिशत शुल्क माफ हुआ तथा रहने का प्रबंध भी करवाया. इसके चलते मैंने मन से पढ़ाई की. यही कारण रहा कि इस वर्ष अच्छे अंक प्राप्त हुए और अब लग रहा है कि एलाइड एम्स में एडमिशन मिल जाएगा.'
पढ़ना है ताकि पैसे नहीं लगे
प्रिंस ने बताया कि जब शिक्षकों ने मुझे बताया कि डॉक्टर बनने के लिए नीट परीक्षा पास करनी होती है तो मैं पढ़ाई में जुट गया. मुझे पता था कि एक स्तर से कम नम्बर आएंगे तो फीस बहुत लगेगी. इतने पैसे परिवार के पास थे नहीं, इसलिए मैंने यही टारगेट लिया और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए जमकर पढ़ाई की.
बिजली भी गुल हो जाती थी
गांव में अभावों में जीवन जिया. हाल ये था कि कभी कम तो कभी ज्यादा वक्त के लिए बिजली भी गुल हो जाती थी. ऐसे में टॉर्च की रोशनी में भी पढ़ना पड़ता था. हालात विपरीत तो रहे लेकिन पिता जी ने कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. हमेशा कहते थे, तुम अपनी लगन से पढ़ाई जारी रखो, डॉक्टर बनना है. मैंने उनकी बातों से प्रेरणा लेते हुए बस पढ़ाई में मन लगाया.
हमारा सपना पूरा हुआ
पिता लक्ष्मीचंद धाकड़ ने बताया कि प्रिंस का डॉक्टर बनना हमारे लिए सपने पूरे होना जैसा है. मैं 12वीं पास हूं, कुछ दिन मेडिकल स्टोर पर काम किया था, तब लगता था कि मेरा बेटा डॉक्टर बने तो कितना अच्छा हो. इसके बाद दुकान का काम छूट गया और अब तो दूसरों के खेतों में काम कर परिवार पाल रहे हैं. लोग कहते थे कि पढ़ाई में बहुत पैसे लगते हैं, मैं प्रिंस से कहता था कि तुम पढ़ते रहो और चिंता मत करो. इसने 10वीं में सभी विषयों में विशेष योग्यता हासिल की. इसके बाद 12वीं में भी अच्छा रिजल्ट रहा तो मेरा हौसला बढ़ा. मैं मजदूरी के साथ दूसरों के खेतों में काम करके जैसे तैसे प्रिंस का सपना पूरा करने में जुट गया. इसकी मां भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करती है. फिर एलन कोचिंग में एडमिशन थोड़ा देर से हुआ तो सिलेबस कवर करने में प्रिंस ने दिन-रात एक कर दिए.
यू-ट्यूब पर देखकर पढ़ाई की
प्रिंस ने बताया कि 12वीं के साथ ही मुझे समझ नहीं आ रहा था कि नीट की तैयारी कैसे करूं. ऐसे में मैंने पापा से स्मार्ट फोन दिलवाने की जिद की. उन्होंने जैसे-तैसे पैसे जोड़कर मुझे स्मार्ट फोन दिलवाया. मैंने इससे यू-ट्यूब पर वीडियो देखे और सारे टॉपिक्स समझने की कोशिश की. इसी कारण अच्छे नंबर आ सके. अब आगे MBBS करने के बाद सर्जरी में जाने की इच्छा रखता हूं. कार्डियो और न्यूरो ब्रांच अच्छी लगती है.
चेतन गुर्जर