गुजरात सरकार ने स्कूली छात्रों की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. अब से स्कूलों की ओर से आयोजित टूर, पिकनिक या शैक्षणिक यात्राओं में दो वर्दीधारी पुलिसकर्मियों की मौजूदगी अनिवार्य होगी. अगर इनमें छात्राएं शामिल होंगी, तो उनके साथ एक महिला पुलिसकर्मी भी जाएगी. यह नियम 2024 में डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के सुझावों के बाद लागू किया गया है. इस कदम का मकसद बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पुलिस व छात्रों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाना है.
क्या है नया नियम?
गुजरात के डीजीपी विकास सहाय ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि सभी स्कूलों (सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी) को टूर, पिकनिक या शैक्षणिक यात्रा आयोजित करने से पहले स्थानीय पुलिस थाने से संपर्क करना होगा. इन यात्राओं में दो वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को साथ रखना अनिवार्य होगा. अगर यात्रा में छात्राएं शामिल हैं, तो उनके साथ एक महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी भी जरूरी होगी. यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के साथ-साथ पुलिस और छात्रों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए लिया गया है.
क्यों लिया गया यह फैसला?
यह नियम खास तौर पर पिछले कुछ सालों में स्कूल यात्राओं के दौरान हुए हादसों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. उदाहरण के लिए, जनवरी 2024 में वडोदरा के हरनी झील में नाव पलटने की घटना में 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई थी. ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकार ने सुरक्षा नियमों को और सख्त किया है. पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई भी हो सकेगी. इसके अलावा, यह कदम पुलिस और युवाओं के बीच दोस्ताना रिश्ते बनाने में भी मदद करेगा.
स्कूलों की जिम्मेदारी क्या होगी?
छात्रों और अभिभावकों के लिए फायदा
यह नया नियम अभिभावकों के लिए राहत की बात है, जो अक्सर स्कूल टूर के दौरान बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि अभिभावकों का भरोसा भी स्कूलों पर बढ़ेगा. साथ ही, यह नियम छात्रों को पुलिस के साथ सकारात्मक बातचीत का मौका देगा, जिससे पुलिस को लेकर उनकी धारणा बेहतर होगी.
पहले से लागू सुरक्षा नियम
हरनी झील हादसे के बाद गुजरात सरकार ने पहले ही स्कूल पिकनिक के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे. इनमें स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) से लिखित अनुमति लेना,
यात्रा के लिए जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम वाले वाहनों का इस्तेमाल करना, पानी से जुड़ी गतिविधियों से बचना और अगर नाव की सवारी जरूरी हो, तो सभी के लिए लाइफ जैकेट अनिवार्य करना शामिल हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
शिक्षा विशेषज्ञों और अभिभावकों ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका मानना है कि पुलिस की मौजूदगी से स्कूलों पर सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी बढ़ेगी. साथ ही, यह कदम बच्चों को अनुशासित और सुरक्षित माहौल में यात्रा का आनंद लेने का मौका देगा. हालांकि, कुछ स्कूल प्रबंधनों का कहना है कि पुलिसकर्मियों की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त समन्वय की जरूरत होगी, जिसके लिए सरकार को और स्पष्ट दिशा-निर्देश देने चाहिए.
आगे क्या?
गुजरात के शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रिंसिपलों को इस नियम का तुरंत पालन करने के निर्देश दिए हैं. स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा योजनाओं को पुलिस और शिक्षा विभाग के साथ पहले से साझा करें. यह कदम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि पुलिस और समाज के बीच बेहतर तालमेल को भी बढ़ावा देगा. अगर आपका बच्चा स्कूल टूर पर जा रहा है, तो स्कूल से इस नियम के पालन की जानकारी जरूर लें.
अतुल तिवारी