जानिए कैसे झुग्गी-झोपड़ी से IIT तक पहुंचा ये युवा, पड़ोसी के Wi-fi से की पढ़ाई, घर में शौचालय तक नहीं!

द‍िल में कुछ करने का जज्बा हो तो हर मंजिल आसान हो जाती है. अक्सर तमाम उदाहरणों से ये बात हमारे सामने आती है, लेकिन हर बार हम अपने को दूसरों से अलग मानकर उन हालातों का सामना नहीं कर पाते. आइए ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी जानते हैं जिसमें एक युवा ने स्लम में रहते हुए न के बराबर संसाधनों में सफलता पाई.

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अभिषेक सुजीत शर्मा मुंबई की अपनी झुग्गी से पहले आईआईटीयन बन गए हैं और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से अनगिनत लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। (बाएं से दाएं: अभिषेक, उनके पिता, उनकी मां, उनकी बहन; (ऊपर) अलख पांडे) अभिषेक सुजीत शर्मा मुंबई की अपनी झुग्गी से पहले आईआईटीयन बन गए हैं और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से अनगिनत लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। (बाएं से दाएं: अभिषेक, उनके पिता, उनकी मां, उनकी बहन; (ऊपर) अलख पांडे)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 02 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

मुंबई के लोकमान्य तिलक नगर स्लम से अभिषेक सुजीत शर्मा ने जेईई पास कर आईआईटी दिल्ली में प्रवेश प्राप्त किया और अपने दृढ़ संकल्प और दृढ़ता से अनगिनत अन्य लोगों को प्रेरित किया।

मुंबई के लोकमान्य तिलक नगर स्लम में रहने वाले अभिषेक सुजीत शर्मा की किस्मत ने उसी दिन मानो करवट ले ली जब उनका जेईई एडवांस रिजल्ट आया. उनकी रैंक इतनी अच्छी थी कि आईआईटी दिल्ली की सीट मिल गई.आज वो झुग्गी के लड़के से आईआईटीयन बन गए हैं, जो असल में उनकी कम्युनिटी में रहने वाले लड़कों के लिए भी बड़ी जीत है. 

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अपने पड़ोसी के वाईफाई कनेक्शन का उपयोग करके छत पर पढ़ाई करना हो या अपने आस-पास के अंतहीन शोर और तमाम परेशान‍ियों को नजरअंदाज करना हो, अभ‍िषेक ने एक ही झटके में हर बाधा पार कर ली है. अब वह अपने परिवार को गरीबी से उबारने और उन्हें बेहतर जीवन स्तर देने में सक्षम होंगे. बता दें कि फिजिक्स वाला के संस्थापक अलख पांडे हाल ही में अभिषेक को व्यक्तिगत रूप से बधाई देने और उनके परिवार के साथ दोपहर का भोजन करने के लिए मुंबई की झुग्गी का दौरा करने गए तो वहां एक वीड‍ियो भी बनाई जो कि सोशल मीड‍िया में काफी पसंद की गई.  

पिता की 3000 कमाई में चला पर‍िवार

बता दें कि अभिषेक के पिता एक स्टील फैब्रिकेशन कंपनी में मजदूर के रूप में काम करते हैं, और उनका चार सदस्यीय परिवार हरद चॉल में एक छोटे से किराए के कमरे में रहता है, जहां उन्हें 3,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं. यह इलाका डकैती, मादक द्रव्यों के सेवन और छ‍िटपुट झगड़ों जैसी समस्याओं से ग्रस्त है, जिससे यह शिक्षा के लिए अनुकूल नहीं है. इसके अलावा, यहां बुनियादी सुविधाओं का भी गंभीर अभाव है. वहां कोई निजी शौचालय नहीं है और सभी परिवार सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. 

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अभिषेक कहते हैं कि हमारी आर्थिक तंगी के साथ-साथ सीमित इंटरनेट सुविधा के कारण, जब मेरा मोबाइल डेटा खत्म हो जाता था, तो मुझे पड़ोसी के वाई-फाई कनेक्शन का इस्तेमाल करके छत पर पढ़ाई करनी पड़ती थी. लेकिन इस बात से प्रेरित होकर कि उसका परिवार उसकी शिक्षा का समर्थन करने के लिए कितनी दूर तक जाने को तैयार था, आईआईटी के इच्छुक इस छात्र ने अपनी पढ़ाई पर फोकस रखा और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल अपने साथियों से दूर रहा. अभ‍िषेक कहते हैं कि मेरी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरा परिवार मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम रहा. 

देखा था वैज्ञानिक बनने का सपना 

हरद चॉल में एक छोटे से कमरे के घर में रहते हुए उन्होंने मेरा साथ देने के लिए अनगिनत त्याग किए. अभिषेक आगे कहते हैं कि मेरे माता-पिता जमीन पर सोते थे ताकि मैं बिस्तर पा सकूं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मेरे पास पढ़ाई करने के लिए एक आरामदायक जगह हो. अलग पांडे के वीडियो में दर्शाई गई अभिषेक की प्रेरणादायक स्टोरी को लाखों लोगों से सराहना मिली और इंस्टाग्राम पर 8.1 मिलियन व्यूज और 693K लाइक्स मिले. अलख पांडे से मुलाकात और छात्रवृत्ति पाकर छोटी उम्र से ही अभिषेक ने वैज्ञानिक बनने और भौतिकी में पहचान बनाने का सपना देखा था. उनके सफर ने तब मोड़ लिया जब उन्होंने फिजिक्स वाला के बजट-अनुकूल ऑनलाइन तैयारी पाठ्यक्रमों की खोज की. 

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मंजिल पानी है तो खुद पर विश्वास रखें

वो कहते हैं कि जब पैसे की समस्या हो तो किफायती लेकिन विश्वसनीय शिक्षा स्रोत खोजना मुश्किल हो सकता है. मैंने पीडब्ल्यू के अर्जुन और लक्ष्य बैचों की ऑनलाइन कक्षाओं से अध्ययन किया, जिसने न केवल जेईई पाठ्यक्रम की व्यापक कवरेज प्रदान की, बल्कि रेगुलर टेस्ट और डाउट क्ल‍ियरिंग सेशन भी किए. अभिषेक अपनी सफलता का श्रेय फिजिक्स वाला के मार्गदर्शन को देते हैं‌. वो कहते हैं कि अलख पांडे से व्यक्तिगत रूप से मिलने से उनका जीवन बदल गया. मेरे घर पर अलख सर से व्यक्तिगत रूप से मिलना एक जीवन बदल देने वाला अनुभव था उनकी छात्रवृत्ति पैसे की कीमत से परे है. इसने मुझे उम्मीद और मोटिवेशन दिया. अभिषेक कहते हैं कि जो भी छात्र JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने की आकांक्षा रखते हैं, मेरे पास केवल एक ही संदेश है कि खुद पर विश्वास रखें और चुनौतियों के बावजूद अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहें. हमारी परिस्थितियां हमारी क्षमता को परिभाषित नहीं करती हैं. 

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Report: Roshni Chakrabarty

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