MP: 27% OBC आरक्षण पर फैसला साफ, फिर भी 13% युवा अब तक नौकरी के इंतजार में क्यों?

सरकार ने भी इस पर अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि वह 27% आरक्षण देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. वर्तमान हालात में ओबीसी वर्ग के युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं रह गई है, बल्कि परीक्षा के बाद 'रिजल्ट' का इंतज़ार करना ही सबसे कठिन परीक्षा बन चुका है.

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OBC Reservation In MP Exams 2025 OBC Reservation In MP Exams 2025

अमृतांशी जोशी

  • भोपाल,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

मध्य प्रदेश में लंबे समय से चल रही ओबीसी आरक्षण की लड़ाई आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. जनवरी 2025 में 87:13 फॉर्मूले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं, जिससे ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने ही स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अब इस मामले में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. फैसला पूरी तरह से सरकार के हाथ में है.

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देश का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्यप्रदेश की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 50% से भी ज्यादा है , राज्य को अब तक चार मुख्यमंत्री इसी वर्ग से मिले हैं,उमा भारती,बाबूलाल गौर,शिवराज सिंह चौहान, जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव का भी नाम शामिल हैं.  50% से ज्यादा आबादी होने के कारण सत्ता की चाबी भी ओबीसी वर्ग का वोट बैंक माना जाता है इसलिए चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस चुनावी साल के अलावा भी ओबीसी वर्ग को लुभाने में जुटे रहते हैं,लेकिन विडंबना यह है कि इसी वर्ग के युवा आज खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं.

कई युवाओं का होल्ड पर है रिजल्ट
भर्ती परीक्षाओं में लागू 87:13 फॉर्मूला उनके सपनों के रास्ते में दीवार बन गई है. इस नीति के तहत परीक्षाओं के 13% परिणाम होल्ड पर रखे जाते हैं — यानी घोषित ही नहीं किए जाते।इस वजह से हजारों ओबीसी छात्र वर्षों से मेहनत करने के बावजूद केवल रिजल्ट के इंतज़ार में बैठे हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने बेरोजगार युवाओं को नया नाम आकांक्षा युवा तो दे दिया लेकिन ओबीसी वर्ग के कई ऐसे आकांक्षी युवा हैं, जिन्होंने सालों तक जी-जान लगाकर तैयारी की, एग्ज़ाम पास किया, रिज़ल्ट आया भी, लेकिन नौकरी नहीं मिली. क्योंकि रिज़ल्ट को होल्ड पर डाल दिया गया.

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27% आरक्षण देने का मामला था कोर्ट में
मध्य प्रदेश की सरकार की भर्ती परीक्षाओं में रिजल्ट जारी करने के लिए 87:13 फार्मूला लागू है, यानी की 87% रिजल्ट तो जारी कर दिया जाएगा, लेकिन ओबीसी वर्ग का 13% रिजल्ट होल्ड पर रखा जाएगा. दरअसल तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने OBC को 27% आरक्षण देने की घोषणा की थी. फिर ये पूरा मामला कोर्ट में पहुंच गया. इस दौरान राज्य में सरकार बदल गई. इस बीच कई भर्ती परीक्षाएं हुई जिनमें रिजल्ट मामला कोर्ट में होने के कारण जारी नहीं हो पा रहे थे. अटके हुए रिजल्ट्स के लिए 87:13 फॉर्मूला समाधान निकला. 87% वालों को रिज़ल्ट, 13% वालों को आश्वासन. अब मौजूदा सरकार भी चाहती है कि 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी वर्ग को मिले इसलिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.

इन दो कहानियों से समझिए ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की परेशानी
रायसेन के बाड़ी बरेली के एक छोटे से गांव से निकले राकेश कुशवाहा, आंखों में बड़े-बड़े सपने और जेब में सरकारी नौकरी की उम्मीद लेकर भोपाल पहुंचे थे, माता-पिता किसान हैं और बूढ़े हो चुके हैं ,घर में आमदनी बेहद ही कम हैं, लेकिन उम्मीदें भर-भर के रखी गई थीं, क्योंकि पांच भाइयों में राकेश सबसे बड़े हैं, राकेश ने भी ठान लिया—पुलिस में भर्ती होनी है. पढ़ाई की, पसीना बहाया, फिजिकल टेस्ट भी पास कर लिया, यानि मंज़िल बस एक कदम दूर थी. राकेश ने 2023 में पुलिस भर्ती परीक्षा का एग्जाम दिया, जब रिजल्ट आए तो राकेश एग्जाम और फिजिकल टेस्ट दोनों क्वालीफाई कर चुके थे लेकिन उनका रिजल्ट होल्ड पर डाल दिया गया था, लिखा था 'यह परिणाम उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका के अधीन है', परिणाम देखकर राकेश की उम्मीद टूट गई. रिजल्ट के इंतजार में अब राकेश ने पार्ट टाइम कर ड्राइवर का काम शुरू कर दिया है, जिससे जैसे तैसे घर का खर्च चल रहा है.  राकेश को अभी भी उम्मीद है कि परिणाम जारी होंगे इसी उम्मीद में वह दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए हैं.

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होल्ड पर रख दिया गया रिजल्ट
वहीं भोपाल के ही रहने वाले सुनीत यादव का इंतज़ार तो जैसे कोई रिकॉर्ड बन गया हो. 2019 से परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, दो एग्जाम निकाल लिए, इंटरव्यू भी पास कर लिया, लेकिन रिजल्ट आया तो लिखा था कि उनका परिणाम वेटिंग लिस्ट में है, क्योंकि रिजल्ट होल्ड पर है, चार-पांच साल हो गए, लेकिन रिजल्ट का इंतज़ार जारी है. इतने साल इंतज़ार में सुनीत रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने लगे, 22 साल की उम्र से एग्जाम देना शुरू किया था, अब 28 साल हो गए, लेकिन न रिजल्ट आया, न कोई ढंग की नौकरी मिली. ये तो जैसे सुनीत के सपनों को चुपके से होल्ड पर डाल दिया हो. सुनीत के माता पिता भी ये सोचते रहते हैं कि कब ये रिजल्ट आए, और कब सुनीत को सरकारी नौकरी मिले, ताकि ये  इंतज़ार की दास्तां खत्म हो जाए.

सुनीत और राकेश के साथ कई और भी अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी, भले ही उनके मार्क्स कम रहे हो लेकिन कम से कम उनकी रिजल्ट जारी हो गए और अब वह कहीं नौकरी कर रहे हैं लेकिन जिनका रिजल्ट 13% की पेज में उलझ गया, वह आज भी आस में हैं कि कम से कम रिजल्ट तो जारी हो. होल्ड रिजल्ट वाले अभ्यर्थी कई बार अपनी मांगों को लेकर भोपाल से लेकर कई जिलों तक में पुरजोर प्रदर्शन कर चुके हैं. होल्ड रिजल्ट वाले अभ्यर्थियों ने सोच लिया कि घर बैठकर तो कोई काम नहीं होगा, सोचा सड़कों पर आना ही पड़ेगा.

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27% आरक्षण देने का रास्ता हो चुका है साफ
बड़े जतन से, धूप हो या बारिश, गर्मी हो या सर्दी, इन युवाओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किए—कभी धूप में झुलसते, कभी बारिश में भीगते, लेकिन हर प्रदर्शन नाकाम रहा. नेता मंत्री और सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी लगाए कभी आश्वासन मिला, तो कभी कुछ और लेकिन 6 साल हो गए अब तक रिजल्ट नहीं आया. हाल ही में भोपाल में ओबीसी महासभा के बैनर के तले कई अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया, ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य कमलेंद्र सिंह ने बताया कि 27% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों में निरस्त हो चुकी हैं, ऐसे में 27% आरक्षण के साथ 13% होल्ड पद को अनहोल्ड करने का भी रास्ता साफ हो चुका है, अब पूरा फैसला सरकार के हाथ में है हालांकि मुख्यमंत्री मोहन यादव यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार 27% आरक्षण देने को तैयार हैं.

क्या है 87:13 का फार्मूला
अब जो 87:13 का वो फार्मूला सरकारी भर्ती परीक्षाओं के गले की फांस बना हुआ है, वो आपको समझा देते हैं. दरअसल मार्च 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने की घोषणा की. इसके बाद मार्च 2019 में ही हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई और कहा कि कुल आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता. इस अंतरिम आदेश के बाद ही सभी नियुक्तियों को होल्ड कर दिया गया. इसके बाद सितंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग ने आरक्षण संबंधी सर्कुलर जारी किया. इस फैसले के खिलाफ यूथ इक्वालिटी संगठन हाईकोर्ट पहुंच गया. अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर पर रोक लगा दी. क्योंकि भर्तियों पर रोक लग गई थी जिसके कारण परेशानियां बढ़ रही थी. इसलिए 2022 में सामान्य प्रशासन विभाग ने 87:13 फॉर्मूला MPPSC के नतीजे के लिए बनाया. कोर्ट ने भी इस फार्मूला को स्वीकारा और अगस्त में ही हाईकोर्ट ने 87:13 फॉर्मूला लागू किया. इसके बाद 87% पदों पर भर्ती के साथ 13% पदों को होल्ड पर रखा गया.

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चुनौती देने वाली याचिकाएं हुई खारिज
सितंबर 2024 में यह याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गई. जनवरी 2025 में 87:13 फॉर्मूले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज हुई, ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हुआ. फरवरी 2025 में MP सरकार ने 27% OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया था. मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के 27% आरक्षण को लेकर लगाई गई एसएलपी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है.

ओबीसी को 27℅ आरक्षण देने की सीएम ने कही बात
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट कहा है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर हमारी सरकार का रुख स्पष्ट है. ओबीसी को 27℅ देने के स्टैंड पर हम कायम हैं. सीएम ने कहा कि हमने सॉलिसिटर जनरल से भी इस मुद्दे पर बात की है. पूर्ववर्ती सरकार में ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के परीक्षण के साथ-साथ इस विषय से जुड़ी सभी याचिकाओं को लेकर संवाद जारी है. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सर्वहारा वर्ग के विकास का है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम सबका साथ, सबका विकास की भावना से आगे बढ़ रहे हैं. इन सभी पर हम काम कर रहे हैं हमें उम्मीद है कि जल्द ही अच्छे परिणाम आएंगे.

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वहीं विपक्ष इस पूरे मुद्दे को लेकर सत्ताधारी दल पर हमलावर है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि सरकार ओबीसी आरक्षण पर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. सिंघार ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी वर्ग का कल्याण हो ,खासतौर से ओबीसी वर्ग के युवाओं की नौकरी को लेकर भी सरकार चिंतित नहीं है.

छात्रों को MPSC परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार
वर्तमान हालात में ओबीसी वर्ग के युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं रह गई है, बल्कि परीक्षा के बाद 'रिजल्ट' का इंतज़ार करना ही सबसे कठिन परीक्षा बन चुका है. विपक्ष ने इस पूरे मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. उनका कहना है कि यदि सरकार का रुख साफ है, तो नियुक्तियों में अब तक देरी क्यों?

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