जामिया के पूर्व छात्र ने लिखी अनोखी इनक्र‍िप्टेड बुक, दुनिया ने माना लोहा, तीन करोड़ के निवेश के ऑफर

यह कहानी पढ़ाई में औसत रहे एक ऐसे छात्र की है जिसने सिर्फ दसवीं तक पढ़ाई की है, लेकिन आज उनकी ख्याति दूर-दूर तक है. यह हुआ उनके द्वारा एक किताब लिखने पर. उनकी किताब इतनी खास है कि मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय, जेएमआई और आईआईटी दिल्ली जैसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में जगह मिली है.

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Yaseen Ammar with his book (Photo: aajtak.in/Special Permission) Yaseen Ammar with his book (Photo: aajtak.in/Special Permission)

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

अक्सर जब कोई किताब लिखता है, तो उसे लेकर पब्ल‍िशर के पास जाता है. कंटेंट स्कैनिंग और एड‍िट‍िंग के बाद वो छपकर आती है. फिर प्रचार-प्रसार के जरिये पाठकों तक पहुंचती है. अगर नामी लेखक हैं तो किताब को बेचना आसान होता है, लेकिन अगर नये लेखक हैं तो इसमें और भी मुश्क‍िलें आती हैं. लेकिन प्रयागराज के इस 22 साल के युवा की पूरी कहानी ही अलग है. एकेडमिक क्वालीफ‍िकेशन में सिर्फ दसवीं पास यासीन अम्मार, जिसने भाषाओं की परिध‍ि से बाहर जाकर किताब लिखी जो रातोंरात इतनी हिट हो गई कि वो दुनिया की टॉप लाइब्रेरी में जगह पा चुकी है. यही नहीं किताब में निवेश के लिए अभी तक तीन करोड़ रुपये के ऑफर भी अम्मार को मिल चुके हैं. 

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aajtak.in से बातचीत में अम्मार ने बताया कि उन्होंने एन्क्र‍िप्टेड कोड में ये किताब लिखी है. मैंने लॉकडाउन के दौर में खेल-खेल में ये किताब लिखी थी. साल 2020 के अंत में इसकी सिर्फ 200 प्रतियां छपवाई थीं, ये बिना प्रकाशक की कैटेगरी में छपी थी. लेकिन इसे दुनिया के तमाम कोनों में रहने वाले लोग पसंद कर रहे हैं. अम्मार बताते हैं कि वो इलाहाबाद (प्रयागराज)के  सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता मो यासीन businessman हैं. वहीं, मां परवीन गवर्नमेंट टीचर हैं. उन्होंने दसवीं की पढ़ाई एअरफोर्स स्कूल प्रयागराज से की और दिल्ली आ गए. 

पढ़ाई में थे एवरेज छात्र पर... 

अम्मार कहते हैं कि मैं पढ़ाई में एवरेज छात्र था लेकिन टेक्नोलॉजी से बहुत लगाव था. उन्होंने दिल्ली आकर पता किया कि जामिया से दसवीं पास के लिए डिप्लोमा इंजीनियरिंग के लिए क्राइटेरिया होता है. यहां जामिया से मैंने डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया था. फिर कोविड के टाइम में अपने हिसाब से सब कुछ न कुछ कर रहे थे. मैंने भी मार्स कोड लैंग्वेज सीखी. मेरा अपना इंट्रेस्ट हैकिंग पर था. हैकिंग का ही एक कॉन्सेप्ट था जिसे मैंने स्टोरी के फॉर्म में द साल्टेड टाइटल से लिखा. लेकिन ये किताब मार्स कोड में लिखी जो कि बहुत खास था

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Book- Page of The Salted (Image: Instagram)

क्यों इतना पॉपुलर हुई किताब 

वो बताते हैं कि मार्स कोड बहुत पुराना है लगभग 1800 ई में इसकी व्युत्पत्त‍ि हुई थी. मैंने ऑनलाइन इसे सीखकर 100 से ज्यादा पन्नों की बुक लिखी थी. इसका कॉपीराइट खरीदने का पहला ऑफर तीन लाख रुपये का आया जिसके बाद मैंने सोचा कि किसी और को देने से अच्छा है, कि खुद ही पब्ल‍िश कराऊं. इसलिए इसमें कोई दूसरा नाम ही नहीं. आपको बता दें कि पुस्तक प्रकाश‍ित कराने की एक कैटेगरी होती है जिसमें आप पब्ल‍िशर्स के बिना पब्ल‍िश कराते हैं, मैंने उसी कैटेगरी में इसे पब्ल‍िश कराया.

Post by Egypt Student (Linkedin)

फिर दोस्तों के साथ कर दी लांच 

अम्मार कहते हैं कि फिर क्या किताब छपकर आई तो मैंने दोस्तों के साथ मिलकर 200 कॉपी लांच कर दी. मेरे लिए ये किताब से ज्यादा एक आर्ट थी जिसे मैंने सीखकर अपनी तरह से प्रस्तुत किया था. कुछ लोगों ने शुरुआती दौर मे इसे खरीदा. इस बुक की कीमत छपकर 1080 रुपये थी, लेकिन मैंने 500 रुपये में बेचना शुरू किया था. कई लोगों ने इसे खरीदा. और शुरुआती दिनों में करीब 80 कॉपी बिकी. फिर मैंने सोचा कि ये अपने आप में अलग तरह की किताब है तो मैंने दुनिया के टॉप कॉलेजों को ईमेल करके इसे लाइब्रेरी में रखने की पेशकश की. 'द साल्टेड' को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय, जेएमआई और आईआईटी दिल्ली जैसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में जगह मिली.

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Yaseen Ammar with Friends (Photo: Instagram)

अब तीन करोड़ का ऑफर 

किताब वहां से दुनिया के तमाम देशों में मार्स कोड लवर रीडर्स के हाथों में लगने लगी. अब तक इसमें निवेश के लिए तीन करोड़ रुपये (~360k USD) के ऑफर मिल चुके हैं. अम्मार ने बताया कि उन्होंने  फिनटेक स्टार्टअप सोपे की स्थापना की थी. अब अम्मार पाठकों और लेखकों के समुदाय में ब्लॉकचेन का लाभ उठाना चाहते हैं. वह एक ऐसी मेटावर्स लाइब्रेरी, एक पब्लिशिंग हाउस और एक डिजिटल आर्काइव को मिलाकर एक प्लेटफॉर्म विकसित कर रहे हैं. अम्मार कहते हैं कि इससे लेखकों और पाठकों को अपने काम को पहले से कहीं ज्यादा आसान बनाने में मदद मिलेगी. लोगों को फिर कभी चोरी और प्लेगिअरिज़्म के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं रहेगी. कुछ भी नष्ट या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकेगा.

 

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