NEET स्टूडेंट को ₹1 लाख मुआवजा और MBBS में एडमिशन देगा ये कॉलेज, जानें कोर्ट ने क्यों दिया ऐसा आदेश

असम मेडिकल कॉलेज, डिब्रूगढ़ ने पिछली साल नीट के एक छात्र का एडमिशन लिस्ट से नाम काट दिया है. छात्र ने हार्ईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि छात्र को एक लाख का मुआवजा और एकेडमिक सेशन 2024-25 में एमबीबीएम में एडमिशन दिया जाए.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

गुवाहटी के डिब्रूगढ़ में स्थित असम मेडिकल कॉलेज को हाईकोर्ट ने नीट एस्पिरेंट को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. पिछले साल असम मेडिकल कॉलेज ने छात्र का नाम एमबीबीएस एडमिशन की लिस्ट से यह कहकर का दिया था कि उसका दाखिला अवैध रूप से हुआ है. अब कोर्ट ने छात्र को दोषी ना मानते हुए उसे 1 लाख रुपये मुआवजा देने और छात्र के दाखिले का आदेश दिया है.

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छात्र के नीट में आए थे इतने मार्क्स

मुआवजा पाने वाले ओबीसी टी-ट्राइब कम्यूनिटी के छात्र ने 2023 नीट यूजी के पेपर में 417 मार्क्स हासिल किये थे. इसके बाद असम मेडिकल कॉलेज में 3 सितंबर 2023 को एमबीबीएम कोर्स के लिए उसका सिलेक्शन भी हो गया था, लेकिन  29 सितंबर 2023 को जब फाइनल एडमिशन लिस्ट आई तो उसमें छात्र का नाम नहीं था. कॉलेज का कहना था कि छात्र ओबीसी टी-ट्राइब कम्यूनिटी का नहीं है. इसके बाद छात्र ने इंसाफ के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट के आदेश पर 16 अक्टूबर, 2023 को छात्र ने राज्य स्तरीय जाति जांच समिति के साथ सारे सबूत पेश किए और इंसाफ की मांग की.

कमेटी समय पर जांच करती तो छात्र का एक साल ना होता बार्बाद

लाइवलॉ.इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य स्तरीय जाति जांच समिति के सामने सारे सबूत पेश करने के बाद भी कमेटी ने समय से कोई फैसला नहीं लिया. समय निकलता गया और छात्र 2023-2024 के एकेडमिक सेशन में एडमिशन नहीं ले पाया. इसके बाद छात्र ने हाईकोर्ट में आज्ञापत्र (Writ Petition) फाइल की. तब राज्य स्तरीय जाति जांच समिति ने 29 और 30 दिसंबर 2023 को अपनी बैठक की और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि याचिकाकर्ता का दावा सही है कि वह ओबीसी पूर्व-टीजीएल समुदाय से है. ऐसे में उसका एडमिशन कैंसिल किया जाना गलत है.

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वकील ने जज के सामने कही ये बात

कमेटी की जांच के बाद याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व-टीजीएल श्रेणी का उम्मीदवार है, जिसकी अधिकारियों ने पुष्टि कर दी है. वह असम मेडिकल कॉलेज, डिब्रूगढ़ में  एमबीबीएस में एडमिशन लेने का हकदार है. वकील ने बताया कि उसकी कोई गलती नहीं थी फिर भी छात्र का एक साल बर्बाद हो गया. याचिकाकर्ता को इसके लिए मुआवजा देना चाहिए. 

कोर्ट के फैसले में छात्र की हई जीत

वकील की दलील सुनने और सारे सबूतों की जांच करने के बाद जज ने फैसला सुनाया कि कॉलेज द्वारा छात्र को छह हफ्ते के अंदर 1 लाख का मुआवजा दिया जाए और अगले एकेडमिक सेशन में उसकी सीट पक्की की जाए.
 

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