पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने राज्य के विश्वविद्यालयों में जल्दी फैसले लेने के लिए SPEED प्रोग्राम का आगाज किया है. इस प्रोग्राम के जरिये यूनिवर्सिटी से जुड़े फैसले लेने की प्रक्रिया को जल्दी पूरी करने का लक्ष्य रख रखा गया है. इसमें कहा गया है कि प्रशासनिक निर्णयों और कार्यों की गति में तेजी लाने के लिए सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए एक नई समिति बनाई जाएगी.
क्या है SPEED प्रोग्राम?
SPEED का मतलब सिम्पलिफाइड प्रोसीजर फॉर ईजी एंड इफेक्टिव डिसीजन मेकिंग है. चांसलर ने 25 शिक्षक चयन समीतियों का गठन भी किया है. साथ ही, राजभवन ने लंबित प्रशासनिक कार्यों को शीघ्र पूरा करने के लिए एक सलाहकार समिति बनाने के राज्यपाल के फैसले की भी घोषणा की. यूनिवर्सिटी में बैकलॉग की पहचान करने और यूनिवर्सिटी की प्रणाली को बेहतर करने के लिए एक वाइस चांसलर कमिटी का भी गठन किया गया. मूल्यांकन के लिए कोलकाता के राजभवन में एक रियलटाइम मॉनिटरिंग सेल भी स्थापित किया गया. इस प्रोग्राम के जरिये वीसी, चांसलर मॉनिटरिंग सेल से 24x7 किसी भी समय टेलीफोन नंबर 03322001642 पर संपर्क कर सकते हैं और शिकायतें aamnesaamne.rajbhavankolkata@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं.
सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल सी वी आनंद बोस द्वारा गठित "स्पीड प्रोग्राम" नामक समिति को राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच एक और झगड़े के रूप में देखा जा रहा है. यह घोषणा राज्य शिक्षा विभाग को अंधेरे में रखते हुए की गई है.
विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण पाने पर विवाद
राज्य के विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण पाने के लिए फिलहाल तृणमूल कांग्रेस और गवर्नर आनंदा बॉस के बीच विवाद चल रहा है. ये झगड़ा तब और गहरा गया जब राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बासु ने राज्यपाल को 'शहर में नया पिशाच'कह दिया. इसी पर एक्शन लेते हुए राज्यपाल ने दो पत्र भेजे एक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को और दूसरा अपनी 'आधी रात की कार्रवाई' में दिल्ली को. मंगलवार शाम को, कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश इंद्र प्रसन्न मुखर्जी और हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) पर सहमति नहीं देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर राजभवन से जवाब मांगा.
इस मामले पर गर्वनर और राज्यपाल दोनों ने चुप्पी साधी हुई है और पत्रों में क्या लिखा है उसपर कोई बात नहीं की. कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए चयन समितियां गठित करने के राज्यपाल के हालिया फैसले की भी सरकार ने कड़ी निंदा की है.
बता दें कि राजभवन परिसर के भीतर "रियल-टाइम मॉनिटरिंग सेल (NS:SAIL)" बनाने का निर्णय, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अंतरिम कुलपतियों को राज्यपाल के साथ संचार की लाइन बनाए रखने में सक्षम बनाएगा. इस मॉनिटरिंग सेल में राज्य विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली से संबंधित शिकायतें भी दर्ज कराई जा सकेंगी.
अनुपम मिश्रा