'भारत को तोड़ने वाले सिलेबस में न हों...' मोहम्मद अल्लामा इकबाल पर बोले DU वीसी

Poet Muhammad Iqbal: पाकिस्तान के प्रस्तावक मोहम्मद इकबाल को राजनीति विज्ञान में छोड़ दिया गया, जबकि बीआर आंबेकर बने रहे और सावित्रीबाई फुले को दिल्ली विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र यूजी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा और कई दूसरे बदलाव होंगे.

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डीयू के सिलेसब से बाहर हुआ कवि मोहम्मद इकबाल का चैप्टर डीयू के सिलेसब से बाहर हुआ कवि मोहम्मद इकबाल का चैप्टर

मिलन शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2023,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने अंडरग्रेजुएट कोर्स के सिलेबस में कई बड़े बदलाव करने का फैसला किया है. इनमें सबसे बड़ा बदलाव फैसला भारत से अलग पाकिस्तान का प्रस्ताव रखने वाले मोहम्मद इकबाल पर लिखे एक चैप्टर को खत्म करने का है. अगर आप डीयू में पढ़ने वाले सामाजिक विज्ञान (Political Science) के छात्र हैं, तो ग्रेजुएशन कोर्स में बदलाव के लिए तैयार रहें. अब, कवि और दार्शनिक मोहम्मद इकबाल, "पाकिस्तान" के एक प्रस्तावक और दार्शनिक को डीयू के बैचलर ऑफ आर्ट्स के पॉलिटिकल साइंस सिलेबस से हटा दिया गया है.

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इकबाल को नहीं, राष्ट्रीय नायकों के बारे में पढ़ना चाहिए: डीयू वीसी
दिल्ली विश्वविद्यालय की 1014वीं एकेडमिक काउंसिल की बैठक में ग्रेजुएशन कोर्स पर चर्चा के दौरान ये आखिरी फैसला लिया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा, "इकबाल ने 'मुस्लिम लीग' और "पाकिस्तान आंदोलन" का समर्थन करने वाले गीत लिखे. भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने उठाया था. ऐसे व्यक्तियों को पढ़ाने के बजाय हमें अपने राष्ट्रीय नायकों के बारे में पढ़ना चाहिए."

मोहम्मद इकबाल कौन थे?
अविभाजित भारत के सियालकोट में 1877 में जन्मे मोहम्मद अल्लामा इकबाल ने प्रसिद्ध गीत 'सारे जहां से अच्छा' लिखा था. उन्हें 'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' को जन्म देने के लिए भी जाना जाता है.

सावित्रीबाई फुले को करिकुल में शामिल करने की बात
दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा पेश किए जाने वाले बीए पाठ्यक्रमों में "डॉ अंबेडकर का दर्शन", "महात्मा गांधी का दर्शन" और "स्वामी विवेकानंद का दर्शन" भी शामिल है. कुलपति ने दर्शनशास्त्र विभाग के प्रमुख से सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावना तलाशने का अनुरोध किया. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख को बीआर अंबेडकर के आर्थिक विचारों पर एक पेपर तैयार करने और भारतीय आर्थिक मॉडल, यूएस (अमेरिकी) आर्थिक मॉडल और यूरोपीय आर्थिक मॉडल आदि को भी अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम में पढ़ाने की सलाह दी. कुलपति के प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया. बैठक में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) 2022 के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों के चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को पारित किया गया.

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स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी
डीयू एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान सेंटर फॉर इंडिपेंडेंस एंड पार्टीशन स्टडीज स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. यह केंद्र शोध के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे अज्ञात नायकों और घटनाओं पर भी काम करेगा, जिन्हें अभी तक इतिहास में जगह नहीं मिली है. साथ ही भारत विभाजन की त्रासदी के समय की घटनाओं का भी गहन अध्ययन एवं शोध किया जाएगा. इसके लिए उस दौर के उन लोगों की आवाज में "मौखिक इतिहास" भी दर्ज किया जाएगा जिन्होंने इस त्रासदी को झेला है. इस केंद्र में विदेशी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों और देश के भौगोलिक विभाजन के कारण लोगों पर पड़ने वाले शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक और सांस्कृतिक नुकसान के प्रभाव को पूरी तरह से समझने के लिए अध्ययन भी किया जाएगा. केंद्र स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं और विभाजन के कारणों और प्रभावों के अध्ययन पर काम करेगा.

जनजातीय अध्ययन केंद्र जल्द ही शुरू किया जाएगा
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक में जनजातीय अध्ययन केंद्र की स्थापना को भी मंजूरी मिल गई है. यह भारत की विभिन्न जनजातियों पर अध्ययन के साथ एक बहु-अनुशासनात्मक केंद्र होगा. केंद्र का मुख्य उद्देश्य "जनजाति" शब्द को भारत-केंद्रित दृष्टिकोण से समझना, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई, धार्मिक, आर्थिक, पर्यावरणीय पहलुओं का अध्ययन करना और विभिन्न युगों में आदिवासी नेताओं की भूमिका और योगदान का अध्ययन करना है. इनके साथ-साथ केंद्र का उद्देश्य भारत के संघर्ष में आदिवासी नेताओं की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डालना, उनमें से गुमनाम नायकों को सामने लाना, भारत की जनजातियों के बीच प्रचलित विभिन्न लोक परंपराओं का अध्ययन और दस्तावेजीकरण करना है.

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ITEP प्रोग्राम को भी मिली मंजूरी
अकादमिक परिषद ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 से दिल्ली विश्वविद्यालय में एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) कोर्स चलाने को भी मंजूरी दी. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह 4 साल का कोर्स होगा. कुलपति ने कहा कि वर्तमान में चल रहे शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. कोई कोर्स बंद नहीं होगा. उन्होंने बताया कि यह कोर्स सीनियर सेकेंडरी या इसके समकक्ष परीक्षा के बाद या स्कूली शिक्षा की एनईपी 2020 संरचना (5+3+3+4) के अनुसार आयोजित किया जाएगा.

एक दिन पहले, यूनेस्को चेयर ऑन एजुकेशन फॉर पीस, सोशल जस्टिस एंड ग्लोबल सिटिजनशिप, क्यूशू यूनिवर्सिटी, जापान के प्रतिनिधियों ने एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) के साथ B.El.Ed को बदलने के लिए अपनी "alarm at plans" के बारे में बताया. पिछले हफ्ते, स्थायी समिति द्वारा गठित एक उप-समिति पाठ्यक्रम संशोधन पर दिए गए सुझावों पर विचार कर रही थी, उनमें से कुछ को अंबेडकर के दर्शन पर वैकल्पिक सहित बनाए रखा जा सकता है, साथ ही समिति ने सुझाव दिया है कि अन्य विचारकों पर कुछ अन्य वैकल्पिक विकल्प भी रखे जा सकते हैं. छात्रों को अधिक विकल्प देने के लिए जोड़ा जाएगा.

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के काउंसिल हॉल में शुक्रवार सुबह 10.30 बजे शुरू हुई बैठक शनिवार की सुबह 1.20 बजे समाप्त हुई. करीब 15 घंटे तक चली इस बैठक में जहां कई यूजी कोर्स पास किए गए, वहीं उदय फाउंडेशन की "दिल्ली विश्वविद्यालय इनोवेशन एंड स्टार्टअप पॉलिसी" को भी मंजूरी दी गई. साथ ही फैक्लटी ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा बी.टेक के तीन नए प्रोग्राम को भी मंजूरी दी गई जो शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से शुरू होने हैं. इसके तहत बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे. इसके अलावा बैठक में एलएलबी के दो नए पांच वर्षीय कोर्स शुरू करने को भी मंजूरी दी गई.

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