दिल्ली की नई 3 लेयर फीस कंट्रोल पॉलिसी क्या है? प्राइवेट स्कूल नहीं ले पाएंगे मनमानी फीस

Delhi Private School Fee: दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को लेकर जो बिल पेश किया है, उसमें 3 लेयर फीस कंट्रोल की प्रणाली तय की गई है.

Advertisement
दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर रोक के लिए बिल पेश किया है. (Photo: ITG) दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर रोक के लिए बिल पेश किया है. (Photo: ITG)

अनमोल नाथ

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही फीस को कंट्रोल करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. दरअसल, सरकार की ओर से विधानसभा में ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश किया गया है. इसका उद्देश्य राजधानी के निजी स्कूलों में फीस निर्धारण को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है. इस विधेयक को सरकार ने “ऐतिहासिक” करार दिया है.

Advertisement

यह बिल दिल्ली के 1,677 निजी अनएडेड स्कूलों पर लागू होगा, जिनमें वे स्कूल भी शामिल हैं, जो निजी भूमि पर बने हैं या अल्पसंख्यक संस्थाओं द्वारा संचालित हैं. अभी तक इन स्कूलों को फीस निर्धारण में ज्यादा निगरानी का सामना नहीं करना पड़ता था. इस कानून का प्रमुख पहलू है तीन-स्तरीय विनियमन प्रणाली जो स्कूल शुल्क में वृद्धि को नियंत्रित करेगी.

तीन-स्तरीय प्रणाली है क्या?

स्कूल-स्तरीय शुल्क विनियमन समिति: हर स्कूल में यह समिति बनाई जाएगी, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक शामिल होंगे. यह समिति सैलरी, आधारभूत ढांचे और स्थानीय जनसांख्यिकी जैसे मानदंडों के आधार पर सालाना अधिकतम 15% तक शुल्क वृद्धि को मंजूरी दे सकेगी.

जिला शुल्क अपीलीय समिति: अगर किसी बढ़ोतरी पर विवाद होता है तो पैरेंट्स स्थानीय शिक्षा उपनिदेशक की अध्यक्षता वाली इस समिति में अपील कर सकते हैं. यह समिति पैरेंट्स की ओर से लाए गए मामलों की समीक्षा करेगी.

Advertisement

राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति: इस समिति की अध्यक्षता एक स्वतंत्र शिक्षाविद् करेंगे और इसके फैसले तीन साल तक बाध्यकारी होंगे. बता दें कि स्कूलों को हर साल 31 जुलाई तक प्रस्तावित शुल्क बढ़ोतरी की जानकारी देनी होगी और सितंबर के मध्य तक अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई

इस बिल में उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. अगर स्कूल अधिक शुल्क लौटाने में विफल रहते हैं तो यह जुर्माना दोगुना हो जाएगा. बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है या सरकार स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में ले सकती है.

आलोचनाएं भी कम नहीं

हालांकि, बिल को लेकर सरकार काफी सकारात्मक है, मगर कई आलोचनाएं भी सामने आई हैं. दरअसल, शिकायत दर्ज कराने के लिए कम से कम 15% अभिभावकों की सहमति की आवश्यकता को कई लोग एक बाधा मान रहे हैं, जिससे व्यक्तिगत शिकायतें दर्ज कराना कठिन होगा. 15 फीसदी तक फीस बढ़ोतरी को “कानूनी मान्यता” देने की बात को लेकर भी चिंता जताई गई है.

बिल में स्वतंत्र वित्तीय ऑडिट को अनिवार्य नहीं किया गया है, जिससे निगरानी की प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं. इसके अलावा, इस विधेयक को 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी रूप से लागू करने का प्रस्ताव स्कूलों को पहले की गई विवादास्पद शुल्क वृद्धि को वैध बनाने का रास्ता दे सकता है.

Advertisement

सरकार का बचाव

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस विधेयक को “अब तक का सबसे लोकतांत्रिक शुल्क विनियमन कानून” बताया है. उन्होंने कहा कि यह कानून अभिभावकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में सीधी भागीदारी देता है और मनमाने शुल्क वृद्धि को रोकने के लिए एक स्पष्ट और संरचित व्यवस्था प्रदान करता है.

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement