New Sainik Schools Controversy: देश के 62 प्रतिशत सैनिक स्कूलों की कमान संघ से जुड़े लोगों के हाथों में सौंपे जाने वाली रिपोर्ट को सरकार ने गलत बताया है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार ने 62 प्रतिशत नए सैनिक स्कूलों को RSS और बीजेपी से जुड़े लोगों चलाने के लिए सौंप दिए हैं. खबर सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने इसे बेबुनियाद आरोप बताया है साथ ही उन खबरों को गलत बताया है जो ये कह रहीं थीं कि नए सैनिक स्कूलों को राजनीतिक या विचारधारा के आधार पर संस्थाओं को दिए जा रहे हैं.
सैनिक स्कूलों को लेकर क्या है विवाद?
दरअसल, एक ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट 'The Reporters' Collective' ने दावा किया था कि सरकार ने 62 प्रतिशत नए सैनिक स्कूल संघ परिवार से जुड़े लोगों, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को चलाने के लिए दे दिए हैं. इस पर रक्षा मंत्रालय ने न्यूज एजेंसी को दिए एक बयान में कहा,'कुछ अखबारों में ये लिखा जा रहा है कि नए सैनिक स्कूल राजनीतिक या विचारधारा के हिसाब से संस्थाओं को दिए जा रहे हैं. ये आरोप बेबुनियाद हैं.' उन्होंने कहा कि नए सैनिक स्कूल चलाने के लिए संस्थाओं को चुनने का प्रक्रिया बहुत सख्त है.
रक्षा मंत्रालय ने क्या कुछ कहा?
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 'नए सैनिक स्कूलों की प्लानिंग अच्छे से की गई है. संस्थाओं को चुनने का तरीका बहुत सख्त है, ये सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं कि चुनी हुई संस्थाएं लक्ष्य को पूरा करें और गरीब लेकिन होनहार छात्रों की मदद के लिए मजबूत योजना बनाई गई है. चुनी जाने वाली संस्था का राजनीतिक या विचारधारा से कोई लेनादेना नहीं है.' रक्षा मंत्रालय ने ये भी कहा कि "इस योजना को राजनीतिक बनाने या गलत जानकारी फैलाने की कोशिश निंदनीय और गुमराह करने वाली है."
कैसे चुनी जाती है सैनिक स्कूल चलाने वाली संस्थान? रक्षा मंत्रालय ने बताया
मंत्रालय ने बताया कि अब तक 500 से ज्यादा आवेदन आए हैं और उनकी जांच की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि अभी तक 45 स्कूलों को मंजूरी दी गई है. इनमें पहले से चल रहे स्कूल और नए बनने वाले स्कूल दोनों शामिल हैं. इन स्कूलों को दी गई मंजूरी अस्थायी है. हर साल स्कूल निरीक्षण समिति निरीक्षण करेगी और उसी के आधार पर मंजूरी जारी रखी जाएगी. इस तरह से ये योजना ये सुनिश्चित करती है कि चुने गए स्कूल अच्छे स्तर को बनाए रखें.
मंत्रालय का कहना है कि आवेदन करने वालों की जांच करने के लिए एक सख्त मूल्यांकन प्रक्रिया का पालन किया गया था. प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक स्कूल मूल्यांकन समिति बनाई गई थी. इस समिति में आसपास के मौजूदा सैनिक स्कूलों / नवोदय विद्यालयों के प्रधानाचार्य भी शामिल थे. आवेदन करने वाले स्कूल का दौरा किया जाता है और निर्धारित मापदंड के अनुसार उनकी योग्यता की जांच की जाती है. अंतिम फैसला मंजूरी समिति करती है. इस समिति में संयुक्त सचिव (सैनिक स्कूल सोसाइटी) अध्यक्ष के रूप में, सीबीएसई के सचिव और एक जानेमाने शिक्षाविद सदस्य के रूप में होते हैं.
बता दें कि सरकार ने देशभर में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की योजना बनाई है. ये स्कूल गैर-सरकारी संस्थाओं, राज्य सरकारों और शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले निजी संस्थाओं के साथ मिलकर खोले जाएंगे. अक्टूबर 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सैनिक स्कूल सोसाइटी के साथ सरकारी और निजी क्षेत्र के 100 स्कूलों को जोड़ने की मंजूरी दी थी.
aajtak.in