'ऑपरेशन सिंदूर' के हीरो बने 10 साल के श्रवण सिंह, शिक्षा-इलाज का खर्च उठाएगी आर्मी

10 साल के श्रवण सिंह देश के सबसे यंगेस्ट सिविल वॉरियर बन गए हैं. गांव तरावाली निवासी श्रवण ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी जमीन पर ठहरे आर्मी जवानों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी.  वह रोजाना अपने घर से ठंडा पानी, दूध, चाय, लस्सी और बर्फ लेकर जवानों के पास पहुंचाते थे.

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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान श्रवण सिंह रोजाना अपने घर से ठंडा पानी, दूध, चाय, लस्सी और बर्फ जवानों के पास पहुंचाते थे. ( Photo: ITG) ऑपरेशन सिंदूर के दौरान श्रवण सिंह रोजाना अपने घर से ठंडा पानी, दूध, चाय, लस्सी और बर्फ जवानों के पास पहुंचाते थे. ( Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 3:58 PM IST

10 साल के श्रवण सिंह देश का सबसे यंगेस्ट सिविल वॉरियर बन गए हैं. गांव तरावाली निवासी श्रवण ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी जमीन पर ठहरे आर्मी जवानों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी. वह रोजाना अपने घर से ठंडा पानी, दूध, चाय, लस्सी और बर्फ लेकर जवानों के पास पहुंचाते थे. जवानों के साथ रहना, उनकी सेवा करना और उनकी हिफाज़त के लिए सजग रहना श्रवण का रोज़ का काम बन गया था.

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देशभक्ति और समर्पण के लिए मिला सम्मान
सेना ने श्रवण की इस देशभक्ति और समर्पण को सलाम करते हुए उसे सम्मानित भी किया और अब उसकी पढ़ाई का सारा खर्च उठाने का फैसला लिया है. श्रवण को एक निजी स्कूल में एडमिशन दिलवाया गया है और स्कूल का पूरा सामान- बैग, किताबें, ड्रेस, लंच बॉक्स, कलर बॉक्स, और पानी की बोतल- सब आर्मी की ओर से उपलब्ध कराया गया है.

नया बैग, ड्रेस पाकर खुश हुए श्रवण 
श्रवण सिंह ने बताया कि आज स्कूल का पहला दिन था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. नया बैग, ड्रेस, सब कुछ नया मिला है. मैं बड़ा होकर फौजी बनना चाहता हूं. पहले में सरकारी स्कूल में पढ़ता था अब नए स्कूल में पढ़ने जाता हूं.

इलाज सारा खर्च उठाएगी सरकार
श्रवण के पिता सोना सिंह बताते हैं कि जब आर्मी अफसरों ने उन्हें बुलाया और बताया कि उनके बेटे की पढ़ाई का सारा जिम्मा अब आर्मी उठाएगी, तो यह उनके लिए बहुत ही गर्व का पल था. उन्होंने बताया कि श्रवण को डायबिटीज की समस्या है, जिसका इलाज भी अब सेना की ओर से ही कराया जा रहा है और बड़े होकर आर्मी में भर्ती होने में भी मदद करेंगे.

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12वीं तक पढ़ाई का खर्चा उठाएगी आर्मी
पिता सोना सिंह ने बताया कि "हमें बहुत खुशी हुई कि सेना ने हमारे बेटे की पढ़ाई और इलाज का पूरा जिम्मा लिया है. आज वो पहले दिन स्कूल गया, उसके चेहरे की खुशी देख के हमें भी गर्व हुआ." उन्होंने बताया कि श्रवण पहले भी पढ़ाई में अच्छा था, अब और बेहतर करेगा. अब हमारा बेटा एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ेगा। 12वीं तक उसकी पूरी पढ़ाई का खर्चा आर्मी उठाएगी. हम बहुत खुश हैं."

'देश की सेवा करना चाहता है बेटा'
श्रवण सिंह की मां संतोष रानी ने बताया कि देशभक्ति उम्र नहीं देखती. 10 साल का श्रवण इस बात की जीती-जागती मिसाल है. जिसने न सिर्फ जवानों की सेवा कर एक मिसाल पेश की, बल्कि अब खुद भी एक दिन वर्दी पहन देश की सेवा करना चाहता है.

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