World Soil Day 2022: हर साल 5 दिसंबर को 'विश्व मृदा दिवस' (World Soil Day) मनाया जाता है. इस दिन का मकसद तेजी से बढ़ती जनसंख्या के चलते समस्याओं को भी उजागर करना है. इसलिए, मिट्टी के कटाव को कम करने, उर्वरता बनाए रखने के लिए कदम उठाना जरूरी है, ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. करीब 45 साल पहले भारत में 'मिट्टी बचाओ आंदोलन' की शुरुआत हुई थी. पीएम मोदी भी मिट्टी बचाने के उपायों पर 5 प्वॉइंट्स पर फोकस करने की बात कह चुके हैं.
मिट्टी का महत्व
मिट्टी जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भोजन, कपड़े, आश्रय और दवा समेत जीवन के चार प्रमुख साधनों का स्रोत है. इसलिए मिट्टी का संरक्षण जरूरी है. इसके अलावा मिट्टी विभिन्न अनुपातों में खनिजों, कार्बनिक पदार्थों और वायु से बनी होती है. यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक पौधे के विकास के लिए माध्यम, कई कीड़ों और अन्य जीवों का घर है. यह सतह के पानी के लिए और वायुमंडलीय गैसों के रखरखाव में एक निस्पंदन प्रणाली के रूप में भी काम करती है. इसलिए, मिट्टी के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है.
05 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता विश्व मृदा दिवस?
साल 2002 में, अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी. 05 दिसंबर को थाईलैंड के राजा एच. एम. भूमिबोल अदुल्यादेज का जन्म हुआ था, वह इस पहल के मुख्य समर्थकों में से एक थे. एफएओ ने थाईलैंड साम्राज्य के नेतृत्व में और वैश्विक मृदा भागीदारी के ढांचे के भीतर वैश्विक जागरूकता बढ़ाने वाले मंच के रूप में विश्व मृदा दिवस की औपचारिक स्थापना का समर्थन किया था. एफएओ के सम्मेलन को जून 2013 में सभी की सहमति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया गया था और 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे आधिकारिक रूप से अपनाने का अनुरोध किया गया था. दिसंबर 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वें सत्र में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में घोषित किया. पहला विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर, 2014 को मनाया गया था.
मिट्टी बचाने के उपाय
'मिट्टी बचाओ अभियान'
मिट्टी बचाओ आंदोलन की शुरुआत साल 1977 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से हुई थी. यहां तवा बांध की वजह से कृषि योग्य मिट्टी दलदल होती जा रही थी. खेती के जरिए अपना जीवन चलाने वाले किसानों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा था. तब होशंगाबाद के किसानों ने मिट्टी बचाओं आंदोलन की शुरू किया था. लेकिन इसी साल फिर से इस आंदोलन पर चर्चा तेज हुई है.
इसी साल 05 जून 2022 को पर्यावरण दिवस के मौके पर दिल्ली में 'मिट्टी बचाओ आंदोलन' नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिट्टी के बचाव पर कई अहम बातें कही थीं. अपनी बातों में उन्होंने उन पांच बातों के बारे में बताया जिनपर भारत सरकार फोकस कर रही है, जो इस प्रकार हैं-
अमन कुमार