मोबाइल को चार्ज करने के लिए आप चार्जर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आपने कभी इनके रंगों पर गौर किया है. ये हमेशा काले या सफेद रंग के ही नजर आते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनके रंग सिर्फ सफेद या काले रंग के ही क्यों होता है. इन सामान्य रंगों के पीछे कुछ खास कारण होते हैं जो तकनीकी, डिजाइन और उपयोगिता से जुड़े होते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है.
काले क्यों बनते हैं चार्जर?
पहला कारण है कि काला रंग ऊष्मा को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करता है. काला रंग को एक "इमिटर" माना जाता है, और इसका इमिशन वैल्यू 1 होता है. इसका मतलब है कि काला रंग गर्मी को अपनी सतह पर अधिक अच्छी तरह से अवशोषित कर सकता है, जो कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण होता है. इससे चार्जर की कार्यक्षमता बेहतर रहती है क्योंकि वह अधिक स्थिर तापमान पर काम करता है.
दूसरा कारण आर्थिक है. काले रंग के मैटेरियल का उत्पादन आमतौर पर सस्ता होता है अन्य रंगों की तुलना में. काले रंग की पेंटिंग या कोटिंग की लागत अन्य रंगों की तुलना में कम होती है, जिससे कंपनी की कॉस्ट कम लगती है. चार्जर बनाने वाली कंपनियों के लिए काले रंग का चयन करना आर्थिक दृष्टिकोण के हिसाब से फायदेमंद होता है.
सफेद रंग का क्यों होता है मोबाइल का चाजर्र?
पहले ज्यादातर चार्जर काले रंग में होते थे, अब सफेद रंग के चार्जर भी काफी आम हो गए हैं. सफेद रंग की खासियत यह है कि इसमें लो रिफ्लेक्ट कैपेसिटी होती है. इसका मतलब यह है कि सफेद रंग बाहरी गर्मी को अवशोषित नहीं करता, बल्कि उसे बाहर ही बनाए रखता है. इस प्रकार, सफेद रंग के चार्जर बाहर से आने वाली गर्मी को अंदर नहीं जाने देता, जिससे चार्जर का तापमान नियंत्रित रहता है. सफेद रंग की यह विशेषता इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के तापमान को स्थिर बनाए रखने में मददगार साबित होती है. यही कारण है कि समें लीड हो सकता है कि लाल या नीले रंग की भी दिख जाए लेकिन चार्जर के एडाप्टर का रंग काला या सफेद ही होता है.
इसके अलावा, सफेद रंग की एक और वजह भी है कि यह देखने में साफ-सुथरा लगता है. कई कंपनियां अपने चार्जर को सफेद रंग का बनाती हैं क्योंकि यह रंग अधिक क्लासिक और प्रीमियम दिखाई देता है, जो उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है.
aajtak.in