कौवे इंसानों को क्यों छोड़ते हैं ‘गिफ्ट’? वैज्ञानिक स्टडी में खुला दिलचस्प राज

कौवे धरती के सबसे समझदार पक्षियों में गिने जाते हैं. वे इंसानी चेहरों को पहचान सकते हैं, लंबे समय तक याद रख सकते हैं. कौवे के बारे में हाल ही में एक दिलचस्प रिसर्च सामने आया है.

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कौवे धरती के सबसे समझदार पक्षियों में गिने जाते हैं (Photo:Pexel) कौवे धरती के सबसे समझदार पक्षियों में गिने जाते हैं (Photo:Pexel)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST

दुनिया के कई हिस्सों से ऐसे किस्से सामने आते रहे हैं, जहां लोग दावा करते हैं कि कौवे उन्हें खाना मिलने के बाद कंकड़, बटन, बोतल की कैप या चमकीली धातु के छोटे टुकड़े छोड़ जाते हैं. देखने में यह किसी ‘तोहफे’ जैसा लगता है और कई लोगों के लिए यह पल भावुक भी होता है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके पीछे भावनाओं से ज्यादा कौवों की असाधारण बुद्धिमत्ता और सीखने की क्षमता काम करती है.

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कौवे धरती के सबसे समझदार पक्षियों में गिने जाते हैं. वे इंसानी चेहरों को पहचान सकते हैं, लंबे समय तक याद रख सकते हैं और अपने अनुभवों से सीखकर व्यवहार बदलते हैं. इसी वजह से उनका यह व्यवहार वैज्ञानिकों की दिलचस्पी का विषय बना हुआ है.

अमेरिकी कौवे इंसानी चेहरों को पहचानते हैं

कौवों की इस क्षमता को सबसे मज़बूती से साबित करने वाली रिसर्च Proceedings of the National Academy of Sciences में प्रकाशित हुई थी. इस स्टडी में पाया गया कि अमेरिकी कौवे इंसानी चेहरों को पहचानते हैं और कई सालों तक याद रखते हैं. जिन लोगों से उन्हें कभी खतरा महसूस हुआ, उन्हें वे लंबे समय बाद भी देखकर चेतावनी की आवाज निकालते रहे. इससे साफ होता है कि कौवों की याददाश्त बेहद गहरी होती है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, कौवों का ‘गिफ्ट’ जैसा व्यवहार अक्सर सीखी हुई प्रतिक्रिया से शुरू होता है. कई बार कौवे जिज्ञासा में चमकीली चीजें उठाकर फीडिंग स्पॉट के आसपास ले आते हैं और वे वहीं गिर जाती हैं. अगर उसी वक्त उन्हें खाना मिल जाए, तो उनके दिमाग में एक पैटर्न बन जाता है.कुछ छोड़ने पर खाना मिलता है. यही कारण-परिणाम वाला व्यवहार बार-बार दोहराया जाने लगता है.

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कौवों को छोटी, हल्की और चमकदार चीजें स्वाभाविक रूप से आकर्षित करती हैं. वे इन्हें उठाना, ले जाना और जमा करना पसंद करते हैं. जब ये वस्तुएं उसी जगह गिरती हैं, जहां इंसान रोज उन्हें खाना देता है, तो यह इंसानों को ‘तोहफा’ जैसा लगता है. वैज्ञानिक इसे कौवों की कलेक्शन आदत और जिज्ञासा का हिस्सा मानते हैं.

कौवे ट्रायल-एंड-एरर से बहुत तेजी से सीखते हैं


रिसर्च यह भी बताती है कि कौवे ट्रायल-एंड-एरर से बहुत तेजी से सीखते हैं. अगर किसी व्यवहार से फायदा मिलता है, तो वे उसे याद रखते हैं और दोहराते हैं. यही वजह है कि कुछ लोगों को नियमित रूप से ऐसी छोटी-छोटी चीजें मिलती रहती हैं.

इतना ही नहीं, कौवों की यह सीख सिर्फ एक तक सीमित नहीं रहती. वे अपने झुंड में भी व्यवहार फैलाते हैं. अगर एक कौवा किसी इंसान को सुरक्षित मान ले, तो दूसरे कौवे भी उसे अपनाने लगते हैं. इसे ‘सोशल लर्निंग’ कहा जाता है.

वैज्ञानिक साफ करते हैं कि कौवों के इस व्यवहार को इंसानों की तरह ‘शुक्रिया’ कहना पूरी तरह सही नहीं है. लेकिन इतना जरूर है कि वे दयालुता और भरोसे को पहचानते हैं और उसके जवाब में अलग व्यवहार दिखाते हैं. यही वजह है कि कौवों के ये छोटे-छोटे ‘गिफ्ट’ आज भी लोगों को हैरान करते हैं और वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर करते हैं.

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