आपको पता भी नहीं चलता... और ऐसे थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना!

Tirupati Temple Laddu: तिरुपति मंदिर के प्रसाद लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलने का मामला गर्माया हुआ है. क्या आप जानते हैं कैसे खाने तक जानवरी की चर्बी वाला खाना पहुंच जाता है.

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तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावट का मामला चर्चा में है. तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावट का मामला चर्चा में है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू में मिली मिलावट का मामला चर्चा में है. दरअसल, एक रिपोर्ट में सामने आया है कि जो प्रसाद भक्तों को दिया जा रहा था, उसमें सूअर की चर्बी, बीफ टालो आदि मिला हुआ था. मंदिर के प्रसाद में ऐसी मिलावट होने के बाद राजनीतिक गलियारों तक बवाल है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कई बार जानवरों की चर्बी वाला खाना आपकी थाली तक भी पहुंच सकता है और इसका पता भी नहीं चल पाता है. तो जानते हैं आखिर कैसे ये खाना घरों तक आता है. 

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क्या है मामला?

दरअसल, तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाने के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है. इसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा मिली है. एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है. इसमें लार्ड भी मिला हुआ था. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है. इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी पाई गई है.

प्रसादम लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, रेपसीड, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली का तेल, नारियल और पाम कर्नेल वसा भी मिले थे. घी में इस्तेमाल होने वाली इन चीजों को फॉरेन फैट के नाम से जाना जाता है. 

क्या है फॉरेन फैट?

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जब किसी डेयरी प्रोडक्ट को बनाने के लिए नॉन डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है, उसे फॉरेन फैट कहा जाता है. फॉरेन फैट के रुप में घी में वेजिटेबल ऑइल्स, एनिमल फैट, हाइड्रोजेनेटेड ऑइल का इस्तेमाल होता है. इस फॉरेन फैट के जरिए ही नकली घी बनाया जा सकता है.

आपके घर तक कैसे पहुंच सकता है?

आपको बता दें कि जानवरों की चर्बी के थाली तक पहुंचने का सोर्स घी हो सकता है. दरअसल, कई कंपनियां नकली घी बनाकर बाजार में बेचती है. इस नकली घी को बनाने के लिए भैसों के सींग और जानवरों की चर्बी  का इस्तेमाल किया जाता है. कई लोग नकली घी बनाने के लिए जान से खिलवाड़ करते हैं और इस तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं. घी में चिकनाई आदि बढ़ाने के लिए चर्बी का यूज किया जाता है. 

साल 2020 में आगरा से एक मामला सामने आया था, जब पुलिस ने नकली घी बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था. हां पर जानवरों की चर्बी, हड्डी, सींग और खुर को उबालकर घी बनाया जा रहा था. पुलिस ने उस दौरान बताया था कि यहां भैसों के सींग और जानवरों की चर्बी से घी तैयार किया जाता था. ऐसे ही कई और मामले भी कई बार सामने आए हैं, जब पता चला है कि घी बनाने के लिए चर्बी का इस्तेमाल किया गया. 

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ऐसे में अगर गलती से और दुर्भाग्यवश ऐसा नकली घी खरीद लेते हैं तो ये आपकी थाली तक भी पहुंच सकता है. अक्सर बाजार में पूजा वाले घी के नाम पर लोग मिलावटी घी बेचते हैं. अगर आप बाजार से डिब्बा बंद घी खरीदते हैं तो आपको इसका खास ध्यान रखना होगा कि जो घी खरीद रहे हैं वो सही हो. इसके लिए आप घर पर इसकी जांच कर सकते हैं और ज्यादा शक होने पर लैब में इसकी जांच करवा सकते हैं. 

बीफ टैलो का घी के रुप में हो रहा इस्तेमाल

बीफ टैलो, बीफ की चर्बी का होता है. इसमें रंप रोस्ट, पसलियों और स्टेक जैसे बीफ के टुकड़ों से निकली चर्बी होती है. इस फैट को उबालकर घी की तरह बनाया जाता है और अब कई लोग मक्खन के तौर पर बीफ टैलो का इस्तेमाल भी करते हैं. कहा जाता है कि ये सामान्य घी के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होता है. इसके लिए लोग बाजार से जानवरों का फैट खरीदकर बीफ टैलो बना रहे हैं.

 

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