राजस्‍थान में अंडरग्राउंड बनी है ये एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, 9 लाख किताबों का है घर

Underground Library: इस अंडरग्राउंड लाइब्रेरी में 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है. इसके साथ ही वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, पुराण, इनसाइक्लोपिडिया की किताबें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण, विभिन्न शोध की किताबों सहित लाखों किताबों को यहां संभाल कर रखा गया है.

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Bhadariya Library in Jaisalmer Bhadariya Library in Jaisalmer

आकांक्षा मिश्रा

  • जैसलमेर,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

Asia'a Biggest Library: बीतते वक्त के साथ हर चीज का एक अपग्रेड वर्जन आने लगा है. अब मोबाइल की ही बात करें तो उसके लिए ज्यादा पीछे जाने की भी जरूरत नहीं है. अब तो किपैड वाला मोबाइल ही गुजरा हुआ जमाना लगता है. हर चीजों के नए वर्जन आते जा रहे है, जिसमें कुछ तो मन को भा रहे हैं. लेकिन कुछ मन को दुखी भी कर रही हैं. जिसमें में एक है 'लाइब्रेरी'.

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वक्त के साथ जहां हार्डबुक किताबों की जगह डिजिटल बुक्स ने ले ली है, उसी तरह अब लाइब्रेरी की जगह भी डिजिटल लाइब्रेरी ने ली है. लेकिन हम यहां आपको बीती हुई याद में लाने नहीं लाए हैं, बल्कि एक ऐसी अनोखी लाइब्रेरी के बारे में बताने आए है, जिसके बारे में जानकर आपको वहां जाने का मन जरूर करेगा.

9 लाख से ज्यादा किताबों का संग्रह 
ये वो लाइब्रेरी है जिसमें 9 लाख से ज्यादा किताबें हैं. इस लाइब्रेरी का पता है जैसलमेर-पोकरण के बीच बने भदिया राय माता मंदिर. इस लाइब्रेरी में दुनिया के सभी ग्रंथ से लेकर नोवेल, पांडुलिपि और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक के भाषण आपको मिलेंगे. लेकिन अब आप सोच रहे होंगे की इस लाईब्रेरी में ऐसा क्या खास है. तो दरअसल ये लाइब्रेरी भदिया राय माता मंदिर के नीचे बनी हुई है. यानि जमीन से 16 फीट नीचे.

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भदरिया महाराज ने बनवाई थी ये लाइब्रेरी
इस लाइब्रेरी को कई सालों पहले हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भदरिया महाराज ने बनवाया था. यहां दुनिया के हर कोने से लाई हुई किताबें हैं. जो भदरिया महाराज या तो खुद लाए थे या उन्हें तोहफे के तौर पर कई मौकों पर मिली थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक, हरवंश सिंह निर्मल मंदिर के पास ही 9 साल तक एक कमरे में रहे थे और ये सारी किताबें पढ़ी थीं जिसके बाद इस लाइब्रेरी की स्थापना हुई थी.

ये ज्ञान का भंडार एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक है. अब कहलाए भी क्यों न, क्योंकि ये लाइब्रेरी इतनी बड़ी है की इसमें एक बार में 4 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं. इस लाइब्रेरी की देखरेख जगदंबा सेवा समिति करती है. इस समिति की स्थापना भी भदरिया महाराज उर्फ हरवंश सिंह निर्मल ने ही की थी.

स्पेशल लेप से होती है किताबों की देखरेख
इस लाइब्रेरी में किताबें खराब न हों, इसके लिए हर 5 से 6 महीने में विशेष तरह के लेप, पाउडर से इन्हें साफ किया जाता है. इस दौरान अलमारियों की भी सफाई की जाती है. यहां करीबन 562 अलमारियां हैं जिनमें किताबें रखी हुई हैं. इस लाइब्रेरी में 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है. इसके साथ ही वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, पुराण, इनसाइक्लोपिडिया की किताबें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण, विभिन्न शोध की किताबों सहित लाखों किताबों को यहां संभाल कर रखा गया है.

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आजकल पुराने जमाने की फिल्में देखकर या फिर कोई पीरियड ड्रामा देखकर इस तरह की लाइब्रेरी में जाने की काफी इच्छा उठती है, लेकिन लाइब्रेरी का जमाना ही खत्म होता जा रहा है. अब किताबों के शौकीन लोगों के लिए ये जगह एकदम सही है.

 

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