Today in History: गांधी जी ने किन परिस्थितियों में शुरू किया था भारत छोड़ो आंदोलन, दिया 'करो या मरो' का नारा

Bharat Chhodo Andolan Day: भारत छोड़ो आंदोलन देश में हुई एक सामूहिक सविनय अवज्ञा थी जिसके बाद अंग्रेजों के पैर भारत से उखड़ गए. हर साल 08 अगस्त को, भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ को उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है, जिन्होंने बगैर एक भी पल सोचे हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दीं.

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Mahatma Gandhi (File Photo) Mahatma Gandhi (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 08 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 6:42 AM IST

Quit India Movement: आज ही दिन यानी 8 अगस्त को राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे सेशन भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. ये आंदोलन ही अंग्रेजी हुकूमत की ता‍बूत में आखिरी की साबित हुआ. यह आंदोलन देश में हुई एक सामूहिक सविनय अवज्ञा थी जिसके बाद अंग्रेजों के पैर भारत से उखड़ गए. 

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आंदोलन की शुरुआत के दौरान ही गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था. उन्होंने मांग की कि अंग्रेजों को तुरंत भारत छोड़ देना चाहिए या गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार होना चाहिए. इस आंदोलन के एक हिस्से के रूप में, बड़े पैमाने पर विरोध प्रर्दशन हुए, जिसके बाद देश में हिंसा हुई और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. हर साल 8 अगस्त को, भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ को उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है, जिन्होंने बगैर एक भी पल सोचे हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दीं.

किन परिस्थितियों में हुआ आंदोलन?
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने का मुख्य कारण था देश को बगैर सहमति के विश्‍व युद्ध में झोंकना. अंग्रेज यूनाइटेड किंगडम (यूके) की ओर से लड़ने के लिए भारतीयों को भी घसीट रहे थे. उस दौरान, द्वितीय विश्व युद्ध में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के लोगों सहित 87,000 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.

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इसके अलावा, मार्च 1942 में वॉर कैबिनेट के सदस्य सर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के सहयोग को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया. इसके बाद, क्रिप्स को भारतीय नेताओं के साथ ब्रिटिश सरकार के मसौदा पर चर्चा करने के लिए भारत भेजा गया. कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता और किसी भी शर्त पर सहमति बनाने से इनकार कर दिया.

उस दौरान भारत की अर्थव्यवस्था भी खराब स्थिति में थी. भारतीय नेताओं के साथ बैठक के बाद, ब्रिटिश-विरोधी और पूर्ण-स्वतंत्रता की भावना ने पूरे देश को एकजुट कर दिया. देश के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध नेताओं द्वारा पहले से ही क्रांतिकारी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जिसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव और व्‍यापक होता चला गया.

 

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