State Mourning: क्या होता है राजकीय शोक, कौन करता है इसका ऐलान? जानिए नियम

State Mourning: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. जब भी किसी बड़े राजनेता या हस्ती का निधन होता है तो सरकार राजकीय शोक की घोषणा करती है. आइए जानते हैं क्या होता है राजकीय शोक और कौन करता है इसकी घोषणा.

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Mulayam Singh Yadav (File Photo) Mulayam Singh Yadav (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज, 10 अक्टूबर 2022 को 82 साल की उम्र में निधन हो गया है. ऐसे में प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह के पुत्र और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव से फोन पर बात की और संवेदनाएं व्यक्त की. आइए जानते हैं क्या होता है राजकीय शोक और कौन करता है इसका ऐलान. 

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कौन घोष‍ित करता है राजकीय शोक
पुराने नियमों के अनुसार, पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे. लेकिन अब बदले हुए नियमों के अनुसार, राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है. अब राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है. कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं. 

क्या होता है राजकीय शोक में?
केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है. इसके अनुसार, अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को इस दौरान खत्म कर दिया गया है. अब केवल इसी हालत में छुट्टी की घोषणा होती है जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए किसी व्यक्त‍ि का निधन हो जाता है. लेकिन अक्सर पद पर न रहने वाले बड़े नेताओं की मृत्यु के बाद भी सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी जाती है.

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राजकीय शोक के दौरान फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक विधानसभा, सचिवालय सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं. इसके अलावा प्रदेश में कोई औपचारिक एवं सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है और इस अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है. 

राष्ट्रीय शोक, राजकीय शोक का महत्वपूर्ण पहलू राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि भी है. हालांकि, ये जरूरी नहीं कि राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि होने पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित ही किया जाए. शहीदों की अंत्येष्टि भी राजकीय सम्मान के साथ की जाती है, लेकिन ऐसे मौकों पर राजकीय शोक नहीं घोषित किया जाता.

भारत में शुरुआत में 'राष्ट्रीय शोक' सिर्फ राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर घोषित होता था. हालांकि, भारत में पहला राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था. समय के साथ इस नियम में कई बदलाव किए गए. अब अन्य बड़े नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के मामले में भी केंद्र विशेष निर्देश जारी कर राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकता है. इसके साथ ही देश में किसी बड़ी आपदा के वक्त भी 'राष्ट्रीय शोक' घोषित किया जा सकता है.

 

 

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