जानिए 59 साल पुराने नेहरू मेमोरियल की कहानी, जिसका नाम अब मोदी सरकार ने बदल दिया है!

Nehru Memorial History: भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान साल 1929-30 में एडविन लुटियंस के शाही राजधानी के हिस्से के रूप में इस परिसर का निर्माण किया गया था. यह तीन मूर्ति हाउस भारत में कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक निवास था, जो अगस्त 1948 के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू का निवास हुआ.

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Nehru Memorial becomes PM Memorial Nehru Memorial becomes PM Memorial

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2023,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिस परिसर में अपनी अंतिम सांस ली और जिसे उनकी यादों को संजोने के लिए जाना जाता है, अब उसे प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड सोसाइटी (PMMS) कहा जाएगा. गुरुवार, 16 जून 2023 को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम यानी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) सोसायटी की एक विशेष बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं. 

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नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जोकि दिल्ली के तीन मूर्ति मार्ग पर स्थित है, जहां देश के पत्रकार, लेखक, रिर्सच स्टूडेंट नेहरू के समय की सरकारों और उनकी नीतियों व समकालीन देशों की किताबों को पढ़ते हैं. 

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम के अध्यक्ष हैं पीएम मोदी
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी में एक अध्यक्ष और 29 सदस्य हैं. सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और 29 सदस्यों में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर समेक कई बड़े नाम शामिल हैं. यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का घर था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

नेहरू मेमोरियल का इतिहास
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान साल 1929-30 में एडविन लुटियंस के शाही राजधानी के हिस्से के रूप में इस परिसर का निर्माण किया गया था. यह तीन मूर्ति हाउस भारत में कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक निवास था. अगस्त 1948 में, यह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास बन गया, जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू 27 मई, 1964 तक 16 वर्षों तक वहां रहे. पं. नेहरू के निधन के बाद तत्कालीन सरकार ने इस परिसर को देश के पहले प्राइम मिनिस्टर को समर्पित करने का फैसला किया गया. 

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नेहरू की 75वीं जयंती पर रखा गया था नेहरू मेमोरियल नाम
14 नवंबर, 1964 को नेहरू की 75वीं जयंती पर तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने तीन मूर्ति भवन राष्ट्र को समर्पित किया और नेहरू स्मारक संग्रहालय का उद्घाटन किया. दो साल बाद, संस्था के प्रबंधन के लिए NMML सोसायटी की स्थापना की गई, और तब से यही बनी हुई है.

7 साल पहले किया गया था नाम बदलने का विचार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 में पीएम मोदी ने नेहरू मेमोरियल को भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार किया था. NMML की कार्यकारी परिषद ने 25 नवंबर 2016 को अपनी 162वीं बैठक में इसे मंजूरी दी थी. अब ये परियोजना पूरी हो गई. कांग्रेस के विरोध के बावजूद, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी परिसर में प्रधानमंत्री संग्रहालय बनाया गया, और 21 अप्रैल, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था. हालांकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने इस विचार पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा था.

नेहरू मेमोरियल का नाम क्यों बदला गया?
कार्यकारी परिषद ने देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियों, तत्कालनी सरकार की प्रगति और अन्य गतिविधियों को प्रतिबिंबित करने के लिए यह संग्रहालय है. यह म्यूजियम में स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान को दिखाता है. इस विचार को केंद्र में रखते हुए मेमोरियल म्यूजियम यानी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड सोसाइटी (PMMS) रखा गया है. साथ ही संग्रहालय को अपडेट किया गया है.

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