किसी दुर्घटना के बाद नहीं मिले परिवार का कोई सदस्य तो कैसे कर सकते हैं इंश्योरेंस क्लेम?

Insurance Claim Rules: कई बार दुर्भाग्यवश कुछ लोगों के घरवाले किसी दुर्घटना में गायब हो जाते हैं और मिलते नहीं है और मृतक मान लिया जाता है. क्या आप जानते हैं इस स्थिति में इंश्योरेंस का क्लेम कैसे किया जाता है.

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Insurance Claim Rules (Image Source- Freebik) Insurance Claim Rules (Image Source- Freebik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

कई प्राकृतिक आपदाओं या कुछ आकस्मिक दुर्घटनाओं में दुर्भाग्यवश कुछ लोगों की मौत हो जाती है. कई बार हालात ऐसे होते हैं कि उनका पार्थिव शरीर भी परिवारों को नहीं मिल पाता और इसके बाद उन्हें काफी मुश्किल होती है. सबसे ज्यादा मुश्किल उस वक्त होती है, जिस वक्त उन्हें इंश्योरेंस क्लेम करना होता है. दरअसल, इस स्थिति में किसी की डेथ को सत्यापित करना काफी मुश्किल होता है और इंश्योरेंस क्लेम में दिक्कत आती है. तो जानते हैं आखिर इस स्थिति में किस तरह से इंश्योरेंस क्लेम किया जाता है और क्या किस तरह से नॉमिनी को पैसा मिलता है?  

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क्या मिलता है पैसा?

पहले तो आपको बता दें कि अगर किसी के परिवार के सदस्य किसी प्राकृतिक आपदा या किसी दुर्घटना में गुम हो जाते हैं और उन्हें मृतक मान लिया जाता है तो उनके परिवारजन को इंश्योरेंस क्लेम का पैसा मिल जाता है. लेकिन इस स्थिति में क्लेम करना काफी मुश्किल होता है और आम मौत से अलग नियमों का पालन करना होता है. 

कैसे किया जाता है क्लेम?

इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन 108  के अनुसार,  इस स्थिति में गुमशुदगी की पहली एफआईआर दर्ज होने के 7 साल बाद इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकता है. ऐसे में परिवार के सदस्यों को व्यक्ति के मिसिंग होने के 7 साल तक इंतजार करना होता है. साथ ही इस साल सात में परिवारजनों को इंश्योरेंस का प्रीमियम भी भरना होता है. फिर परिवारजनों को लंबे इंतजार के बाद पुलिस की रिपोर्ट और जांच के आधार पर यह साबित करना होता है कि वो व्यक्ति इस दुनिया में नहीं है और डेथ सर्टिफिकेट बनवाना होता है. 

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रेल दुर्घटना, प्लेन क्रैश जैसी कई स्थितियों में सरकार की ओर से मृतक घोषित किया जाता है. कई मामलों में कोर्ट का सहारा लिया जाता है और कोर्ट में मृतक साबित होने के बाद इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकता है. इसके लिए पुलिस की ओर से नौ ट्रेसेबल रिपोर्ट भी जारी की जाती है, जो भी भी इंश्योरेंस क्लेम में काफी काम आता है. बता दें कि इस स्थिति में एफआईआर से लेकर पुलिस की ओर से पेश की गई कई रिपोर्ट्स को आधार माना जाता है और उन्हें आधार पर ही इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को आगे प्रोसेस करती है. 

7 साल से पहले भी कर सकते हैं क्लैम?

कुछ स्थितियों में सात साल से पहले भी इंश्योरेंस क्लैम करवाया जा सकता है, लेकिन इन सब मामलों में इंश्योरेंस कंपनी एक प्रोटेक्शन बॉन्ड पर साइन करवा लेती है. अगर बाद में मिसिंग व्यक्ति जिंदा मिल जाता है या लौटकर आ जाता है तो नॉमिनी को क्लेम में मिले पैसों को वापस लौटाना होता है.

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