ये कैसे पता चलता है किस जमीन के नीचे दबा है सोना? जानिए किस तरह कर सकते हैं पता

क्या पता आपकी जमीन के नीचे सोना दबा हो? मगर इसका पता कैसे चलेगा कि वहां सोना है या नहीं? तो आज जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर किसी भी जमीन के नीचे सोने का कैसे पता किया जा सकता है?

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जमीन में दबे सोने का पता करने के लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं.  (Image- Freepik) जमीन में दबे सोने का पता करने के लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. (Image- Freepik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

अक्सर ये खबरें आती हैं कि किसी जमीन पर खुदाई हो रही थी और वहां खुदाई में सोना-चांदी निकला. या फिर किसी पुराने घर या इमारत की तोड़फोड़ में खजाना या सोना निकल जाता है. इसके अलावा आपके घर या गांव के आस-पास कुछ जमीन या इमारतें होंगी, जिनके लिए कहा जाता है कि उसमें खजाना हो सकता है. वहीं, कुछ लोगों को ये विश्वास होता है कि उनकी पुस्तैनी विरासत में भी कहीं ना कहीं सोना हो सकता है. मगर सवाल ये होता है कि आखिर इसका पता कैसे चलेगा?

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दरअसल, अब कई मशीनें ऐसी आ गई हैं, जिनके जरिए जमीन के काफी नीचे तक का पता लगाया जा सकता है कि आखिर जमीन के नीचे कुछ दबा तो नहीं है. वैसे इन मशीनों के जरिए ही एक्सपर्ट पुरानी इमारतों पर रिसर्च करते हैं और पता लगाने की कोशिश करते हैं कि जमीन के नीचे क्या-क्या हो सकता है. तो ऐसे में जानते हैं कि ये कौनसी मशीनें होती हैं और कैसे इनसे सोने का पता किया जाता है और इनकी कीमत कितनी है...

सोने का किस तरह पता किया जाता है?

- जमीन के नीचे सोने का पता करने के कई तरीके हैं. एक तरीका तो ये है कि जो जगह टारगेट है, उस पर उगे हुए पेड़-पौधे और मिट्टी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां सोना है या नहीं. कई जगह पौधे की पत्तियों में सोना होने की वजह से अंदाजा लगाया जाता है कि उसके नीचे सोना हो सकता है या फिर मिट्टी के मिनरल्स से भी वैज्ञानिक इसका पता करने की कोशिश करते हैं. 

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- इसके अलावा आजकल डिटेक्टर मशीन का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. ये खास तरह की मशीन जमीन के नीचे सिग्नल के जरिए मिनरल्स, किसी धातु का पता करती हैं. इसमें एक कॉइल होती है, जिसे जमीन के ऊपर से लेकर जाना होता है और अगर कहीं कुछ होता है तो मशीन उस हिसाब से ही सिग्नल देती है, जिससे सोना होने का अंदाजा लगाया जाता है. एक बार सिग्नल मिलने के बाद धीरे-धीरे खुदाई के जरिए सिग्नल के हिसाब से सोने का पता किया जा सकता है. 

इन मशीनों के जरिए ही कई इमारतों में दीवार या आंगन में सोने का पता लगाने की कोशिश होती है. ये एक तरह से जमीन के एक्सरे का काम करती है. कई तरह की मशीनें बाजार में मिलती है और कुछ मशीन जमीन के नीचे 50 मीटर तक भी पता कर सकती हैं. ऐसे में वैज्ञानिक इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. 

- वहीं खदानों का पता करने के लिए दो तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है. इसमें ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार और वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक के हिसाब से खदान आदि का पता लगाया जाता है. जीपीआर प्रोसेस में मिट्टी की स्टेप बाई स्टेप जांच होती है और फिर एनालिसिस होता है और जमीन के अंदर से मिट्टी निकालकर जांच होती है.

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इसके अलावा जो फ्रीक्वेंसी वाली तकनीक है, वो डिटेक्टर मशीन की तरह ही है. इसमें भी तरंगों के हिसाब से काम होता है. इसमें जमीन में कुछ तरंगे भेजी जाती हैं और फिर वे मेटल से टकराती है तो मशीनों में साउंड वेव का रिएक्शन पता चलता है और सोना या कोई मैटेरियल होने का समझ आता है. 

कितने की आती है मशीन?

अब आपको बताते हैं कि जो डिटेक्टर मशीन होती है, वो कितने रुपये की आती है. वैसे तो हर मशीन की अपनी खासियत के हिसाब से अलग रेट होती है. मशीनों की रेट अपने रेडियस, डेप्थ, डिस्टेंस कवर के हिसाब से तय होते हैं. सामान्य तौर पर गोल्ड डिटेक्टर मशीनें बाजार में 70 हजार से डेढ़ लाख तक मिल जाती है. इसके अलावा जितनी ज्यादा एडवांस मशीन होती है, उनके उतने ही ज्यादा रेट होते हैं. 

अगर अच्छी मशीनों में माने जाने वाली 50 मीटर डिस्टेंस वाली मशीन की कीमत देखें तो ये करीब 12 हजार डॉलर की आती है यानी करीब 10 लाख रुपये. इसमें कई तरह की खासियत होती हैं, जिससे आपको सटीक और विस्तृत मिलता है. इससे मैटल का पता लगाना काफी आसान हो जाता है. 

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