Google Doodle Kamala Sohonie: रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर दुनियाभर में विज्ञान के क्षेत्र में पहचान बनाने वाली एक दूरदर्शी भारतीय बायोकेमिस्ट कमला सोहोनी की आज, 18 जून को 112वीं जयंती है. गूगल ने रविवार को कमला सोहोनी की 112वीं जयंती पर खास डूडल (Google Doodle) बनाकर इसे सेलिब्रेट किया है. उनका जन्म 18 जून 1911 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था.
कमला सोहोनी भारत की वह महिला हैं, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले थे. कमला सोहोनी, 1939 में पीएचडी अर्जित करने वाली पहली भारतीय महिला, एक वैज्ञानिक क्षेत्र में, विज्ञान में महिलाओं के लिए कम प्रतिनिधित्व के समय में बाधाओं को तोड़ते हुए. उन्हें "नीरा" पर उनके काम के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला और वह बॉम्बे में रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की पहली महिला निदेशक भी थीं. Google डूडल में कमला सोहोनी को दिखाया गया है, जो "नीरा" पर अपने अग्रणी काम को प्रदर्शित करती है - एक ताड़ के अमृत से बना पेय जो अपने हाई विटामिन सी कंटेंट के लिए जाना जाता है.
पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला
सोहोनी का जन्म आज ही के दिन 1911 में मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय में केमिस्ट्री और फिजिक्स का अध्ययन किया, 1933 में अपनी क्लास में टॉप किया और बैचलर डिग्री प्राप्त की थी. इसके बाद उन्होंने साइंस से आगे की पढ़ाई के लिए भारत के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बैंगलोर में एडमिशन लिया. उस दौर में कई तरह की मुश्किलों और संस्थान के निदेशक लगाई गई शर्तों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और किसी भारतीय विज्ञान संस्थान में एडमिशन लेने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. इसके अलावा कमला सोहोनी पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं.
विदेश जाकर की पढ़ाई, 14 महीनों में की महत्वपूर्ण खोज
सोहोनी ने विदेश जाकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च स्कॉलरशिप हासिल की थी, जहां उन्होंने साइटोक्रोम सी की एक महत्वपूर्ण खोज की थी जो सभी पौधों की कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम माना जाता है. महज 14 महीनों में उन्होंने इस खोज पर अपनी पीएचडी थीसिस पूरी कर ली थी.
'नीरा' के लिए राष्ट्रपति से मिला पुरस्कार
भारत लौटने पर, सोहोनी ने विशिष्ट खाने-पीने की चीजों के पोषण लाभों पर स्टडी की और 'नीरा' नाम का एक किफायती आहार पूरक के विकास में योगदान दिया. पाम अमृत से बना यह पेय विटामिन सी से भरपूर है और कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने में कारगर साबित हुआ है. 'नीरा' पर उनके काम के लिए उन्हें राष्ट्रपति से पुरस्कार भी मिला और वे बॉम्बे में रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की पहली महिला डायरेक्टर भी बनीं.
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