Google Doodle Zarina Hashmi: जानें कौन थीं जरीना हाशमी? गूगल ने खास डूडल बनाकर किया याद

Google Doodle Zarina Hashmi: मिनिमलिज्म आर्ट आंदोलन का एक हिस्सा, हाशमी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए जानी जाती हैं. जरीना के परिवार को पार्टिशियन के समय दुखद तरीके से पाकिस्तान में कराची जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

Google Doodle Zarina Hashmi: गूगल ने रविवार को भारतीय-अमेरिकी कलाकार और प्रिंटमेकर जरीना हाशमी (Zarina Hashmi) को उनकी 86वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है. डूडल को न्यूयॉर्क स्थित अतिथि कलाकार तारा आनंद द्वारा चित्रित किया गया है. जरीना को विशेष रूप सेआधुनिकतावाद और अमूर्तता जैसे कला आंदोलनों के रूप में पहचाना जाता है.

विभाजन से पहले भारत में रहती थीं जरीना हाशमी
जरीन हाशमी का जन्म आज ही के दिन 1937 में अलीगढ़ में हुआ था. वह और उनके चार भाई-बहन 1947 में भारत के विभाजन तक एक सुखद जीवन जी रहे थे. जरीना के परिवार को पार्टिशियन के समय दुखद तरीके से पाकिस्तान में कराची जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

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21 साल की उम्र में हुई शादी
जरीना हाशमी ने 21 साल की उम्र एक युवा विदेश सेवा राजनयिक से शादी की और दुनिया की यात्रा शुरू कर दी. उन्होंने बैंकॉक, पेरिस और जापान में समय बिताया, जहां वह प्रिंटमेकिंग और आधुनिकतावाद और अमूर्तता जैसे कला आंदोलनों में शामिल हुई थीं.

नारीवादी आंदोलन में हुईं शामिल
जरीना हाशमी 1977 में न्यूयॉर्क शहर चली गई, जहां उन्होंने महिलाओं और कलाकारों के लिए एक मजबूत वकील बनने का फैसला लिया. वह जल्द ही हेरेसीज कलेक्टिव में शामिल हो गईं, जो एक नारीवादी पत्रिका थी, जिसने कला, राजनीति और सामाजिक न्याय के बीच संबंधों की जांच की.

इसके बाद वे न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्यूट में बतौर प्रोफेसर पढ़ाना शुरू कर दिया. जहां महिला कलाकारों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान किए. 1980 में, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में एक एग्जीबिशन का को-होस्टिंग किया. गैलरी का नाम है "अलगाव की द्वंद्वात्मकता: संयुक्त राज्य अमेरिका की तीसरी दुनिया की महिला कलाकारों की एक प्रदर्शनी." इस अभूतपूर्व प्रदर्शनी में विविध कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया गया और महिला कलाकारों के लिए जगह प्रदान की गई.

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वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट से मिली पहचान
मिनिमलिज्म आर्ट आंदोलन का एक हिस्सा, हाशमी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए जानी जाती हैं, जो उन घरों और शहरों की अर्ध-अमूर्त छवियों को जोड़ते हैं जहां वह रहती थीं. उनके काम में अक्सर उनकी मूल उर्दू में शिलालेख और इस्लामी कला से प्रेरित ज्यामितीय तत्व शामिल होते थे. सैन फ्रांसिस्को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, व्हिटनी म्यूजियम ऑफ अमेरिकन आर्ट, सोलोमन आर. गुगेनहेम म्यूजियम और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट समेत अन्य जानी-मानी गैलरीज में जरीना के आर्ट हैं. 25 अप्रैल, 2020 को अल्जाइमर बीमारी के चलते लंदन में उनका निधन हो गया था.

 

 

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