क्‍या है Facial Reconstruction टेक्‍नीक जिससे आफताब के खिलाफ सबूत जुटाएगी दिल्‍ली पुलिस

पुलिस के पास आफताब का कबूलनामा है, लेकिन अभी तक सबूत के मामले में हाथ खाली हैं. अब पुलिस आरोपी की श‍िनाख्त पर श्रद्धा की खोपड़ी तलाश कर रही है. खोपड़ी मिलने के बाद ऐसी कई फॉरेंसिक तकनीकें हैं जिससे पुलिस अपराधी के ख‍िलाफ सबूत जुटा सकती है. इसमें सबसे ज्यादा सटीक तकनीक मानी जाती है फॉरेंसिक फेश‍ियल रीकंस्‍ट्रक्‍शन टेक्नीक, जानिए-इसके बारे में.

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मृतका श्रद्धा मृतका श्रद्धा

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

श्रद्धा के मर्डर केस में पुलिस ने आफताब पूनावाला की गिरफ्तारी कर ली थी. पुलिस के पास आफताब का कबूलनामा है, लेकिन अभी तक सबूत के मामले में हाथ खाली हैं. अब पुलिस आरोपी की श‍िनाख्त पर  श्रद्धा की खोपड़ी तलाश कर रही है. खोपड़ी मिलने के बाद ऐसी कई फॉरेंसिक तकनीकें हैं जिससे पुलिस अपराधी के ख‍िलाफ सबूत जुटा सकती है.

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इसमें सबसे ज्यादा सटीक तकनीक मानी जाती है फॉरेंसिक फेश‍ियल रीकंस्ट्रक्शन टेक्नीक जो निठारी कांड से लेकर शीना बोहरा जैसे मामलों की गुत्थी सुलझा चुकी है. दिल्ली विश्वविद्यालय के फॉरेंस‍िक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर विपिन गुप्ता कहते हैं कि ये टेक्नीक एक तरह की साइंट‍िफिक आर्ट है. इसके जरिये अपराधी तक पहुंचना काफी आसान होता है. आइए जानते हैं कि कहां कहां काम करती है ये टेक्नीक. कब और कैसे ये सामने आई. 

जानें- क्या है इससे जुड़ा इतिहास 

डीएनए, फ‍िंगरप्र‍िंट्स, डेंटल और मेडिकल रेड‍ियोग्राफ जैसी जांचों के विफल होने के बाद भी फॉरेंसिक फेश‍ियल रीकंस्ट्रक्शन टेक्नीक श्रद्धा मर्डर केस में काम आ सकती है. पुलिस मृतका की खोपड़ी का हिस्सा तलाश कर रही है. खोपड़ी का कंकाल मिलने पर इस टेक्नीक के जरिये थ्री डी में फेस का पुनर्निर्माण किया जाता है. एक्सपर्ट इस तकनीक के जरिये 80 प्रत‍िशत तक सफल हो जाते हैं. इस तकनीक के सफल प्रयोग के बाद दूसरी फॉरेंसिक जांच के जरिये शत प्रत‍िशत रिजल्ट आ जाते हैं, जिससे अपराधी के ख‍िलाफ सबूत इकट्ठा हो जाते हैं. 

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प्रो विप‍िन गुप्ता कहते हैं कि खोपड़ी के कंकाल से चेहरे की भविष्यवाणी का 100 से अध‍िक वर्षों का इतिहास है. इसकी शुरुआत जर्मन में जर्मन "Rekonstruktion" यानी "चेहरे का पुनर्निर्माण" से शुरू हुई. फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी से लेकर कला, पुरातत्व विज्ञान (आर्क‍िटेक्ट) और कानून प्रवर्तन तक सभी इसमें शामिल हैं. ऐसा देखा गया है कि डीएनए, फिंगरप्रिंट और डेंटल या मेडिकल रेडियोग्राफ़ की तरह  चेहरे की भविष्यवाणी (प्रिडक्शन) हमेशा से रही है.  लेकिन प्र‍िडक्शन को वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अपने महत्वाकांक्षी उद्देश्य के लिए संदिग्ध माना जाता रहा है. लेकिन चेहरे का पुनर्निर्माण (री-कंस्ट्रक्शन) बहुत करीबी रिजल्ट देती है. पुरातत्व विज्ञान में पुराने कंकाल और ममीज पर भी यह तकनीक इस्तेमाल की जाती है. 

प्रतीकात्मक फोटो (Reuters)

विज्ञान के साथ साथ कला भी शामिल 

किसी स्कल से उसकी तस्वीर के जरिये फेश‍ियल बोन, टिश्यू और आर्ट‍िफिश‍ियल स्क‍िन का प्रयोग करके उसे फेस का आकार देना विज्ञान ही नहीं कला का एक व्यापक रूप है. विज्ञान और कला के खूबसूर‍त मिश्रण को वैज्ञानिक कला की श्रेणी में रखा जाता है. 

चेहरे के पुनर्निर्माण की कई तकनीकें हैं, जो दो आयामी चित्रों से लेकर तीन आयामी मिट्टी के मॉडल तक  प्रयोग होती रही हैं. आज 3डी तकनीक में प्रगति के साथ, एक तीव्र, कुशल और लागत प्रभावी कम्प्यूटरीकृत 3डी फोरेंसिक फेशियल रिकंस्ट्रक्शन विधि विकसित हो चुकी है. इसने पहले सामने आई त्रुटि की डिग्री को कम कर दिया है. मैनुअल फेशियल रिकंस्ट्रक्शन के कई तरीके हैं लेकिन मैनचेस्टर विधि का संयोजन किसी व्यक्ति की सकारात्मक पहचान के लिए सबसे अच्छा और सबसे सटीक तरीका बताया गया है. सरकारी एजेंसियां इसका इस्तेमाल करती हैं.  

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पुलिस के सामने उम्मीद है ये तकनीक 

बता दें कि श्रद्धा के मामले में कातिल को हत्या के बाद सबूत मिटाने के लिए 6 महीने का वक्त मिला. कबूलनामे के अनुसार आफताब ने घर में फैले खून के धब्बों को केमिकल से कई बार साफ किया. जिस फ्रिज में बॉडी पार्ट रखे गए थे, उसे भी केमिकल से पूरी तरह साफ किया. अब न लाश है न खून, न हड्डी तो पुलिस क‍िस तरह सबूत जुटाएगी. ऐसे मामलों में अगर आरोपी कोर्ट में कबूलनामे से मुकर जाता है तो बिना सबूत उसे कैसे अपराधी घोष‍ित किया जाएगा. पुलिस श्रद्धा का खोपड़ी कंकाल मिलने के बाद ही सबूत मिलने की आस लगाए है.

 

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