क्या कोई कपड़ों की वजह से रेस्टोरेंट में जाने से रोक सकता है? ये नियम पढ़ लीजिए, काम आएंगे

कई रेस्टोरेंट, होटल, बार यहां तक कि मॉल में भी इंट्री के लिए लोगों को खास ड्रेस कोड का पालन करना पड़ता है. कहीं स्पोर्ट्स शूज और चप्पल पहनकर आना मना है, तो कहीं साड़ी, सलवार सूट पहनकर और गमछा लेकर आने पर पाबंदी है. ऐसे में जानते हैं इन नियमों को लेकर कानून क्या कहता है.

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कुछ विशेष रेस्टोरेंट या बार में प्रवेश के लिए खास तरह के ड्रेसकोड लागू करना कितना सही है (Photo - AI Generated) कुछ विशेष रेस्टोरेंट या बार में प्रवेश के लिए खास तरह के ड्रेसकोड लागू करना कितना सही है (Photo - AI Generated)

सिद्धार्थ भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

इन दिनों एक वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है. इसमें एक दंपति दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में स्थित एक रेस्टोरेंट के बाहर खड़े होकर बता रहे हैं कि सलवार सूट और जींस टी-शर्ट पहनने की वजह से अंदर जाने नहीं दिया गया. 

अब इस वीडियो को दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने हैंडल से शेयर किया है. वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है - पीतमपुरा के एक रेस्टोरेंट में भारतीय परिधानों पर रोक का वीडियो सामने आया है. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को टैग करते हुए इस मामले पर संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया. 

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कई जगह चप्पल और स्पोर्ट्स शूज में नहीं मिलती एंट्री 
इस मामले ने कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या वाकई में किसी रेस्टोरेंट, बार, मॉल या ढाबा में खास ड्रेस कोड लागू किया जा सकता है. क्योंकि कई जगह ऐसे नियम लागू है. कुछ बार और क्लब में स्पोर्ट्स शूज पहनन कर आने पर प्रवेश नहीं मिलता. ऐसे में जानते हैं इस पर कानून क्या कहता है और अगर ऐसे नियम हैं तो इसके उल्लंघन पर क्या सजा भी हो सकती है?

बार, क्लब और रेस्टोरेंट में क्यों लागू होते हैं ड्रेसकोड
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट गौतम सिंह बताते हैं कि बार और रेस्टोरेंट, स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से और एक विशिष्ट ग्राहक वर्ग को आकर्षित करने के लिए, एक निश्चित ड्रेस कोड लागू कर सकते हैं.इसके तहत ही चप्पल या स्पोर्ट्स शूज पहनकर बार या क्लब में आना मना होता है. 

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क्या ड्रेसकोड से होता है भेदभाव 
गौतम सिंह के अनुसार रेस्टोरेंट या बार में ड्रेस कोड लागू होने पर रोक नहीं है. लेकिन, वे  ऐसा कोई भी नियम नहीं बना सकते जो भेदभावपूर्ण हो. किसी भी तरह के ड्रेसकोड से भेदभाव नहीं होना चाहिए. क्योंकि कानून के लिहाज से सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी वजह से भेदभाव रिस्ट्रिक्टेड है. हालांकि, किसी खास स्थान के माहौल को लेकर वहां आने वाले सभी लोगों के लिए एक खास नियम बनाया जा सकता है.  

क्या कहता है भारत का संविधान 
गौतम सिंह का कहना है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 15 (2) के तहत किसी को भी होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, ढाबा में,  लिंग, जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और पहनावे के आधार पर अंदर जाने से नहीं रोका जा सकता है. अगर कहीं ऐसा किया जा रहा है तो आप उस प्रतिष्ठान या संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. 

एडवोकेट गौतम सिंह का कहना है कि भारत का The Sarai’s Act, 1867  के तहत कोई भी शख्स  होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, ढाबा में फ्री टॉयलेट, फ्री पानी जैसी सुविधाओं का फायदा उठा सकता है. इसका मतलब यही है कि आप किसी भी महंगे होटल, रेस्टोरेंट या बार का टॉयलेट यूज कर सकते हैं या फिर वहां पीने के लिए पानी मांग सकते हैं. ऐसा करने से आपको मना नहीं किया जा सकता है.

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निजी कार्यक्रम को लेकर होटलों में ड्रेस कोड तय हो सकता है
गौतम सिंह बताते हैं कि कई बार होटलों में निजी कार्यक्रम आयोजित होते हैं और वहां पर आयोजकों के अनुसार निजता का ख्याल रखने के लिए कुछ नियम तय किए जा सकते हैं. ऐसे में होटल किसी भी प्राइवेट इंवेंट को लेकर कोई ड्रेस कोड तय कर सकता है. मगर यह विशेष परिस्थिति में संभव है.

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