वैसे प्यार का कोई दिन नहीं होता, फिर भी आज की तारीख यानी 14 फरवरी को लोगों ने मोहब्बत के लिए मुकर्रर कर रखा है. फिजा में चारों तरफ फैली प्यार, मोहब्बत और इश्क की खुशबू के बीच बात करेंगे एक ऐसे शख्सियत की जिसे सबसे बड़ा आशिक कहा गया. आज भी दिलफेंक आशिकों को उनके नाम से ही उसे बुलाया जाता है. ये नाम है 'कैसेनोवा', जिसे किसी भी रंगीन मिजाज शख्स के उपनाम के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है.
आखिर कैसे 'कैसेनोवा' दिलफेंक आशिकी का पर्याय बन गए? चलिए जानते हैं इस नाम और उससे जुड़े शख्सियत का पूरा किस्सा. इनका पूरा नाम था गियाकोमा गिरोलामो कैसेनोवा. 1725 में इटली के वेनिस शहर में इनका जन्म हुआ था. कैसेनोवा के माता-पिता कलाकार थे और एक थियेटर में काम करते थे.
11 साल की उम्र में पहली बार किया प्यार
कैसेनोवा ने अपनी पूरी जिंदगी में करीब 200 महिलाओं से प्यार किया और उन्हें धोखा भी दिया. एक के बाद एक ताउम्र वह नए साथी की तलाश में लगे रहे. उनके बारे में कहा जाता है कि 13 से 40 साल की महिलाओं से उनके संबंध रहे थे. सबसे पहले उन्होंने 11 साल की उम्र में अपने टीचर की बेटी के साथ प्यार का खेल खेला था.
कैसेनोवा सिर्फ एक रंगीन मिजाज अय्याश या दिलफेंक आशिक ही नहीं थे. उनका सपना डॉक्टर बनने का था. उन्होंने कानून की शिक्षा ली. वो पादरी भी रहे. एक लाब्रेरियन के तौर पर भी काम किया. इन सबके बीच जिस वजह से आज भी उन्हें याद किया जाता है, वो है एक के बाद एक अलग-अलग लड़कियों और महिलों को रिझाकर उनसे प्रेम संबंध बनाना और फिर अलग हो जाना.
प्यार करने के लिए शब्द जरूरी...
कैसेनोवा के बारे में कहा जाता है कि कोई ऐसी महिला या युवती नहीं थी, जो उन्हें पसंद आ जाए और वो उसे अपना न बना सके. उन्होंने अपनी आत्मकथा 'द स्टोरी ऑफ माई लाइफ' में लिखा है कि ऐसी कोई ईमानदार महिला नहीं है, जिसके दिल में अपनी जगह नहीं बनाई जा सकती. प्यार करने के लिए आपके पास शब्द होने चाहिए. चुप रहने से प्रेम का दो तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है.
महिलाओं को लेकर अलहदा थे कैसेनोवा के विचार
वहीं कुछ जगह कैसेनोवा की महिलाओं के बारे में राय बहुत ही विरोधाभासी भी है. 14 की उम्र में 14 और 16 साल की दो चचेरी बहनों ने एक साथ उसके साथ संबंध बनाए. कैसेनोवा का कहना था कि इसी घटना ने उसको हमेशा के लिए बदल दिया. समय-समय पर कैसेनोवा की महिलाओं को लेकर सोच बदलती रही. एक और जगह उन्होंने लिखा कि अगर महिला सिर्फ खूबसूरत है, बुद्धिमान नहीं तो किसी भी अच्छे पुरुष के लिए उसका एक शरीर से ज़्यादा मतलब नहीं होगा. महिलाओं का बुद्धिमान होना एक अच्छी चीज है.
कई जगह आजमाई किस्मत
बीबीसी की एक रिपोर्ट अनुसार कैसेनोवा ने गणित, केमेस्ट्री और मेडिकल की भी पढ़ाई की. सबसे पहली नौकरी चर्च में की. जहां उसने पोप से प्रतिबंधित किताबों को पढ़ने की इजाजत मांगी. कैसेनोवा ने अपने लिखने के हुनर का इस्तेमाल बड़े अधिकारियों के सीक्रेट प्रेम पत्र लिखने में किया. एक दिन उसके कोई छिपे हुए अफेयर का राज खुल गया और उसे चर्च से निकाल दिया गया. इसके बाद उसने सेना में नौकरी की. ऑर्केस्ट्रा में वायलनिस्ट के तौर पर काम किया. वकील बना, प्रोफेशनल जुआरी बना और अंत में यूरोप के लंबे टूर पर निकल गया.
महिलाओं को इंप्रेस करने की जानता था कला
लल्लन टॉप के मुताबिक कैसेनोवा ने कई अमीर महिलाओं को अपनी बातों से इंप्रेस किया. उनके साथ अपने संबंधों के किस्सों को कहानी की तरह लिखा और बेचा. पेरिस पुलिस ने उन्हें पकड़ कर जेल में भी डाल दिया. कैसेनोवा जेल से भाग निकला. कई सालों तक वो यूरोप के अलग-अलग देशों में भागता और घूमता रहा और उन जगहों पर अलग-अलग महिलाओं को अपने प्रेम जाल में फंसाकर उन्हें धोखा देता रहा.
करीब 200 महिलाओं से रहे संबंध
कैसेनोवा के कुल 152 या उससे भी ज्यादा करीब 200 महिलाओं से संबंध रहे. मगर उनके इन संबंधों को किस्सों की तरह लिखने से वो काफी पॉपुलर हुए. 1820 में उनके परिवार वालों ने ये संस्मरण किताब की तरह जर्मन भाषा में छपवा दिए. 1960 में कैसेनोवा की किताब अंग्रेजी में छपी. इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें वो कल्ट का दर्जा मिला जिसका जिक्र आज होता है.
कैसे प्यार में पड़ जाती थी महिलाएं
एक किस्सा है कि मैनन बैलेटी उन कई महिलाओं में से एक थीं, जिनका दिल कैसानोवा ने तोड़ा था. जब वह उससे प्यार करने लगी तो वह 17 साल की थी और उसका मंगेतर 30 साल का था. शादी की उम्मीद में उसने अपने मंगेतर को छोड़ दिया. कैसानोवा को 42 प्रेम पत्र भेजे और उसे जेल से छुड़ाने के लिए हीरे की एक जोड़ी बालियां तक गिरवी रख दीं. कैसानोवा ने अपने पूरे तीन साल के प्रेम संबंध के दौरान उसे धोखा दिया.
वेनिस की गलियों के चक्कर काटते बीता दी जवानी
यह जानना असंभव है कि कैसेनोवा अपनी पसंदीदा महिला से मिलने के लिए वेनिस की गलियों में कितनी बार भागे या इसकी नहरों में नाव चलाई होगी. उसे हमेशा सावधान रहना पड़ता था, क्योंकि महिलाएं अक्सर शादीशुदा होती थीं. उन्होंने अमीर महिलाओं के चक्कर में महलों के आसपास भटकते अपनी जवानी गुजार दी.
वेनिस आने पर भी लग गया था बैन
1756 में, वेनिस शहर ने कैसेनोवा पर प्रतिबंध लगा दिया. तब वह डोगे के एक महल से किसी तरह भागने में सफल रहा था. यही वो समय था जब उसने भव्य महलों से मुंह मोड़ लिया. इसके बाद वह अलग-अलग शहरों में भटकता रहा और महिलाओं पर जादू चलाने का काम जारी रखा.
अंतिम समय लाब्रेरियन के रूप में चेक रिपब्लिक में बीता
बोहेमिया (चेक रिपब्लिक का एक शहर) में कैसानोवा 60 वर्ष की उम्र में एक लाइब्रेरियन के रूप में काम करने लगे. उम्र के इस पड़ाव पर अकेले, कड़वे, उदास और सिफलिस से पीड़ित कैसेनोवा सिर्फ बीते दिनों को याद करते थे. तब उनके डॉक्टर ने उनके अनुभवों के बारे में लिखने का सुझाव दिया और उन्होंने ऐसा किया. आज उनका संस्मरण 'द स्टोरी ऑफ माई लाइफ' एक अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर बन चुका है.
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