इस बीमारी में विदेशी भाषा बोलने लगते हैं लोग, जानिए ऐसा क्यों होता है

जर्मनी की एनेलिस मिशेल को 16 साल की उम्र से दौरे और मानसिक समस्याएं होने लगी थी. दवाइयों से ठीक न होने पर लोग समझने लगे कि उस पर बुरी आत्मा का साया है और उसके लिए Exorcism (भूत-प्रेत भगाने की क्रिया) किया गया. दावा किया गया कि इस दौरान वह कई भाषाएं बोलने लगी.

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एनेलिस मिशेल का मामला आज भी रहस्य बना हुआ है. कुछ लोग इसे भूत-प्रेत का असर मानते हैं, लेकिन साइंस कहती है कि यह इंसानी दिमाग की जटिल और दुर्लभ बीमारी थी. ( Photo: AI Generated) एनेलिस मिशेल का मामला आज भी रहस्य बना हुआ है. कुछ लोग इसे भूत-प्रेत का असर मानते हैं, लेकिन साइंस कहती है कि यह इंसानी दिमाग की जटिल और दुर्लभ बीमारी थी. ( Photo: AI Generated)

राधा तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST

हर देश के लोग अपनी बात कहने के लिए अलग भाषा का इस्तेमाल करते हैं. हर जगह का अपना लहजा और तरीका होता है, जिसे प्रेक्टिस से सीखा भी जा सकता है. लेकिन क्या बिना सीखे किसी और देश की भाषा बोलना मुमकिन है? आपने न्यूज में ऐसी खबरें जरूर देखी होंगी जहां कोई इंसान अचानक अपनी भाषा छोड़कर किसी दूसरी भाषा में बोलने लगता है.

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जर्मनी की एनेलिस मिशेल (Anneliese Michel) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. यह सुनकर किसी जादू जैसा लगता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सच में जादू है, या फिर इंसानी दिमाग की कोई जटिल गुत्थी?  कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था जर्मनी की लड़की एनेलिस मिशेल के साथ. आइए जानते हैं इसके पीछे का साइंस.

एनेलिस मिशेल की कहानी
एनेलिस मिशेल का जन्म 1952 में जर्मनी के एक बेहद धार्मिक रोमन कैथोलिक परिवार में हुआ था. 16 साल की उम्र में उन्हें दौरे पड़ने लगे. डॉक्टरों ने दौरे रोकने वाली और मानसिक बीमारी की दवाइयां दीं, लेकिन उनकी हालत और बिगड़ती गई. वह उदास रहने लगीं, डरावने चेहरे देखने लगीं और प्रार्थना करते वक्त अजीब आवाजें सुनाई देने लगींं. धीरे-धीरे वह धार्मिक प्रतीकों और क्रॉस तक को बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं.

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दवाइयों के बाद बिगड़े हालात
एनेलिस मिशेल, जो 1952 में जर्मनी में पैदा हुई थी, एक बहुत धार्मिक रोमन कैथोलिक परिवार से थी. जब वह 16 साल की हुई, तो उसे तेज दौरे आने लगे. डॉक्टरों ने उसे कई तरह की दवाइयां दीं, जैसे दौरे रोकने वाली और मानसिक बीमारी की दवाएं, लेकिन उसकी तबीयत और खराब होती गई. वह हमेशा उदास रहती, अजीब चीजें देखती-सुनती और प्रार्थना करते समय अजीब आवाजें सुनाई देती.

दिनभर दिखते डरावने शैतानी चेहरे
धीरे-धीरे उसने बताया कि उसे दिनभर डरावने शैतानी चेहरे दिखते हैं. हालत इतनी बिगड़ गई कि वह ईसाई धर्म के चिन्हों और क्रॉस जैसी पवित्र चीजों को भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी. एक दिन स्कूल में वे अचानक बेहोश हो गई. धीरे-धीरे एनेलिस मिशेल को सीरियल Hallucination (मतिभ्रम) एक ऐसी स्थिति है जहां किसी व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई, सुनाई, सूंघने, चखने या महसूस होने लगती हैं जो वास्तव में मौजूद नहीं होतीं) होने लगे. उन्हें अजीब आवाजें सुनाई देने लगी और काफी भयानक चीजें दिखने लगी, जो किसी और को नहीं दिखती थी. 

डॉक्टर भी रह गए हैरान
डॉक्टरों ने जांच कर बताया कि उन्हें Temporal Lobe Epilepsy (TLE) नामक बीमारी है. कई साल दवाइयां लेने के बावजूद भी हालत में सुधार नहीं हुआ. परिवार और आसपास के लोग मानने लगे कि एनेलिस पर किसी बुरी आत्मा का साया है. परिवार ने चर्च से गुहार लगाई कि एनेलिस का Exorcism (भूत-प्रेत भगाने का अनुष्ठान) किया जाए. लेकिन स्थानीय पादरियों ने मना कर दिया. उनका कहना था कि यह करने के लिए बिशप की अनुमति जरूरी है और फिलहाल एनेलिस को दवाइयां लेते रहना चाहिए. लेकिन धीरे-धीरे एनेलिस का व्यवहार और अजीब होने लगा. वह खाना-पीना छोड़ देतीं, खुद को चोट पहुंचाती, क्रॉस देखकर चिल्लाती और यहां तक कि कीड़े-मकोड़े खाने लगीं.

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चार भाषाओं में बोलने लगीं एनेलिस!
Exorcism के दौरान दावा किया गया कि एनेलिस मिशेल एक साथ 4 विदेशी भाषाएं बोल रही थी. हैरानी की बात ये थी कि उन्होंने ये भाषाएं कभी सीखी ही नहीं थीं. चर्च के बिशप के मुताबिक, उनके अंदर 6 अलग-अलग आत्माएं थीं, जो अलग-अलग भाषा में बात कर रही थीं.

अमेरिका में भी आया ऐसा मामला
यही नहीं, ऐसा ही एक और मामला अमेरिका में सामने आया. एक शख्स होटल में बेहोश मिला और जब होश आया तो वह अचानक स्वीडिश भाषा में बोलने लगा. जबकि उसके डॉक्यूमेंट्स से साफ था कि वह अमेरिकी है और उसने कभी स्वीडिश नहीं सीखी थी. बाद में जांच में पता चला कि ये किसी भूत-प्रेत की वजह से नहीं, बल्कि दिमाग की एक दुर्लभ बीमारी की वजह से हुआ.

क्या है Foreign Accent Syndrome?
इस बीमारी को Foreign Accent Syndrome (FAS) कहा जाता है. इसमें इंसान के बोलने का तरीका अचानक बदल जाता है. वह अपनी ही भाषा को ऐसे उच्चारण के साथ बोलता है कि सुनने वाले को लगता है जैसे वह विदेशी भाषा बोल रहा है. यह बीमारी दिमाग के बाएं हिस्से (Broca’s Area) में चोट या गड़बड़ी की वजह से होती है, जो स्पीच को कंट्रोल करता है.

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कैसे होती है ये बीमारी?
अगर दिमाग की नसों में ब्लड सप्लाई रुक जाए या स्ट्रोक हो जाए तो यह बीमारी हो सकती है. ये दो तरह की होती है.
Structural FAS: स्ट्रोक या दिमागी चोट की वजह से.
Functional FAS: माइग्रेन या मानसिक कारणों से.
कई बार दिमाग में हद से ज्यादा एक्टिविटी (Hyper Activity) होने से भी यह समस्या हो सकती है.

बहुत रेयर है ये बीमारी
हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे Psychogenic FAS भी कहते हैं. यह बेहद रेयर बीमारी है और दुनिया के बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं. मरीजों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि लोग उनकी बातों पर विश्वास नहीं करते और समाज में उनसे दूरी बनाने लगते हैं. इस वजह से पीड़ित लोग अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य और बिगड़ जाता है.

बीमारी में अलग तरीके से बोलने लगता है इंसान
ये एक अजीब तरह की बीमारी है, जिसमें इंसान के बोलने का तरीका एकदम से बदल जाता है. यानि इंसान शब्दों के अलग तरह से उच्चारण करने लगता है. आपने ये जरुर नोटिस किया होगा कि दुनिया भर के देशों के लोगों का उच्चारण एक दूसरे से बहुत अलग होता है. इस बीमारी से पीड़ित लोग अपने ही भाषा को किसी दूसरे Accent में बोलने लगते हैं. जिससे सुनने वाले को लगता है कि सामने वाला किसी दूसरे भाषा में बात कर रहा है. ये बीमारी काफी रेयर है और ये दिमाग के बाएं हिस्से ( Brocus) में चोट लगने के कारण होती है. क्योंकि, दिमाग का यही हमारे  स्पीच को कंट्रोल करता है. इसलिए इंसान के बोलने का तरीका एकदम बदल जाता है. 

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कई कारण से हो सकती है बीमारी
अगर दिमाग के इस इस एरिया में ब्लड सप्लाई रुक जाए या दिमाग की नसें फट जाए तो यह बीमारी हो सकती है. Foreign Accent syndrome दो तरह का होता है. पहला Structural और दूसरी Functional.Structural foreign Accent syndrome स्ट्रोक की वजह से दिमाग के उन हिस्सों के डैमेज होने से होता है,  जो स्पीच में मदद करने वाली मसल्स को कंट्रोल करते हैं और Functional foreign accent syndrome माइग्रेन या मेंटल हेल्थ की वजह से होता है, जिसमें दिमाग के कुछ हिस्सों में Disorganised activity यानि अव्यवस्थित एक्टिविटी या हाइपर एक्टिविटी मतलब जरुरत से ज्यादा एक्टिविटी पाई जाती है. 

कई लोग इस बीमारी को जानते तक नहीं
हेल्थ एक्सपर्ट इसे Psychogenic FAS भी कहते हैं. यह बीमारी साइकोलॉजिकल कारणों की वजह से होती है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज जिस Accent में बात करने लगते हैं, हो सकता है वे Accent उन्होंने कभी सुना भी न हो. ये बीमारी सुनने में उतनी गंभीर नहीं लगती है. लेकिन पेशेंट की स्थिति काफी खराब हो जाती है. ये एक काफी रेयर बीमारी है, इसलिए दुनिया के ज्यादातर लोग इसके बारे में जानते ही नहीं हैं.

जो लोग इस बीमार के शिकार हो जाते हैं, उनके लिए ये साबित करना काफी मुश्किल हो जाता है कि वे सच में किसी परेशानी से गुजर रहे हैं. इसके साथ ही लोग उनसे बात करने में भी कतराते हैं. इस तरह के पेशेंट को समाज में रहकर भी अकेलेपन से जूझना पड़ता है. ये सभी वजहें मिलकर उनके मेंटल हेल्थ को और खराब कर देती हैं.

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