जिन्हें देश की गुलामी सख्त नापसंद थी...

खुदीराम बोस महज 18 साल की उम्र में देश को आजाद करने के क्रम में शहीद हो गए थे. उन्हें अंग्रेजों ने साल 1908 में 11 अगस्त के रोज फांसी पर चढ़ा दिया था.

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Khudiram Bose Khudiram Bose

विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST

ऐसी उम्र में जब अधिकांश युवा अपने करियर, अपनी फैमिली और अपनी ग्रोथ को लेकर परेशान होते हैं. ठीक उसी उम्र में कोई क्रांतिकारी योद्धा देश के लिए सूली पर चढ़ गया था. महज 18 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले इस महान शख्सियत का नाम खुदीराम बोस था. वे साल 1908 में 11 अगस्त के रोज शहीद हुए थे.

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1. जब उन्हें फांसी हुई थी, उनकी उम्र 18 साल 8 महीने और 8 दिन थी.

2. ब्रिटिश मजिस्ट्रेट की हत्या की कोशिश में बोस और साथी क्रांतिकारी प्रफुल्ला चकी ने गलती से उस रेल डिब्बे में धमाका कर दिया, जिसमें अंग्रेज महिलाएं सवार थीं. इस धमाके में वे मारी गईं.

3. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही क्रांतिकारी बन गए थे. श्री ऑरोबिंदो और बहन निवेदिता का उन पर काफी असर था.

4. 16 साल की उम्र में बोस ने पुलिस थानों के करीब और सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाकर बम धमाके किए.

 

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