Kano Jigoro: बुली से परेशान होकर सीखा था जुजुत्‍सू, जानें कानो जिगोरो कैसे बने 'जूडो के पिता'

Kano Jigoro Google Doodle: जूडो नाम का अर्थ है "सौम्य तरीका" और इसे खेल न्याय, शिष्टाचार, सुरक्षा और शील जैसे सिद्धांतों पर बनाया गया है. कानो ने मार्शल आर्ट को लोगों को एक साथ लाने के तरीके के रूप में विकसित किया चाहे इसका तरीका देखने में हिंसक ही क्‍यों न लगता हो.

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Google Doodle Kano Jigoro: Google Doodle Kano Jigoro:

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 28 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST
  • 11 साल की उम्र में कानो टोक्‍यो चले गए
  • बुली से परेशान होकर कानो ने जुजत्‍सु सीखा

Kano Jigoro Google Doodle: गूगल आज अपने डूडल के माध्‍यम से जापनी प्रोफेसर और 'जूडो के पिता' कहलाने वाले 'कानो जिगोरो' का 161वां जन्‍मदिन मना रहा है. आज का डूडल लॉस एंजिल्‍स के कलाकार सिंथिया युआन चेंग ने बनाया है जिसमें कानो कई सारे जूडो के पोज़ में दर्शाए गए हैं. जूडो नाम का अर्थ है "सौम्य तरीका" और इसे खेल न्याय, शिष्टाचार, सुरक्षा और शील जैसे सिद्धांतों पर बनाया गया है. कानो ने मार्शल आर्ट को लोगों को एक साथ लाने के तरीके के रूप में विकसित किया चाहे इसका तरीका देखने में हिंसक ही क्‍यों न लगता हो.

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1860 में मिकेज (अब कोबे का हिस्सा) में जन्मे, कानो 11 साल की उम्र में अपने पिता के साथ टोक्यो चले गए. उन्हें स्कूल में एक विलक्षण बच्चे के रूप में जाना जाने लगा, लेकिन उन्हें अक्सर दूसरे छात्र परेशान करते रहते थे. ताकत बढ़ाने के लिए, वह जुजुत्सु की मार्शल आर्ट का अध्ययन करने के लिए दृढ़ हो गए. टोक्यो विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान, उन्हें आखिरकार एक ऐसा व्यक्ति मिल गया जो जिसने उन्‍हें जुजुत्सु मास्टर और पूर्व समुराई फुकुदा हाचिनोसुके सिखाया.

जूडो का जन्म पहली बार जुजुत्सु के बीच हुए एक मैच के दौरान हुआ था, जब कानो ने अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी को मैट पर लाने के लिए एक पश्चिमी कुश्ती की चाल को शामिल किया. जुजुत्सु में उपयोग की जाने वाली सबसे खतरनाक तकनीकों को हटाकर, उन्होंने "जूडो" बनाया, जो कानो के व्यक्तिगत दर्शन सेरीयोकू-ज़ेन्यो (ऊर्जा का अधिकतम कुशल उपयोग) और जिता-क्योई (स्वयं और दूसरों की पारस्परिक समृद्धि) पर आधारित एक सुरक्षित और सहकारी खेल है. 1882 में, कानो ने टोक्यो में अपना खुद का डोजो (एक मार्शल आर्ट जिम), कोडोकन जूडो संस्थान खोला, जहां उन्होंने वर्षों तक जूडो सिखाया. उन्होंने 1893 में महिलाओं का भी खेल में स्वागत किया.

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कानो 1909 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के पहले एशियाई सदस्य बने और 1960 में IOC ने जूडो को एक आधिकारिक ओलंपिक खेल के रूप में मंजूरी दी. गूगल आज कानो का 161वां जन्‍मदिन मना रहा है.

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