Fake Medicines Gang Exposed in Delhi: दवाएं किसलिए खऱीदी जाती हैं? मरीज की जान बच जाए. बीमार है तो स्वस्थ हो जाए. लेकिन अगर प्राण रक्षक दवाएं प्राण घातक हो जाएं तो? देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा गैंग सक्रिय है, जो नकली दवाएं बनाता है. और दवाओं के नाम पर टॉक्सिक केमिकल सप्लाई करता है. आखिर ये कौन लोग हैं? इनके मददगार कौन हैं? कब से चल रहा है मौत बेचने का ये कारोबार? आपको इस गैंग के बारे में बताएंग हर एक सच. फिलहाल, खबर ये भी है कि पुलिस ने इस नकली दवा गैंग के मास्टरमांइड समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया है.
इंजेक्शंस की खाली शीशी में बंद 'शर्तिया' मौत
दिल्ली में कैंसर की नकली दवा का कारोबार जोरो पर है. 5000 में शीशी और 100 रुपये की नकली दवा का बड़ा खेल करने वाले नकली दवाओं के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. जिसकी हकीकत सामने आने पर हर कोई दहल गया. दिल्ली पुलिस के कब्जे में ऐसे शातिर आए हैं, जिनके पास शर्तिया मौत का पक्का इलाज है. गुरुग्राम साउथ सिटी के एक फ्लैट में दवाओं का वो स्टॉक रखा गया था, जिससे मरीज तो बेहाल हो जाए और उसके तीमारदार कंगाल.
कैंसर के सस्ते इलाज का झांसा
असल में ये समाज को वो कैंसर हैं, जो कैंसर की दवा के नाम पर जिंदगी को सरेआम मौत के हवाले करने का धंधा कर रहे थे. ये वो गैंग है जो दिल्ली में बैठकर दिल्ली के बाहर से यहां अपने मरीजों के कैंसर का इलाज करवाने आए लोगों को शिकार बनाता था. उन्हें कैंसर का सस्ता इलाज और सस्ती दवाओं का झांसा दिया जाता था. इस गैंग के काले कारनामों का खुलासा सुनकर आपको घिन आने लगेगी. दिल्ली के अस्पतालों के बाहर दिखने वाली भारी भीड़ में इस गैंग के लिए आसान शिकार मिल जाते हैं.
नकली दवा बेचने वाला असली गिरोह
असल में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली दवाओं के इस बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस रैकेट में शामिल आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से दो आरोपी दिल्ली के बड़े कैंसर अस्पताल के कर्मचारी हैं. पुलिस ने जब गुरुग्राम के एक फ्लैट में छापा मारा तो वहां मौजूद आरोपियों के पास से कैंसर की कुल नौ ब्रांड्स की नकली दवाइयां बरामद हुईं. इनमें से सात दवाइयां विदेशी ब्रांड्स की हैं जबकि दो भारत में बनाई जाने वाली नकली दवाइयां हैं.
विदेशी मरीजों को भी बनाते थे शिकार
पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनकी शिनाख्त विफल जैन, सूरज शत, नीरज चौहान, प्रवेज, कोमल तिवारी, अभिनय कोहली और तुषार चौहान के तौर पर हुई है. इनमें से नीरज चौहान गुरुग्राम का रहने वाला है, जबकि बाकी आरोपी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के रहने वाले हैं. पुलिस का कहना है कि आरोपियों के टारगेट पर दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीज होते थे, खासतौर से हरियाणा, बिहार, नेपाल या फिर अफ्रीकी देशों से आने वाले मरीजों को वे अपना शिकार बनाते थे.
ऐसे तैयार होती थी कैंसर की नकली दवा
अभी तो ये महज शुरूआत है. पुलिस को अंदेशा है कि अभी इस गैंग के जरिए इनके बड़े नेटवर्क तक पहुंचने में मदद मिल सकती है. ये गैंग कितना बड़ा है. इसने कहां-कहां दवाएं सप्लाई की. किन-किन लोगों को दवाएं दी. इसकी जांच जारी है. अब ये समझने की कोशिश करते हैं कि ये गैंग काम कैसे करता था. इस केस में कुल 3 ज्वाइंट हैं. असली दवाओं की खाली शीशी. जो कैंसर अस्पताल से मिलती थी. फिर उसी शीशी में टॉक्सिक दवाई भरते थे. ब्रांडेड कंपनियों के स्टीकर सील मुहर लगाकर पैकिंग करते थे. और ऐसे तैयार हो जाती थी कैंसर की नकली दवा.
ऐसे होती थी शिकार की तलाश
पुलिस ने जब दवा के इस कैंसर यानी गैंग को दबोचा तो उनका काम करने का जो तरीका सामने आया उसने सभी हो बुरी तरह से हैरत में डाल दिया. असल में चंद रुपयों के लालच में ये गैंग उन तमाम लोगों को अपनी इस नकली दवा के लिए टारगेट करता था, जो दिल्ली के बाहर से आकर यहां इलाज करवाते थे. उन्हें ये गैंग सस्ती दवा देने का झांसा देकर अपने चंगुल में फंसाता था.
महंगे इंजेक्शन ब्रांड के नाम का इस्तेमाल
पकड़े गए गैंग के लोगों में दो लोग ऐसे हैं जो कैंसर अस्पताल में काम करते हैं, उनके नाम है कोमल तिवारी और अभिनय कोहली. अभिनय और कोमल पांच हजार रुपये प्रति शीशी की कीमत पर खाली शीशियां उपलब्ध करवाते थे. उनके पास से खाली शीशियां और पैकेजिंग सामग्री भी बरामद की गई. बिफिल नाम का आरोपी ही इस पूरे गोरखधंधे का मास्टरमाइंड है. उसके ही दिमाग में कैंसर की दवा को रीफिल करके बेचने का ख्याल आया था. मोटी कमाई के लालच में आकर उसने महंगे इंजेक्शन ब्रांड को टारगेट किया. बिफिल सीलमपुर के एक मेडिकल स्टोर में काम करता था. बाद में थोक बाजार से मेडिकल स्टोर्स को दवा सप्लाई करने लगा था. खाली शीशी में वो फ्लूकोनोजोल नाम की दवा भर देता था. ब्रांड के हिसाब से इंजेक्शन को 1 से 3 लाख का बेचा जाता था.
एक खाली शीशी की कीमत पांच हजार!
एक आरोपी प्रवेज डॉक्टर फार्मेसी नाम से शॉप चलाता था. कोमल तिवारी उसका पार्टनर है. वे विफिल जैन को इंजेक्शनों की खाली शीशियां सप्लाई करते थे. अभिनय कोहली फार्मासिस्ट है और कैंसर अस्पताल के साइटो टॉक्सिक एडमिक्सचर यूनिट में काम कर रहा था. अभिनय कोहली ही शीशियों का सप्लायर है. वह प्रवेज को शीशियां सप्लाई करता था. एक शीशी के लिए उसे पांच हजार रुपये मिलते थे.
अपने-अपने काम में माहिर हैं सभी आरोपी
आरोपी तुषार चौहान लैब टेक्नीशियन है. वह भागीरथ प्लेस में नकली दवा की आपूर्ति के लिए नीरज चौहान के साथ काम कर रहा था. मास्टरमाइंड विफिल जैन के निर्देशानुसार खाली शीशियों को भरते थे और कैप सीलिंग मशीनों की मदद से उन्हें सप्लाई करते थे. नीरज चौहान ग्रेजुएट है. उसने एक निजी संस्थान से मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन का वोकेशनल कोर्स भी किया है. वो 16 साल तक दिल्ली और गुरुग्राम के अस्पतालों में बतौर मैनेजर काम कर चुका है. मेडिकल टूरिज्म के नाम से खुद की कंपनी चलाता है. भारत आकर कैंसर का इलाज कराने वाले उसके टारगेट होते थे. कीमोथैरेपी के नकली इंजेक्शन सप्लाई करने के लिए उसने अपने चचेरे भाई तुषार को पार्टनर बनाया था.
हिमांशु मिश्रा