11 साल की बच्ची का यौन शोषण, 7 साल बाद कोर्ट ने अपराधी को सुनाई 10 साल की सजा

Thane Sexual Assault Case: ठाणे की अदालत में 11 साल की बच्ची की गवाही और उसकी मां के साहस ने अपराधी को बेनकाब कर दिया. अदालत ने उसे 10 साल सश्रम कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.

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ठाणे में मासूम बच्ची से दरिंदगी के दोषी के लिए सजा का ऐलान. (Photo: Representational) ठाणे में मासूम बच्ची से दरिंदगी के दोषी के लिए सजा का ऐलान. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • ठाणे,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे की अदालत का हालिया फैसला नजीर पेश करने वाला है. यहां साल 2018 में 11 साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के दोषी संतोष भीमराव वानखेड़े (32) को अदालत ने 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, जो अपील अवधि के बाद पीड़िता को दिया जाएगा.

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.एस. देशमुख ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. उन्होंने साफ कर दिया कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने वाले अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. अदालत ने आरोपी को पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया. इसके बाद उसके लिए सजा का ऐलान किया.

जानकारी के मुताबिक, ये मामला 19 मई, 2018 की सुबह का है. ठाणे के मुंब्रा इलाके से बच्ची अचानक लापता हो गई थी. पीड़िता की मां ने अदालत में बताया कि वो अपनी बेटी के साथ सो रही थी. इस बीच उसने पाया कि उसकी बेटी बिस्तर से गायब है. वो घबरा गई. बेटी को खोजने लगी. इसी दौरान बच्ची घायल अवस्था में पहाड़ी से नीचे उतरती दिखी.

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपी बच्ची के घर आया. उसका मुंह दबाकर उसे पहाड़ी पर ले गया. वहां उसके साथ मारपीट करने के बाद उसका यौन उत्पीड़न किया. इतना ही नहीं आरोपी ने धमकी दी कि यदि बच्ची ने किसी को इस घटना के बारे में बताया तो वो उसके भाइयों को जान से मार डालेगा. बच्ची उसकी धमकी से बुरी तरह डर गई.

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हालांकि, डरी-सहमी बच्ची ने साहस जुटाकर अदालत में बयान दिया. न्यायाधीश ने कहा कि उसका बयान मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान से हूबहू मेल खाता है. इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही कोई बनावटीपन. बच्ची के शब्द ही आरोपी की पहचान और अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त रहे. अदालत ने आरोपी के बचाव पक्ष को खारिज कर दिया.

इसमें आरोपी की तरफ से कहा गया कि पीड़ित लड़की का परिवार उससे नाराज था. वो उनसे अपना मकान खाली करने के लिए कह रहा था. लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि यह तर्क पूरी तरह झूठा और निराधार है. अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा जाए ताकि पीड़िता को नियमों के अनुसार अतिरिक्त मुआवजा मिल सके.

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