रूस-यूक्रेन जंग में बंदी बना हैदराबाद का मोहम्मद अहमद, नौकरी के नाम पर भेजा गया था रूस, नौकरी के नाम पर हुआ धोखा

हैदराबाद का मोहम्मद अहमद नौकरी के नाम पर रूस भेजा गया, लेकिन वहां उसे रूस-यूक्रेन जंग में जबरन लड़ने को मजबूर कर दिया गया. अब उसकी पत्नी ने विदेश मंत्री जयशंकर से मदद की गुहार लगाई है, जबकि AIMIM प्रमुख ओवैसी ने भी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.

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अहमद ने एक वीडियो जारी करके मदद की गुहार लगाई है (फोटो-वीडियो ग्रैब) अहमद ने एक वीडियो जारी करके मदद की गुहार लगाई है (फोटो-वीडियो ग्रैब)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST

हैदराबाद का 37 वर्षीय मोहम्मद अहमद रूस की धरती पर जिंदगी और मौत के बीच फंसा हुआ है. अहमद को एक मुम्बई स्थित एजेंट ने रूस की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर भेजा था. लेकिन वहां पहुंचते ही उसकी दुनिया उलट गई. अहमद को रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर भेज दिया गया, जहां उसे युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर किया गया. उसने खुद एक वीडियो जारी कर बताया कि उसे बंदूक की नोक पर युद्ध के लिए भेजा जा रहा है.

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पत्नी ने लगाई विदेश मंत्री से गुहार
अहमद की पत्नी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर अपने पति को रूस से सुरक्षित वापस लाने की गुहार लगाई है. उसने बताया कि उसके पति को एजेंट ने अप्रैल 2025 में नौकरी के नाम पर रूस भेजा था. लेकिन वहां कोई काम नहीं मिला. एक महीने तक इंतजार के बाद अचानक अहमद समेत 30 लोगों को एक दूर-दराज इलाके में ले जाकर हथियारों की ट्रेनिंग दी गई.

लड़ो या मरो की धमकी
पत्नी के मुताबिक, अहमद को और कई भारतीयों को जबरन हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई. किसी को भी नौकरी नहीं मिली, बल्कि सबको सैनिकों की तरह तैयार किया गया. बाद में 26 भारतीयों को बॉर्डर पर भेजने की तैयारी शुरू हुई. अहमद ने बताया कि जब उसने जाने से इनकार किया, तो रूसी सैनिकों ने उस पर बंदूक तान दी और धमकी दी कि या तो लड़ो, या मारे जाओ.

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चलती गाड़ी से कूदा, टूटा पैर
रूसी सैनिकों द्वारा जब अहमद और बाकी भारतीयों को बॉर्डर पर भेजा जा रहा था, तब उसने जान बचाने के लिए सेना के ट्रक से छलांग लगा दी. इस दौरान उसका पैर टूट गया. अहमद के पैर में प्लास्टर चढ़ा है, लेकिन घायल हालत में भी उसे धमकाया जा रहा है कि या तो युद्ध में जाओ या गोली खाओ.

वीडियो संदेश में मदद की गुहार
अपने वीडियो संदेश में अहमद ने कहा, “जहां मैं हूं वहां जंग चल रही है. हमने चार भारतीयों ने लड़ने से इनकार कर दिया तो हथियार तान दिए गए. मेरे पैर में प्लास्टर है, मुझे बचा लीजिए. एजेंट ने धोखा दिया और नौकरी के बहाने फंसा दिया.” उसने अपनी जान बचाने की गुहार भारत सरकार से लगाई.

ओवैसी ने उठाई आवाज़
अहमद की पत्नी और परिवार ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की और उनसे मदद मांगी. ओवैसी ने तुरंत विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अहमद की स्थिति पर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में भारत सरकार को सक्रिय हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि कोई भारतीय विदेशी युद्ध का मोहरा न बने.

भारतीय दूतावास सक्रिय
मास्को स्थित भारतीय दूतावास ने अहमद के मामले में त्वरित कार्रवाई की है. दूतावास ने रूसी अधिकारियों से संपर्क कर अहमद की सुरक्षित रिहाई और भारत वापसी की मांग की है. दूतावास की ओर से ओवैसी को लिखे पत्र में कहा गया कि सभी भारतीय नागरिकों को रूसी सेना से जल्द मुक्त कराने के लिए प्रयास जारी हैं. दूतावास के अधिकारी ने कहा कि दूतावास अहमद के बारे में किसी भी अन्य जानकारी से परिवार को अवगत कराता रहेगा.

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फर्जी एजेंट्स पर सख्त कार्रवाई की मांग
इस पूरे मामले ने एक बार फिर भारत में बैठे फर्जी विदेश एजेंट्स के रैकेट को बेनकाब किया है, जो बेरोजगार युवाओं को नौकरी के बहाने जंग के मैदान में भेज रहे हैं. अहमद की पत्नी और कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से ऐसे एजेंट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. अहमद की जिंदगी अब भारत सरकार की त्वरित कार्रवाई पर टिकी है.

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