Delhi Sigma Gang Encounter: दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने रोहिणी इलाके में खुफिया इनपुट के आधार पर एक ऐसे एनकाउंटर को अंजाम दिया, जिसकी गोलियों की थर्राहट बिहार तक सुनाई पड़ी. असल में इस एनकाउंटर में बिहार के कुख्यात सिगमा गैंग के चार खूंखार बदमाश ढेर हो गए. जिसमें इस गैंग का सरगना रंजन पाठक भी शामिल था. रंजन वो बदमाश था, जो बिहार में ऐलानिया सुपारी लेकर कत्ल करता और कत्ल के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख कर पुलिस को चुनौती देता था.
दिल्ली के रोहिणी इलाके में मौजूद है बहादुर शाह जफर रोड. आम तौर पर इस रोड पर भीड़ कम ही रहती है और जब बात आधी रात की हो, तो ये भीड़ और भी कम हो जाती है. लेकिन इसी बहादुर शाह जफर रोड पर 22 और 23 अक्टूबर की दरम्यानी रात को दिल्ली पुलिस और खूंखार गैंगस्टरों के बीच पहले एक हॉट चेज़ और फिर ऐसा एनकाउंटर हुआ कि सुबह होते-होते वो खबर देश की सबसे बड़ी सुर्खियों में शामिल हो गई.
असल में इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने एक-एक कर 4 ऐसे खूंखार बदमाशों को मार गिराया, जो बिहार पुलिस और वहां की कानून व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने थे.
सिगमा गैंग... जी हां, यही नाम था बदमाशों के इस गैंग का, जिसके सरगना रंजन पाठक ने पुलिस की नाक में दम कर रखा था. बिहार से दिल्ली पहुंचे ये बदमाश एक जाली नंबर वाली हचबैक कार में इसी इलाके से गुजर रहे थे. बिहार पुलिस से दिल्ली पुलिस को इन बदमाशों के में जानकारी मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने इनका पीछा करना शुरू किया.
पहले पुलिस ने उन्हें मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लिया, उन्हें इंटरसेप्ट किया और फिर रात के अंधेरे में भाग बदमाशों से खुद को कानून के हवाले कर देने की बात कही, लेकिन बदमाशों ने उल्टा पुलिस पर ही फायरिंग शुरू कर दी और इसकी कीमत कार में बैठे चारों के चारों बदमाशों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
बदमाशों में सिगमा गैंग के सरगरना रंजन पाठक के अलावा उसके तीन और गुर्गे बिमलेश महतो, मनीष पाठक और अमन ठाकुर शामिल थे. जाहिर है इन बदमाशों का सफाया हो जाने पर बिहार पुलिस ने राहत की सांस ली है. हाल के दिनों में प्रशांत पाठक और उसके गैंग ने जिस तरह की ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिया था, उससे बिहार पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई थी.
सिगमा एंड कंपनी नाम के इस गैंग की मॉडस ऑपरेंडी सीधी सी थी. इस गैंग के बदमाश मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले थे और सीतामढी में इनकी पूरी क्राइम कुंडली है. बिहार पुलिस इस गैंग की तलाश लंबे समय कर रही थी. लेकिन ये बदमाश इतने शातिर थे कि हर बार पुलिस को चकमा देकर बच निकलते थे.
कभी नेपाल तो कभी दिल्ली तो कभी सीताममढी. रंजन पाठक बेहद खूखार अपराधी था. इसको कानून और पुलिस का कोई डर नहीं था. एक बार जब ये सुपारी ले लेता था तो सीतामढ़ी से भागकर नेपाल चला जाता और फिर नेपाल से अपने गुर्गों को कमांड देकर वारदात करवाता था. अपराध के बाद रंजन पाठक अपने गुर्गों के साथ नेपाल से दिल्ली भाग जाता था.
रंजन पाठक अपने अपराधों का बायोडाटा खुद बनाता था. उसे सोशल मीडिया पर शेयर करता था. सीतामढ़ी में इसका गैंग जब कोई वारदात करता था तो वो उसकी जिम्मेदारी भी लेता था.
रंजन पाठक के खिलाफ बिहार में सात एफआईआऱ दर्ज हैं. जिसमें आर्म्स एक्ट के केस भी शामिल हैं. बिमलेश महतो और अमन ठाकुर के खिलाफ 4-4 केस दर्ज हैं. जिनमें हत्या और आर्म्स एक्ट जैसी गंभीर धाराएं लगी हैं. जो चार बदमाश दिल्ली एनकाउंटर में मारे गए हैं, उनमें से मनीष पाठक अकेला ऐसा था, जिसकी कोई क्राइम कुंडली नहीं मिली है. पुलिस अभी भी उनका इतिहास खंगाल रही है.
(दिल्ली से हिमांशु मिश्र का इनपुट)
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