गुजरात के गांधीनगर में साइबर क्राइम यूनिट ने एक बड़े मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो पाकिस्तानी हैंडलरों और चाइनीज़ गैंग्स के साथ मिलकर भारतीय नागरिकों को म्यांमार, वियतनाम, दुबई और मलेशिया भेजते थे. वहां उनको बंधक बनाकर उनसे साइबर क्राइम करवा जाता था.
एसपी राजदीप सिंह झाला के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में जूनागढ़ की सोनल फडदू, संजय फडदू और आनंद जिले का शैलेश डाभी शामिल हैं. यह गैंग अपने एजेंटों के साथ मिलकर गुजरात के लोगों को विदेशी कंपनियों में ऊंचे पगार का मौका बताकर विदेश भेजता था. जॉब की प्रोफाइल डाटा एंट्री बताई जाती थी. टिकट भी इन्हीं के नेटवर्क के जरिए बुक की जाती थी.
पुलिस जांच में सामने आया कि तीनों आरोपियों ने पाकिस्तान के एजेंट मियाज अली और तनवीर के साथ मिलकर अब तक कुल 41 भारतीय नागरिकों को अलग-अलग देशों में भेजा है. इसमें म्यांमार में 5, दुबई में 15, वियतनाम में 15 और मलेशिया में 6 लोग शामिल थे. जैसे ही कोई भारतीय नागरिक इन देशों के एयरपोर्ट पर पहुंचता, चाइनीज़ गैंग के एजेंट उनको अपने कब्जे में कर लेते.
ये एजेंट उनके पासपोर्ट, मोबाइल और सभी डॉक्यूमेंट जब्त कर लेते थे. उन्हें पूरी तरह बंधक बना लेते थे. इसके बाद इन नागरिकों को अवैध तरीके से मोई नदी के रास्ते बॉर्डर क्रॉस करवाकर म्यांमार ले जाया जाता था. वहां म्यावाड़ी टाउनशिप में स्थित कुख्यात केके पार्क और दूसरे गैरकानूनी चाइनीज़ हब में इन लोगों को साइबर गुलामी में धकेला जाता था.
यहां उनसे फिशिंग, क्रिप्टो स्कैम, पोंजी स्कीम, डेटिंग एप फ्रॉड जैसे साइबर अपराध जबरदस्ती करवाए जाते थे. कोई विरोध करे तो उसे बुरी तरह पीटा जाता था, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न दिया जाता था. उनको कई महीनों तक गैरकानूनी हिरासत में रखा जाता था. तीनों गिरफ्तार आरोपी पाकिस्तान स्थित साइबर सिंडिकेट और चीनी साइबर माफियाओं के साथ मिलकर रैकेट चला रहे थे.
इनका एकमात्र मकसद आर्थिक लाभ कमाना था. इसके लिए भले ही भारतीय लोगों की जिंदगी को नरक में क्यों न बदलना पड़े. पुलिस का कहना है कि यह नेटवर्क अंतरराज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है. गांधीनगर के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने विदेश जाने के इच्छुक लोगों को आगाह किया है कि किसी भी एजेंट के भरोसे विदेश जाने से पहले पूरी जानकारी हासिल करें.
अतुल तिवारी