यूपी का मोस्ट वॉन्टेड विकास दुबे उज्जैन में जब गिरफ्तार किया गया था, तो वहां एक सिपाही ने विकास दुबे को हथकड़ी पहनाने की कोशिश की थी. लेकिन उस सिपाही को विकास दुबे ने कुछ ऐसा कह दिया था, जिसे सुनकर वहां मौजूद सारे पुलिसवाले सकते में आ गए थे. इस बात का खुलासा अब उसकी मौत के बाद हुआ है. उज्जैन पुलिस के हवाले से पता चला कि जब उसे महाकाल मंदिर के बाहर एक सिपाही ने हथकड़ी पहनाने की कोशिश की थी, विकास दुबे अपना आपा खो बैठा था. उसने कुछ ऐसा बोला था कि फिर उसे हथकड़ी पहनाई ही नहीं गई.
विकास दुबे का कथित एनकाउंटर होने के बाद कहा जा रहा है कि अगर उज्जैन से कानपुर लाते वक्त विकास दुबे के हाथ बंधे होते, तो ना वो भाग सकता था और ना ही पुलिस वालों की पिस्टल छीन सकता था. कानपुर शहर में दाखिल होने से ऐन पहले हुए विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर पुलिसवालों पर कई सवाल उठे. लोगों ने ये भी पूछा कि जब एसटीएफ विकास दुबे जैसे बर्बर अपराधी को साथ लेकर आ रही थी, तो विकास दुबे के हाथों में हथकड़ी क्यों नहीं लगाई और क्यों खुद एसटीएफ़ के अधिकारियों ने अपने हथियार संभाल कर नहीं रखे.
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इसी वजह से विकास दुबे को एसटीएफ की गाड़ी पलट जाने के फौरन बाद उनके हथियार छीनकर भागने का मौका मिल गया. लेकिन अब विकास दुबे और हथकड़ी को लेकर जो खुलासा हुआ है, वो अपने-आप में चौंकाने वाला है.
सूत्रों की मानें तो उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद जब एक कांस्टेबल ने विकास दुबे को हथकड़ी पहनाने की कोशिश की, तो वो अचानक आपे से बाहर हो गया और उसने हथकड़ी पहनने से मना कर दिया. जब सिपाही ने जबरन हथकड़ी पहनाने की कोशिश की. तो उसने पुलिस अधिकारियों के सामने ही कांस्टेबल को धमकाते हुए कहा कि अगर वो यही काम बिकरू में करता, तो वो उसे ज़िंदा जला देता और किसी को पता भी नहीं चलता. विकास दुबे की ये बात सुनकर कुछ देर के लिए वहां मौजूद उज्जैन पुलिस के जवान भी सन्नाटे में आ गए थे.
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हालांकि बताते हैं कि इसके बाद पुलिसवालों ने विकास दुबे को दो थप्पड़ भी रसीद कर दिए थे. असल में विकास दुबे ये मान कर चल रहा था कि पुलिस उसे नहीं पकड़ पाई, बल्कि उसने खुद ही अपनी गिरफ्तारी दी यानी सरेंडर किया है. ऐसे में पुलिस को उसे हथकड़ी पहनाने का कोई हक नहीं है. विकास दुबे ने पुलिस से ये भी कहा कि वो चाहता तो अभी और भाग सकता था, लेकिन महाकाल मंदिर में दर्शन करने के बाद वो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपनी सरेंडर के लिए याचिका दाखिल करवाने की तैयारी में था. इसके लिए उसकी कुछ वकीलों से बातचीत भी चल रही थी.
विकास दुबे से पहली पूछताछ करनेवाली पुलिस टीम के सूत्रों का कहना है कि उज्जैन में सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने अपनी गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को लगने लगा था कि अब पुलिस उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती. कम से कम उसका एनकाउंटर तो कतई नहीं हो सकता. यही वजह है कि अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही वो फिर से रंगबाज़ी करने लगा था. उसने पुलिस के ज़्यादातर सवालों का सीधे जवाब देने की बजाय घुमा-फिरा कर बातें की थी. लेकिन उसे नहीं पता था कि कानपुर में मौत उसका इंतजार कर रही थी.
aajtak.in / परवेज़ सागर