Ludhiana: मोना, मनी, साजिश और 9 करोड़ की हाइस्ट... हैरान कर देगी सबसे बड़ी लूट की इनसाइड स्टोरी

एक जालसाज महिला, जिसे खुद को 'वकील साहिबा' कहलाने का शौक था. एक पेंटर. एक कारपेंटर. एक कैटरर. एक मजदूर. एक एसी मैकेनिक और एक ईंट भट्टे का मजदूर तो बाकी कुछ और.. पंजाब में हाल के दिनों में हुई सबसे बड़ी डकैती की वारदात में शामिल किरदारों की असलियत कुछ ऐसी ही है.

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इस महालूट में मोना के साथ उसका पति और भाई शामिल थे इस महालूट में मोना के साथ उसका पति और भाई शामिल थे

सतेंदर चौहान / सुप्रतिम बनर्जी

  • चंडीगढ़,
  • 03 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

कुछ वक्त पहले एक वेब सीरीज आई थी 'मनी हाइस्ट'. जिसने पूरी दुनिया में देखा गया. हर तरफ उस वेब सीरीज की चर्चा थी. जिसमें दिखाया गया था कि कैसे एक प्रोफेसर सबसे बड़ी लूट की साजिश बुनता है और वो पहले से ही तय कर लेता है कि लूट के बाद किसे क्या-क्या करना है. उस कहानी में जुर्म का प्रोफेसर था और यहां की कहानी में थी डाकू हसीना. आइए आपको बताते हैं लुधियाना में हुए साढ़े 8 करोड़ के लूट कांड की पूरी साजिश की इनसाइड स्टोरी.

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जालसाज हसीना

एक महिला, जिसे खुद को 'वकील साहिबा' कहलाने का शौक था. एक पेंटर. एक कारपेंटर. एक कैटरर. एक मजदूर. एक एसी मैकेनिक और एक ईंट भट्टे का मजदूर तो बाकी कुछ और.पंजाब में हाल के दिनों में हुई सबसे बड़ी डकैती की वारदात में शामिल किरदारों की असलियत कुछ ऐसी ही है. ये ना तो कोई पेशेवर अपराधी हैं और ना ही कोई पुराने या छंटे हुए गैंगस्टर. बल्कि ये सभी के सभी या तो कर्ज में डूबे लोग हैं या फिर रातों-रात अमीर बनने के वो ख्वाहिशमंद, जिन्हें उनकी जरूरतों और ख्वाहिशों ने एक साथ मिला दिया और फिर तैयार हुई एक ऐसी साजिश, जिसके सिरों को सुलझाती हुई खुद पुलिस भी हैरान रह गई. 

10 जून 2023, सुबह 7 बजे, लुधियाना

ये कहानी है पंजाब के सबसे बड़े और सबसे घनी आबादी वाले शहर लुधियाना की. जहां 10 जून की सुबह सामने आई एक खबर ने एक ही झटके में पूरे के पूरे पुलिस महकमे को झिंझोड कर रख दिया. क्योंकि ये सुबह तकरीबन 9 करोड़ रुपये की डकैती की बड़ी खबर लेकर आई थी. असल में ये पंजाब के नौसिखिए अपराधियों का वो 'ऑपरेशन सीएमएस' था, जिसमें 10 से 12 लोगों के एक गैंग ने बैंकों के लिए कैश टांसपोर्टेशन का काम करने वाली कंपनी सीएमएस को लूटने की प्लानिंग की और उसमें कामयाब भी हो गए.

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पुलिस के सामने चुनौती

सुबह के 7 बजते-बजते लुधियाना पुलिस को इस डकैती की खबर मिली और इसी के साथ सभी के हाथ पांव फूल गए. वजह ये कि ये वारदात एक कैश टांसपोर्ट करने वाली कंपनी में हुई थी और ऐसी किसी जगह पर डकैती का मतलब ही करोड़ों रुपये की लूट का था. ऐसे में पुलिस के लिए इस मामले को सुलझाना जितनी बड़ी चुनौती थी, डकैतों को गिरफ्तार कर सारा का सारा कैश रिकवर करना भी उसी चुनौती का हिस्सा था.

घटनास्थल पर मिली बड़ी लापरवाही

चूंकि मामला बेहद बड़ा था, खबर मिलते ही खुद लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह सिद्धू मौका-ए-वारदात पर पहुंचे और उन्होंने पूरे सीन ऑफ क्राइम का जायजा लिया. लेकिन हर रोज करोड़ों रुपए का कैश इधर-उधर करने वाली सीएमएस कंपनी के इस दफ्तर में उन्हें सुरक्षा के लिहाज से जो लापरवाही नजर आई, उससे खुद कमिश्नर साहब भी हैरान रह गए. 

प्रोफेशनल अंदाज में डकैती

शुरुआती छानबीन के दौरान पुलिस को ये पता चल गया कि तकरीबन 10 से 12 डकैतों का गैंग दो हिस्सों में बंट कर इस दफ्तर पर धावा बोलने पहुंचा था. कुछ लोग दफ्तर के पिछले हिस्से की दीवार फांद कर अंदर दाखिल हुए, जबकि कुछ सामने से आए. खास बात ये थी कि डकैती के लिए आने के दौरान बदमाशों ने पूरे दफ्तर में लगे तमाम सेंसर्स डिएक्टिवेट किए. सीसीटीवी कैमरों के तार काट डाले और जाते-जाते अपने साथ दफ्तर में लगे कैमरों का डीवीआर भी उठा ले गए. और तो और लूटपाट के बाद डकैत जिस कैश वैन के साथ भागे, उसके भी फ्लिकर्स ऑन थे और ऐसा तभी मुमकिन था, जब इस काम में कोई इनसाइडर हो यानी कोई ऐसा शख्स शामिल हो, जिसे सीएमएस की सुरक्षा व्यवस्था की पूरी जानकारी हो.

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किसी ने इस्तेमाल नहीं किया था मोबाइल

अब पुलिस को इस मामले की छानबीन के लिए एक एंगल मिल चुका था. पुलिस ने तफ्तीश के लिए मौका-ए-वारदात पर एक्टिव सारे मोबाइल नंबरों का डंप डाटा कलेक्ट किया, लेकिन ये जान कर पुलिस हैरान रह गई कि सभी के सभी दस डकैतों में से एक ने भी वारदात के वक्त अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया और ये पुलिस के लिए एक और बड़ी चुनौती थी.

वैन बरामद होने के बाद मिला सुराग

हालांकि कुछ घंटों की तलाशी और नाकेबंदी के बाद पुलिस लावारिस हालत में पड़ी उस कैश वैन तक पहुंचने में कामयाब हो गई, जिसमें बैठ कर डकैत कंपनी के दफ्तर से भागे थे. इसके बाद पुलिस ने कैश वैन के पास वाली जगह का डंप डाटा तो निकाला ही, साथ ही अपने मुखबिरों की भी मदद ली और तब एक-एक कर पुलिस इस वारदात में शामिल गुनहगारों तक पहुंचती गई.

मास्टरमाइंड तक पहुंची पुलिस

सबसे पहले पुलिस ने लुधियाना के पास के ही एक गांव से लूट के रुपयों के साथ तीन लड़कों को दबोचा. जिन्होंने नोटों से भरा एक बैग सड़क के किनारे बनी पानी निकलने की एक जाली में छुपा रखा था. इसके बाद इनकी निशानदेही पर एक-एक कर कई डकैतों की गिफ्तारी हुई. इसी कड़ी में पुलिस मनजिंदर उर्फ मनी नाम के उस डकैत तक भी पहुंचने में कामयाब हो गई, जो खुद सीएमएस में कैश लोड करने का काम करता था. यानी जो इस वारदात को अंजाम देनेवाले दो मास्टरमाइंड में से एक था.

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नाले से निकली नोटों की गड्डियां

मनजिंदर उर्फ मनी ने लुधियाना की ही रहने वाली मंदीप कौर नाम की एक लड़की के साथ मिलकर ये पूरी साजिश रची थी. पहले पुलिस ने उसके घर से एक करोड़ रुपये बरामद किए. मनजिंदर मनी ने उसके पास और रुपये होने की बात से इनकार करता रहा. उसे लग रहा था कि वो लूट के रुपयों में से 50 लाख रुपये हड़प कर जाएगा, लेकिन जब पुलिस ने उससे सख्ती की, तो जो तस्वीरें आईं, वो हैरान करने वाली थी. उसने पुलिस से बचने के लिए नोटों की गड्डियां अपने घर के नाले में छुपा दी थीं. जिन्हें पुलिस ने धो-धो कर बरामद कर लिया.

मंदीप कौर उर्फ मोना थी गैंग की सरगना

अब बात इस केस की असली मास्टरमाइंड और उसकी पूरी साजिश की. पुलिस की मानें तो लुधिनाया के ही डेहलों की रहने वाली एक लड़की मंदीप उर्फ मोना ने इस वारदात की साजिश रची. उसने एक लड़के के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा रखा था, जिसके सिलसिले में वो कोर्ट आती जाती रहती थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात केस के दूसरे मास्टराइंड मंजिंदर सिंह मनी से हुई, जो कोर्ट में लगी एटीएम में कैश डालने आता था. यहीं से दोनों में दोस्ती हुई और फिर दोनों ने सीएमएस के दफ्तर में डाका डालने की प्लानिंग कर ली. इसके बाद चार महीने तक प्लानिंग चलती रही. दोनों ने चार-चार पांच-पांच लड़कों को साथ लेकर अपनी-अपनी टीम बनाई, पूरी तैयारी की.

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डकैती में शामिल था मोना का पति और भाई

अब प्लानिंग को अमलीजामा पहनने का वक्त आ चुका था. लिहाजा 9-10 जून की आधी रात को मंजिंदर सिंह उर्फ मनी ने मंदीप उर्फ मोना की टीम के साथ मिलकर सीएमएस के दफ्तर में धावा बोल दिया. डकैती की इस वारदात में मोना के साथ उसका पति जसविंदर सिंह जस्सा और उसका भाई भी शामिल था. मोना और जस्सा ने तय किया था कि वो डकैती में कामयाब हो जाने पर सबसे पहले हेमकुंड साहिब में जाकर मत्था टेकेगी और फिर हरिद्वार और अमरनाथ धाम होते हुए लूटे गए रुपयों से नई जिंदगी की शुरुआत करेगी.

पैदल गुरुद्वारे तक पहुंचे थे मोना और उसका पति

वारदात के बाद के इसी तय प्रोगाम के मुताबिक पति-पत्नी की ये शातिर जोड़ी हेमकुंड साहिब जा पहुंची. पुलिस को जब दोनों के हेमकुंड साहिब पहुंचने की खबर मिली, तो पुलिस भी पीछे-पीछे वहां जा पहुंची, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ में से उनकी पहचान कर उन्हें पकड़ना एक बड़ी चुनौती थी. पुलिस ने हेलीकॉप्टर सर्विस का भी पता किया, क्योंकि उसे लग रहा था कि लूट के रुपयों से वो आराम से हेलीकॉप्टर राइड करेंगे, लेकिन पता चला कि मोना और जस्सा पैदल ही 21 किलोमीटर का फासला तय कर गुरुद्वारे तक पहुंचे. हालांकि बारिश और ठंड के बीच दोनों ने अपने चेहरे ढंक रखे थे. मोना ने चेहरे पर नकाब बांध रखा था और उसके पति जस्सा ने चेहरे पर पगड़ी लपेट रखी थी.

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ऐसे पकड़ में आई डाकू हसीना

पुलिस को इतने सारे लोगों के बीच जस्सा और मोना को पकड़ना काफी मुश्किल था. इसलिए पुलिस ने उन्हें पहचानने के लिए एक जाल बिछाया और इसी जाल में वो शातिर जोड़ी फंस गई. दरअसल, पुलिस ने गुरुद्वारे के रास्ते में फ्रूटी का लंगर लगाया. ताकि लंगर में दी जाने वाली फ्रूटी पीने के लिए जैसे ही वो अपने चेहरे से नकाब हटाएं, उनकी पहचान कर ली जाए. पुलिस की प्लानिंग काम कर गई. जैसे ही दोनों ने फ्रूटी पीने के लिए नकाब हटाया, पुलिस कन्फर्म हो गई कि ये वही दोनों हैं. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गुरुद्वारे तक जाने दिया. लेकिन जैसे ही अरदास करने के बाद वो बाहर निकले, लुधियाना पुलिस की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

6 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद

अब डाकू हसीना पुलिस की गिरफ्त में आ चुकी थी. उसके पकड़े जाने के बाद तो साजिश की सारी कड़ियां खुल गईं और लूटे गए 8 करोड़ 49 लाख रुपये की रकम में से 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बरामद कर ली गई. 

ऐसे हुई थी चोरों के माल की चोरी

अब बात इसी वारदात से जुड़े एक और दिलचस्प किस्से की, जिसे सुन कर हर किसी को पंजाबी कहावत 'चोरां नू पै गए मोर' की याद आ गई. असल में सीएमएस के दफ्तर से करोड़ों रुपये लूट कर फरार होने वाली मोना एंड कंपनी के साथ तब बड़ा खेल हो गया, जब खुद उन्हीं की गाड़ी से कुछ चोरों ने उनके लूटे गए रुपये चुरा लिए. वारदात की मास्टरमाइंड मंदीप कौर उर्फ मोना ने अपनी क्रूज कार में लूटे गए तकरीबन 70 लाख रुपये रखकर उस पर कपड़ा डाल दिया था. हालांकि इसकी खबर मोना के साथी अरुण उर्फ कोच की थी. जिसने ये बात अपने एक दूसरे दोस्त नीरज को बता दी. अब नीरज लूट के 70 लाख रुपये में से अपना हिस्सा मांगने लगा. लेकिन जब अरुण ने उसे कोई भी हिस्सा देने मना कर दिया, तो नीरज ने अपने गैंग के साथ मोना एंड कंपनी को ही टार्गेट बना डाला. उसने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर क्रूज कार का शीशा तोड़ कर 70 लाख रुपये चुरा लिए. हालांकि जब मामले का खुलासा हुआ, तो पुलिस ने अरुण और उसके साथियों से उनके हिस्से के 30 लाख तो बरामद किए ही, उनकी निशानदेही पर नीरज और उसके साथियों से कार से चुराए गए 70 लाख रुपये भी बरामद कर लिए.

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मोना के भाई ने रुपयों के साथ बनाई थी रील्स

अब बात इस महालूट को लेकर सामने आई कुछ चौंकाने वाली बातों की. मोना ने लूटपाट के बाद इस साजिश में शामिल अपने छोटे भाई को करोड़ों की रकम दे दी थी. नई उम्र का ये लड़का इतने रुपये मिलने के बाद खुद पर काबू नहीं रख सका और सोशल मीडिया पर रुपयों के साथ रील्स बना कर कर शेयर करने लगा. मास्टरमाइंड मोना पुलिस की रडार पर थी ही, लेकिन जब उसके भाई ने कैश के साथ रील्स शेयर किए, पुलिस का शक यकीन में बदल गया.

मोना ने शेयर की थी हेमकुंड साहिब की तस्वीरें

इसके बाद पुलिस मोना को ट्रेस करने की कोशिश करने लगी. वारदात के वक्त तो किसी ने भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन एक बार अपने-अपने ठिकाने में पहुंचने के बाद सारे के सारे डाकू टेंशन फ्री हो गए थे और आराम से फोन पर बात कर रहे थे. इसी तरह से मोना ने हेमकुंड साहिब में माथा टेकते वक्त ना सिर्फ वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी, बल्कि वहीं से अपनी मां को भी फोन किया था.

चार महीने तक की थी प्लानिंग

पुलिस की मानें तो तीर्थ यात्रा पूरी करने के बाद मोना और उसका पति नेपाल के रास्ते भारत से बाहर भागने की तैयारी कर चुके थे. लेकिन इससे पहले ही वो धर लिए गए. वारदात को अंजाम देने के लिए मोना ने दूसरे मास्टरमाइंड मनजिंदर मनी के साथ मिलकर तकरीबन 4 महीने तक प्लानिंग की और जानबूझकर शुक्रवार की रात को ही सीएमएस के दफ्तर पर धावा बोला, क्योंकि मनी को पता था कि शुक्रवार को सीएमएस के ऑफिस में कैश बहुत बड़ी तादाद में होता है.

पुलिस टीम को 10 लाख का इनाम

एक हैरान करने वाली बात ये भी रही कि इस वारदात को अंजाम देने वाले सभी के सभी 10 डकैतों में से किसी का भी कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. इसके बावजूद इन्होंने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया. लेकिन यही बात पुलिस के लिए भी एक मुश्किल भरी बात है, क्योंकि फर्स्ट टाइमर क्रिमिनल्स को पकड़ना पुलिस के लिए ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि उनका कोई पुराना ट्रैक रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं होता. शायद यही वजह है कि सूबे के डीजीपी गौरव यादव ने सौ घंटे में पूरे मामले का खुलासा कर देने वाली पुलिस टीम को 10 लाख रुपये का इनाम देने का भी ऐलान किया है.

(लुधियाना से मुनीश अतरे का इनपुट)

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