रेकी, बैंक का नक्शा, सुराख और लॉकर में सेंध... कैश नहीं सिर्फ गोल्ड उड़ाने वाले चोरों के गैंग की पूरी कहानी

लखनऊ के चिनहट इलाके में मौजूद इंडियन ओवरसीज़ बैंक में हुई इस सबसे बड़ी मनी हाइस्ट ने पुलिस को टेंशन में डाल दिया था. गरज़ ये कि चोरों के एक गैंग ने रातों-रात बैंक की दो-दो दीवारों में छेद कर लॉकर रूम से करोड़ों की ज्वेलरी साफ कर दी थी.

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पुलिस अभी भी इस मामले में कुछ अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है पुलिस अभी भी इस मामले में कुछ अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है

संतोष शर्मा / आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ के बैंक से 42 लॉकर तोड़कर चोरों ने करोड़ों रुपये के जेवर-गहने और नकदी चुरा ली थी. अब पता चला है कि उन चोरों तक पुलिस महज एक 18 सेकंड की कॉल के ज़रिए पहुंची थी. उसी 18 सेंकड के कॉल की वजह से पता चला था कि ये चोर पड़ोसी राज्य बिहार से थे. दरअसल, बैंक करीबी मोबाइल टावर से उस रात जितने भी कॉल रिकॉर्ड किए गए थे, उनमें से सिर्फ एक कॉल बाहर की थी. जिसके ज़रिए इस मनी हाइस्ट का खुलासा हो गया.

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बैंक की दीवार में किए थे दो छेद
लखनऊ के चिनहट इलाके में मौजूद इंडियन ओवरसीज़ बैंक में हुई इस सबसे बड़ी मनी हाइस्ट ने पुलिस को टेंशन में डाल दिया था. गरज़ ये कि चोरों के एक गैंग ने रातों-रात बैंक की दो-दो दीवारों में छेद कर लॉकर रूम से करोड़ों की ज्वेलरी साफ कर दी थी और इस वारदात के बाद बैंक की सिक्योरिटी से लेकर सूबे के लॉ एंड ऑर्डर तक पर सवाल उठाये जाने लगे थे.

ऐसे पकड़ में आए चोर
लेकिन महज़ 18 सेकंड की एक कॉल ने 24 घंटे गुज़रते-गुज़रते ना सिर्फ इस मामले का खुलासा कर दिया, बल्कि वारदात से जुड़े एक आरोपी को जहां पुलिस ने अपनी गोली से ढेर कर दिया. वहीं दो आरोपियों को ज़ख्मी करने के साथ-साथ कुल 5 को गिरफ्तार भी करने में भी कामयाबी मिली. लेकिन आखिर 18 सेकंड की इस कॉल को पुलिस ने कैसे ट्रैक किया और कैसे इस छोटी सी कॉल के सहारे वो गुनहगारों तक पहुंच गई, ये कहानी कुछ कम हैरान करने वाली नहीं है. 

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सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गईं थी चोरों की तस्वीरें
21 और 22 दिसंबर की दरम्यानी रात को बैंक में सेंधमारी की खबर मिलने पर पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंच चुकी थी. वैसे तो चोरों ने बैंक में एंटर करने से पहले ही इसके अलार्म और सीसीटीवी कैमरे की तार डिस्कनेक्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन इत्तेफाक से चोरों की इस कोशिश के बावजूद एक सीसीटीवी कैमरा एक्टिव रह गया. और उसमें चोरों की तस्वीरें कैद होती रहीं. इसके अलावा बैंक के बाहर सड़क पर भी चोरों की कुछ तस्वीरें पुलिस के हाथ लगीं थीं. जिनसे पुलिस चोरों तक पहुंचने की कोशिश में थी. लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद इनकी पहचान पता करना मुश्किल हो रहा था.

पुलिस ने खंगाले 5 हज़ार नंबर 
ऐसे में पुलिस ने इलाके में मौजूद तमाम एक्टिव मोबाइल नंबरों का डंप डाटा लेने का फैसला किया. और रात 12 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे तक एक्टिव नंबरों की स्कैनिंग शुरू कर दी. इस कोशिश में पुलिस ने तकीबन 5 हज़ार नंबरों को एग्जामिन किया. सुबह ठीक सात बजे एक नंबर की एक्टिविटी ने पुलिस वालों के कान खड़े कर दिए. असल में जहां पर ये वारदात हुई, वहां के नंबर हाई कोर्ट वाले टावर से कनेक्ट होते हैं. 

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सुबह 7 बजे की गई थी एक कॉल
उस रोज़ रात को यहां बिहार से आए कई नंबर एक्टिव थे, जो मौका-ए-वारदात के करीब पहुंच कर ऑफ हो चुके थे. ऐसे में ये नंबर रडार पर थे. इन्हीं में से एक नंबर ऐसा था, जो सुबह ठीक 7 बजे ऑन हुआ और इस नंबर से लखनऊ से बिहार के मुंगेर जिले के असरगंज में एक कॉल की गई. इत्तेफाक से ये कॉल सिर्फ 18 सेकंड की थी और इसके बाद ये फोन फिर से स्विच्ड ऑफ हो गया. लेकिन बस इसी 18 सेकंड की इस कॉल से पुलिस ने ना सिर्फ इस फोन का लोकेशन ट्रेस कर लिया, बल्कि लखनऊ के ही जलसेतु तिराहे के पास इस मोबाइल के मालिक और गैंग के रिंगलीडर सोबिंद कुमार को दबोच लिया. 

एनकाउंटर में मारा गया गैंग का सरगना सोबिंद
सोबिंद ने ये कॉल बिहार में अपने एक रिश्तेदार को अपना हाल-चाल बताने लिए किया था. लेकिन यही कॉल ना सिर्फ उसके बल्कि उसके पूरे गिरोह के गले की फांस बन गई. हालांकि पुलिस की मानें तो इसके बाद सोबिंद और उसके गिरोह के दूसरे बदमाशों ने भागने की कोशिश की और इस क्रम में उन्होंने पुलिस पर गोली भी चला दी. जिस पर पुलिस की गोली से ना सिर्फ सोबिंद की जान चली गई, इसी एनकाउंटर में सोबिंद का एक साथी जख्मी हो गया, जबकि कुल 2 पकड़े गए. 

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8 किलोग्राम सोना और चांदी बरामद 
जबकि इससे पहले रिंगरोड पर हुए एक और एनकाउंटर में इस केस के एक आरोपी को जख्मी करने के साथ-साथ पुलिस ने कुल तीन आरोपियों को और पकड़ा था. यानी देखा जाए, तो अब इस केस को पुलिस ने तकरीबन सॉल्व कर लिया है और करीब 8 किलोग्राम सोने और चांदी की ज्वेलरी बरामद कर ली है. पुलिस ने फिलहाल इस केस के किंगपिन को ढेर कर ज्यादातर गुनहगारों को पकड़ तो लिया है, लेकिन ये एक अहम पहलू है कि आखिर इन बदमाशों ने चिनहट की इस शाखा को ही अपने टारगेट के तौर पर कैसे चुना? 

बिहार ले जाकर सोने का गलाना चाहते थे चोर
सूत्रों की मानें तो बदमाशों ने इस बैंक को लखनऊ अयोध्या हाईवे के करीब होने और आगे इस रोड के पूर्वांचल एक्सप्रेस वे कनेक्ट होने की वजह से टारगेट किया था. बिहार के इस गैंग को पता था कि बैंक में चोरी करने के बाद वो पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से होते हुए पहले बलिया और फिर वहां से पटना के भाग सकते हैं. लेकिन उन्हें इस बात का भी डर था कि फौरन निकलने पर तलाशी में वो पकड़े भी जा सकते हैं. इसलिए सेंधमारी के बाद उन्होंने कुछ घंटे तक चिनहट के आस-पास ही रुकने का फैसला किया. लेकिन तब तक फोन करने की गलती के चलते उनकी लोकेशन ट्रेस कर ली गई. पकड़े गए लुटेरों का इरादा चोरी किए गए सोने को यूपी में नहीं बल्कि सीधे बिहार ले जाकर गलाने का था. ताकि पकड़े जाने की आशंका कम से कम हो सके.

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चोरों को कैसे मिला बैंक का नक्शा?
हालांकि जिस एक सवाल ने अब भी लखनऊ पुलिस को उलझा रखा है, वो ये कि आखिर इन चोरों को इस बैंक के नक्शे का पता कैसे चला? चोरों ने जिस तरह से बैंक के पिछले हिस्से से सेंधमारी की, वो चौंकाने वाला है. क्योंकि बिल्डिंग के पिछले हिस्से को देख कर ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कौन सी दीवार में सेंधमारी करने से वो सीधे बैंक के अंदर खुलेगी, क्योंकि बाहर से वो दीवार दिखती भी नहीं है. ऊपर से सामने से सेंधमारी करने पर उन्हें लॉकर तक पहुंचने के लिए करीब 80 फीट की दूरी कवर करनी पड़ती, जबकि पीछे से करने पर उन्हें 25 फीट की दूरी कवर करनी पड़ी. यानी उन्हें अंदाज़ा था कि पीछे से लॉकर रूम तक पहुंचना ज्यादा आसान है. 

ऐसे दिया वारदात को अंजाम
ऐसे में सवाल ये है कि कहीं बैंक के किसी मुलाजिम ने इस मामले में इन चोरों की मदद तो नहीं की? पुलिस ने फिलहाल इस आशंका को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है. पुलिस की मानें तो दो कारों और कुछ बाइक्स में सवार होकर कुल 7 चोर शनिवार की रात को इस बैंक में पहुंचे. कारों को उन्होंने मेन रोड पर ही छोड़ दिया. सात में चार चोर सेंधमारी करने बैंक के पिछले हिस्से में पहुंचे और वहां से दीवार में छेद कर अंदर घुस गए. इनमें एक बाहर निगरानी करता रहा, जबकि तीन चोर अंदर घुस गए. इन तीनों ने अंदर घुस कर सबसे पहले सीसीटीवी कैमरे और बैंक में लगे अलार्म सिस्टम को डैमेज किया और फिर अपने काम में लग गए. 

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90 में 42 लॉकर्स ही चोरों ने तोड़े
मौका-ए-वारदात को देख कर पुलिस ने बताया कि चोर अपने साथ इलेक्ट्रिक कटर लेकर आए थे, जिससे उन्होंने एक-एक कर बैंक के 90 में से 42 लॉकर्स को काट डाला. और इस काम के लिए चोरों ने करीब चार घंटे का वक्त लगाया. चोरी से पहले बारीकी से की गई रेकी की बात सिर्फ बैंक में चोरों के एंट्री प्वाइंट को देख कर ही नहीं लगाई जा रही, लॉकर्स को काटने के उनके तरीके को देख कर भी लगाई जा रही है. वैसे तो चोरों ने 90 में 42 लॉकर्स को ही निशाना बनाया, लेकिन लॉकर रूम में मौजूद कैश बॉक्स को छुआ तक नहीं. जिसमें करीब 12 लाख रुपये रखे थे. असल में चोरों को ये अंदाजा था कि शुक्रवार को लास्ट वर्किंग डे पर काम काज के बाद बैंक से कैश मेन ब्रांच में भिजवाया जा चुका होगा, जबकि लॉकर्स के साथ ऐसा नहीं है. लिहाजा चोरों ने कैश बॉक्स छोड़ कर सीधे-सीधे लॉकर्स को ही निशाना बनाया.

DGP ने माना- चाकचौबंद नहीं थी बैंक की सुरक्षा व्यवस्था
हालांकि ये पहला मौका नहीं है, जब इस बैंक को चोरों ने निशाना बनाया है. इससे पहले भी इस बैंक में चोरी की छोटी-मोटी वारदातें हो चुकी हैं. लेकिन शायद बैंक प्रशासन ने उससे सबक नहीं ली. वैसे लॉकर रूम की फर्श से लेकर दीवार तक में कंक्रीट के साथ-साथ लोहे की चादर लगाए जाने का प्रावधान है, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. शायद यही वजह है कि खुद यूपी के डीजीपी ने भी ये माना बैंक में सुरक्षा व्यवस्था वैसी नहीं थी, जैसी होनी चाहिए थी.

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अभी भी लाखों के माल के साथ फरार हैं कुछ चोर
बहरहाल, अब बैंक में हुई इस मनी हाइस्ट के बाद ग्राहकों के होश फाख्ता हो गए हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अब उनकी जिंदगी भर की जमा पूंजी का क्या होगा? हालांकि बैंक के अधिकारियों ने अपने ग्राहकों को भरोसा बनाए रखने की बात कही है और कहा है कि उन्हें पुलिस की कार्रवाई पर यकीन है. फिलहाल, लखनऊ पुलिस ने मामले को सुलझा तो लिया है, लेकिन इस गैंग के चार बदमाश अब भी लाखों के माल के साथ फरार हैं. ऐसे में वो ज्वेलरी और कीमती चीजें कब तक पुलिस के हाथ लगेगी. लगेगी भी या नहीं, ये कोई नहीं जानता.

(साथ में मनीषा झा)

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