क्या भारत का 'डिफेंस सेक्टर' आने वाले दिनों में 'आईटी सेक्टर' जैसा बड़ा बनने वाला है. दरअसल, देश का डिफेंस सेक्टर तेजी से बदल रहा है. सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल, विदेशी और घरेलू मांग और बढ़ते निर्यात के मौकों ने इस सेक्टर की संभावनाएं बढ़ा दी हैं.
पिछले कुछ वर्षों में रक्षा बजट में भी काफी इजाफा हुआ है. रक्षा क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का विस्तार और सरकारी कंपनियों के साथ-साथ निजी कंपनियां भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. मौजूदा समय में रक्षा क्षेत्र के बढ़ते कदम को देखकर निवेशक यह सोच रहे हैं कि क्या रक्षा स्टॉक्स उन कंपनियों की तरह फलेंगे-फूलेंगे, जैसे 1990 के दशक में IT सेक्टर ने किया था.
बता दें, पिछले एक साल में डिफेंस स्टॉक्स ने जबर्दस्त रिटर्न दिए हैं. Nifty India डिफेंस इंडेक्स में करीब 20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अगर स्टॉक की बात करें तो Garden Reach Shipbuilders ने एक साल में करीब 41% का रिटर्न दिया है. Mazagon Dock के शेयर एक साल में करीब 38 फीसदी भागा है. इस दौरान Bharat Electronics के शेयर में भी करीब 38% की तेजी आई है, जबकि Bharat Dynamics के शेयर करीब 31% चढ़े हैं.
डिफेंस कंपनियों के शेयरों में तेजी के कारण
FY25 में भारत सरकार ने रक्षा पर लगभग ₹6.2 लाख करोड़ खर्च निर्धारित किया है. इसके अलावा FY26 के लिए कैपेक्स को 17-18% बढ़ाने की योजना है. डिफेंस सेक्टर को लेकर एक्सपर्ट्स इसलिए भी बुलिश हैं कि डिफेंस का एक्सपोर्ट (Export) भी तेजी से बढ़ रहा है. FY24 में भारत ने रक्षा निर्यात में लगभग ₹21,000 करोड़ का आंकड़ा छू लिया है, जो कि पिछले 7 वर्षों में करीब 10 गुना बढ़ा है.
निजी कंपनियां इस बदलाव में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. टेक्नोलॉजी के विस्तार से अगली पीढ़ी के हथियार चिप्स, कोड्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होंगे. यही नहीं, ड्रोन, अनमैनेज्ड वाहन, साइबर सुरक्षा तथा स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम जैसे क्षेत्र रक्षा-क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं.
इस बीच CA Nitin Kaushik का कहना है कि डिफेंस सेक्टर में आगे भी तेजी की उम्मीद है. रक्षा सेक्टर 2030 तक निवेशकों के लिए बहुत बड़े अवसर पेश कर सकता है. कौशिक का मानना है कि ग्लोबल टेंशन की वजह से अमेरिका, जी-7, नाटो और ब्रिक्स+ सभी सैन्य प्रभुत्व को मजबूत करने की होड़ में हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि रक्षा का मतलब सिर्फ युद्ध नहीं है, यह व्यापार सुरक्षा, संसाधन नियंत्रण और शक्ति संतुलन से जुड़ा है. उन्होंने 1990 के दशक की आईटी क्रांति से तुलना करते हुए सुझाव दिया कि 2030 के दशक तक रक्षा क्षेत्र भी 'रिटर्न' का एक प्रमुख माध्यम बन सकता है. ऐसे में क्या आने वाले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में भी TCS और इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियां होंगी.
क्या यह आईटी बूम जैसा होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये रुझान जारी रहे तो रक्षा सेक्टर 2030 तक निवेशकों के लिए जबर्दस्त अवसर साबित हो सकता है.डिफेंस सेक्टर लंबे समय तक यह सेक्टर सुस्त था, लेकिन अब निर्यात और स्वदेशी उत्पादन में उछाल साफ दिख रहा है. वहीं क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक निजी रक्षा कंपनियों का राजस्व FY25 में 16–18% बढ़ सकता है और FY22 से FY25 के बीच इस सेक्टर का CAGR लगभग 20% रहा है.
यही नहीं, क्रिसिल की एक रिपोर्ट में डिफेंस सेक्टर में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी को प्रकाश डाला गया है. ये 'मेक इन इंडिया' पहल से संभव हो पा रहा है. बढ़ती घरेलू मांग और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने वाली सरकार समर्थित नीतियों के कारण, निजी रक्षा कंपनियों को इस वित्त वर्ष में 16-18% राजस्व वृद्धि की उम्मीद है.
हालाकि आईटी सेक्टर की तुलना में रक्षा क्षेत्र के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं. यह सेक्टर आपूर्ति श्रृंखला की जटिलताओं और नीति क्रियान्वयन के जोखिमों जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन सरकार का फोकस, निजी क्षेत्र की भागीदारी और वैश्विक मांग का संयोजन रक्षा क्षेत्र को एक आकर्षक विकल्प बनाता है.
(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)
आजतक बिजनेस डेस्क