कौन-सी साजिश? धड़ाधड़ आईं ये 4 अच्छी खबरें... फिर भी ठंडा पड़ा है शेयर बाजार 

Stock Market Update: शेयर बाजार लगातार एक दायरे में कारोबार कर रहा है, जीएसटी में बड़े बदलाव के बावजूद बाजार भाग नहीं रहा है. ऐसे में अब निवेशक सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर कौन-सी ताकत है, जो बाजार की राह में रोड़ा अटका रही है. 

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भारतीय शेयर बाजार पर अच्छी खबर का भी असर नहीं. (Photo: ITGD) भारतीय शेयर बाजार पर अच्छी खबर का भी असर नहीं. (Photo: ITGD)

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST

शेयर बाजार में सोमवार को भी एक समय जबरदस्त तेजी देखी गई. लेकिन तेजी टिक नहीं पाई. पिछले करीब 100 दिनों से ऐसा ही हो रहा है. शेयर बाजार एक दायरे में सिमटा हुआ है. निवेशक सहमे हुए हैं कि आखिर अच्छी खबरों के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में तेजी टिक क्यों नहीं पा रही है.

दरअसल, कारोबार हफ्ते के पहले दिन सोमवार को सेंसेक्स (Sensex) 76 अंक चढ़कर 80787 पर बंद हुआ. लेकिन कारोबार के दौरान इंडेक्स 81,171 तक पहुंचा था. यानी ऊपरी स्तर से करीब 400 अंक फिसलकर सेंसेक्स बंद हुआ. निफ्टी का भी यही हाल है, निफ्टी महज 32 अंक चढ़कर 24773 पर बंद हुआ. पिछले काफी दिनों से निफ्टी 24800 के आसपास घूम रहा है. 

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बता दें, 26 जून 2025 को निफ्टी ने 25700 को पार किया था. उसके बाद से लगातार गिरावट का दौर चल रहा है. पिछले दो हफ्ते से Nifty 24800 अंक और 25000 अंक पर अटक रहा है. जबकि शेयर बाजार से जुड़ीं एक के बाद एक 4 बड़ी खबरें आईं. बड़े से बड़े एक्सपर्ट्स को उम्मीदें बंधीं कि अब बाजार में तेजी देखने को मिलेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. 

इन 4 अच्छी खबरों के बावजूद बाजार सुस्त... क्यों?  

1. खुदरा महंगाई दर 8 साल में सबसे कम: खुदरा महंगाई दर, जो कि सीधे तौर पर आम आदमी को प्रभावित करती है. जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर गिरकर 1.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो कि 8 साल में सबसे कम है. खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं, आंकड़ों के लिहाज से RBI के दायरे से भी महंगाई दर खिसककर नीचे पहुंच गई. लेकिन इसका बाजार पर कोई असर नहीं दिखा. 

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2. रेपो रेट में 1% तक की कटौती: जब महंगाई काबू में हैं, तो RBI ने भी रेपो रेट में कटौती का तोहफा दिया है. इस साल अब तक रेपो रेट 1 फीसदी यानी 100 बेसिस पॉइंट घट चुका है. फिलहाल रेपो रेट 5.50% पर आ गया है. रेपो रेट घटने से बैंक भी सस्ते ब्याज पर लोन देने लगते हैं. होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो गए हैं. लेकिन शेयर बाजार पर इस अच्छी खबर का कोई असर नहीं. 

3. जीडीपी में उछाल: वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) में GDP ग्रोथ रेट 7.8% रही, इतना अनुमान तो किसी ने नहीं लगाया था. अनुमान लगाया गया था कि अधिकतम 6.7 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रह सकती है. GDP में शानदार ग्रोथ के पीछे सर्विस सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान रहा. सर्विस सेक्टर ने 9.3% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की. लेकिन देश की इकोनॉमी से जुड़ी इतनी बड़ी खबर के बावजूद बाजार सुस्त पड़ा रहा है. सर्विस सेक्टर से जुड़े शेयर भी नहीं भागे. अब लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्या कारण है, जो बाजार को चलने से रोक रहा है. 

4. जीएसटी बदलाव 2025: पिछले हफ्ते जीएसटी को लेकर जितने बड़े ऐलान हुए. हर किसी को ये उम्मीद थी कि अब बाजार को कोई नहीं रोक सकता. लेकिन जिस जोश के साथ बाजार ने आगे बढ़ना चाहा, बढ़ नहीं पाया. निवेशक सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर कौन-सी ताकत है जो बाजार की राह में रोड़ा अटका रही है. 

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जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में 12% और 28% स्लैब हटाकर 5%, 18%, और 40% की नई दरें मंजूर की गईं. आवश्यक वस्तुओं जैसे कपड़े, जूते, दवाइयां, और खाद्य पदार्थ (घी, मक्खन, नमकीन) पर टैक्स 12% से घटकर 5% होगा. टीवी, फ्रिज और छोटी गाड़ियों पर टैक्स 28% से 18% होगा, जबकि स्वास्थ्य बीमा और जीवनरक्षक दवाओं पर टैक्स शून्य या 5% होगा. यह कदम आर्थिक विकास और घरेलू खपत को बढ़ावा देगा. लेकिन बाजार में इस बड़े बदलाव का कोई असर नहीं हो रहा है. आखिर कारण क्या है?
 
शेयर बाजार नहीं चलने के ये 3 बड़े कारण हो सकते हैं...

विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Outflows): बाजार में सबसे ज्यादा टैरिफ को लेकर अनिश्चितता है, इस टैरिफ की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी असर पड़ रहा है. भारत में बड़े पैमाने पर अमेरिकी निवेशक एक्टिव हैं, कुछ निवेशक इसी डर से सहमे हुए हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने हाल के महीनों में भारतीय शेयर बाजार से भारी बिकवाली की है. पिछले दो महीनों में करीब 60 हजार करोड़ रुपये की निकासी हुई, और इस साल अब तक 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली दर्ज की गई.

मुनाफावसूली और कमजोर वैश्विक संकेत: GST सुधारों की घोषणा के बाद बाजार में शुरुआती तेजी देखी गई. लेकिन निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी, जिससे बढ़त गंवानी पड़ी. इसके अलावा वैश्विक बाजारों, विशेष रूप से चीन और अमेरिका में कमजोर संकेतों (जैसे शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 1.6% की गिरावट) ने बाजार की गति को प्रभावित किया.

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हाई वैल्यूएशन और सुस्त कॉर्पोरेट आय: भारतीय शेयर बाजार का हाई वैल्यूएशन और कंपनियों की आय में सुस्ती सतर्कता की वजह बनी. जीडीपी वृद्धि 7.8% होने के बावजूद, कंपनियों की बिक्री वृद्धि इससे कम रही, जिसने बाजार के उत्साह को सीमित किया.

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