रियल एस्टेट निवेश में सुस्ती, पर ऑफिस और रेजिडेंशियल सेक्टर ने दिखाया दम

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी ऑफिस और रेजिडेंशियल एसेट्स ने अपना दबदबा कायम रखा, जिससे बाजार में निवेशकों का दीर्घकालिक भरोसा स्पष्ट झलकता है.

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रिटेल रियल एस्टेट में निवेश थोड़ा कम रहा (Photo-ITG) रिटेल रियल एस्टेट में निवेश थोड़ा कम रहा (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 में भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी (PE) निवेश में 29 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और यह कुल 3.5 बिलियन डॉलर रहा. इस गिरावट के बावजूद, निवेशकों का भरोसा ऑफिस रियल एस्टेट पर बना रहा और यह निवेश के लिए शीर्ष विकल्प के रूप में उभरा है. आंकड़ों के मुताबिक, ऑफिस संपत्तियों ने 2 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित किया, जो इस साल हुए कुल निजी इक्विटी निवेश का लगभग 58 प्रतिशत हिस्सा है.

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नाइट फ्रैंक ने अपनी रिपोर्ट 'ट्रेंड्स इन प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स इन इंडिया H2 2025' में कहा है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद निवेश का स्तर तीन साल के औसत के करीब बना रहा, जो निवेशकों के निरंतर भरोसे को दर्शाता है. कंसल्टेंसी के अनुसार, बाजार में 'पूंजी की प्रभावी लागत, एग्जिट विजिबिलिटी और मूल्यांकन जैसे तीन आपस में जुड़े आयामों में आए तीव्र बदलाव के कारण निवेशक सतर्क रहे.

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रेजिडेंशियल रियल एस्टेट दूसरा बड़ा निवेश क्षेत्र

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हालांकि जीडीपी वृद्धि, ब्याज दरों और मुद्रास्फीति जैसे व्यापक आर्थिक संकेतकों में सुधार हुआ है, लेकिन ये कारक इतनी तेज़ी से व्यवस्थित नहीं हो पाए कि पूंजी निवेश की निरंतरता को पूरी तरह सहारा दे सकें. निवेश के मामले में आवासीय रियल एस्टेट दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा, जिसकी कुल निजी इक्विटी प्रवाह में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही. 

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नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वेयरहाउसिंग सेक्टर निवेश के मामले में तीसरे स्थान पर रहा, जिसे कुल निवेश का 15 प्रतिशत हिस्सा मिला. ई-कॉमर्स के विस्तार, सप्लाई चेन के व्यवस्थित होने और मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी की वजह से इस क्षेत्र को काफी मदद मिली है. वहीं, रिटेल रियल एस्टेट में निवेश थोड़ा कम रहा और इसकी हिस्सेदारी केवल 11 प्रतिशत रही. निवेशकों ने यहां केवल उन्हीं संपत्तियों को चुना जो बड़े पैमाने, बेहतर प्रदर्शन और भविष्य में बाहर निकलने के स्पष्ट अवसरों जैसी कड़ी शर्तों पर खरी उतरीं.

भविष्य की संभावनाओं पर बात करते हुए नाइट फ्रैंक इंडिया के सीएमडी शिशिर बैजल ने कहा कि उनका मॉडल आने वाले समय में निवेश के लिए बेहतर माहौल की ओर इशारा कर रहा है. सरकारी खर्च, मुद्रा की स्थिति, महंगाई और ब्याज दरों जैसे कारकों के आधार पर यह अनुमान है कि 2026 में रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश 28 प्रतिशत बढ़कर लगभग 4.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. हालांकि, यह सुधार धीरे-धीरे होगा और निवेशक अभी भी बहुत सोच-समझकर चुनिंदा जगहों पर ही पैसा लगाना पसंद करेंगे.

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