पता है? आलू-प्याज का ताजा भाव... टमाटर के दाम सुनकर रह जाएंगे सन्न!

खाने-पीने की चीजों की महंगाई सितंबर महीने में उछलकर 9.24 फीसदी हो गई, जो इससे पिछले महीने यानी अगस्त में 5.66 फीसदी और एक साल पहले इसी महीने में 6.62 फीसदी थी.

Advertisement
Last fiscal, food inflation Last fiscal, food inflation

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

नवरात्रि खत्म होने के बाद भी टमाटर, प्याज और आलू के दाम में कमी नहीं आई है. हर रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली इन सब्जियों की ऊंची कीमतों ने लोगों के घर का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है. अगर इन जरुरी सब्जियों के दाम पर नजर डालें तो आलू की रिटेल कीमत 40 रुपये प्रति किलो है, जबकि टमाटर 100 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं प्याज की कीमत भी 60 रुपये प्रति किलो है.

Advertisement

सब्जियां महंगी... टमाटर का कहर 

ऐसे में इन तीनों सब्जियों ने ही देश की महंगाई पर काफी असर डाला है. क्योंकि टमाटर, प्याज और आलू के दाम बढ़ने से ही महंगाई दर में भी बढ़ोतरी हुई है. जिससे सितंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई. यह खुदरा महंगाई दर का 9 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. इस उछाल के साथ ही सितंबर में खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टोलरेंस बैंड 4 फीसदी के पार जा पहुंची है.

एनएसओ के डेटा के मुताबिक, खाने-पीने की चीजों की महंगाई सितंबर महीने में उछलकर 9.24 फीसदी हो गई, जो इससे पिछले महीने यानी अगस्त में 5.66 फीसदी और एक साल पहले इसी महीने में 6.62 फीसदी थी. ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर अगस्त में 4.16% के मुकाबले सितंबर में बढ़कर 5.87% हो गई. वहीं, शहरी इलाकों में यह दर अगस्त में 3.14% से बढ़कर सितंबर में 5.05% हो गई. 

Advertisement

खुदरा महंगाई दर में भारी उछाल

सप्लाई से जुड़ी समस्याएं भी रिटेल महंगाई दर के आंकड़ों पर असर डालते हैं. हाल के महीनों में टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में काफी उछाल आया है. रिटेल खाद्य और पेय पदार्थों में टमाटर, प्याज और आलू की हिस्सेदारी 4.8 फीसदी है. वहीं कुल रिटेल महंगाई दर में इनका हिस्सा 2.2 फीसदी है. इनकी कीमतों में इजाफे की वजहों की बात करें तो मौसम, स्टोरेज की समस्याएं और सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें हैं. 
 
कई बार मौमस की मार के चलते इनके उत्पादन पर असर होता है. वहीं दूसरी तरफ कोल्ड स्टोरेज की कमी और दूसरी कई समस्याएं भी इनके भंडारण के रास्ते में ब्रेकर बन जाती हैं, जिससे ये जल्दी खराब हो जाते हैं. 

वहीं फसल होने के बाद इनकी सप्लाई को लेकर भी कई बार समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जो कीमतों में उतार-चढ़ाव की एक बड़ी वजह हैं. स्टडी के मुताबिक जिस मौसम में इनकी पैदावार कम होती है, उस समय इनकी कीमत बढ़ जाती है. वहीं जिस मौसम में पैदावार ज्यादा होती है, उस समय कीमत कम होती है. 

सब्जियां महंगी होने के पीछे क्या कारण

कई बार तो किसानों को अपनी फसल तक फेंकनी पड़ जाती है, क्योंकि इन्हें सही दाम पर खरीदने वाला कोई नहीं होता. उतार-चढ़ाव वाली मांग-सप्लाई से भी इनकी कीमतों पर असर पड़ता है. 
 
हालांकि RBI की रिपोर्ट बताती है कि टमाटर, प्याज और आलू के प्रोडक्शन में तेजी से इजाफा हुआ है. 2022-23 में टमाटर का प्रोडक्शन 20.4 मिलियन मीट्रिक टन, प्याज का उत्पादन 30.2 MMT और आलू की पैदावार 60.1 MMT होने का अनुमान है. 

Advertisement

भारत अब दुनिया में टमाटर और आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसने दुनिया में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक के तौर पर चीन को भी पीछे छोड़ दिया है, 2022 में वैश्विक उत्पादन में चीन का 28.6 परसेंट का योगदान रहा है. 

अगर बात करें इनके दाम में होने वाली संभावित कमी के बार में तो अनुमान है कि अगले कुछ दिनों में टमाटर की कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलो हो सकती है. वहीं प्याज और आलू के दाम में भी गिरावट देखने को मिलेगी. इसकी वजह बाजार में आलू और टमाटर की नई फसल का आना होगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement