अमेरिका (America) के कदम से चीन (China) में खलबली मच गई. दुनिया के बाकी देश भी हैरान हैं. आखिर अमेरिका और चीन के बीच क्या चल रहा है, जहां अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चीन को छोड़कर बाकी देशों को 90 दिन की बड़ी राहत दे दी है. वहीं चीन पर टैरिफ को बढ़ाकर 125 फीसदी तक कर दिया गया है.
दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच जैसे-जैसे व्यापार युद्ध बढ़ता जा रहा है, दोनों के बीच बयानों में भी तल्खी बढ़ती जा रही है. चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 84 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जबकि अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैरिफ को बढ़ाकर 125 प्रतिशत तक कर दिया है. जिसके बाद अब चीनी मीडिया में अमेरिका के खिलाफ गुस्सा फूटा है.
'चीन को उकसा रहा है अमेरिका'
चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने अमेरिका पर हमला पर करते हुए लिखा है, 'अमेरिका उकसाने का काम कर रहा है, ताकि विश्व व्यापार व्यवस्था पर इसका असर हो.' अखबार का कहना है कि चीनी लोगों के विकास के अधिकार को छीना नहीं जा सकता. फिलहाल अमेरिका यही कोशिश कर रहा है.
चीन पर 125 फीसदी टैरिफ को ग्लोबल टाइम्स ने एकतरफा फैसला बताया है, जो कि नियम और विश्व व्यापार के खिलाफ है. भले इस कदम से अमेरिका का कुछ समय के लिए वाहवाही हो, लेकिन लंबी अवधि में ये दांव अमेरिका और ट्रंप के लिए उल्टा पड़ने वाला है. अखबार की मानें तो चीन के लोगों के अधिकार को छीनने की ये कोशिश है, यहां के लोगों को विकास से दूर करने की साजिश है, और देश अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा, 'दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अमेरिका ने लंबे समय तक विश्व व्यापार नियमों का लाभ उठाया है, लेकिन जब भी उसे आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, तो उसने इसका बोझ अन्य देशों पर थोपने का काम किया है. यह बेहद स्वार्थी और गैर-जिम्मेदाराना कदम है.'
अमेरिका का ये कदम घातक साबित होगा!
अखबार में छपा है कि अमेरिका अपने फैसले से लगभग सभी विकसित और विकासशील देशों को प्रभावित करने की कोशिश की है, और यह काम अमेरिका लंबे समय से करता आया है. कई बार तो दूसरे देशों के विकास अधिकारों पर एकाधिकार और हेरफेर करने की कोशिश भी करता रहा है. एक तरह से मानवता के साझा मूल्यों के साथ विश्वासघात भी है.
संपादकीय ने अमेरिका पर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को फिर से आकार देने की 'कल्पना' करने का आरोप लगाया, साथ ही यह भी कहा कि वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अपनी निर्भरता और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं की लचीलापन को कम आंक रहा है. चीनी मीडिया का कहना है कि 'अमेरिका फर्स्ट' के तहत किसी दूसरे देश के हितों को कुचला नहीं जा सकता. चीन चाहता है कि सभी देशों के हितों की रक्षा हो, और दुनिया एक साथ तरक्की करें.
हालांकि अमेरिकी टैरिफ का जवाब चीन भी लगातार दे रहा है. अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत टैरिफ के अलावा, चीन ने 10 अप्रैल से 12 अमेरिकी फर्मों को अपनी निर्यात नियंत्रण सूची में और 6 अमेरिकी फर्मों को अपनी अविश्वसनीय इकाई सूची में रखा है. चीन ने इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है.
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