देश में करीब 170 साल पहले पहली रेलगाड़ी चलने का गवाह बने मुंबई के ऐतिहासिक छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के कायाकल्प में अडाणी समूह, गोदरेज प्रॉपर्टीज, जीएमआर एंटरप्राइजेज समेत 10 कंपनियों की रुचि है. भारतीय रेलवे स्टेशन विकास प्राधिकरण (IRSDC) ने 1,640 करोड़ रुपये की लागत से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में इसके पुनर्विकास की परियोजना बनाई है. जानें अहम बातें
कैसे होगा री-डिवेलपमेंट
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास प्राधिकरण (IRSDC) ने इस यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज को पीपीपी मोड में री-डिवेलप करने की योजना बनाई है. 1,640 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना में मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन टर्मिनल को आधुनिक, विश्वस्तरीय रेलवे टर्मिनल के तौर पर विकसित किया जाना है. इसका री-डिवेलपमेंट DBFOT के तहत होगा. इसमें ठेका पाने वाली कंपनी स्टेशन ‘डिजाइन, बिल्ट, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर’ करेगी. परियोजना का ठेका पाने वाली कंपनी को स्टेशन के परिचालन का 60 वर्ष का लाइसेंस मिलेगा.
10 कंपनियों ने जमा किए आवेदन
अडाणी समूह की अडाणी रेलवेज ट्रांसपोर्ट लिमिटेड समेत 10 कंपनियों ने इस परियोजना में रुचि दिखाई है. आवेदन जमा करने वालों में जीएमआर एंटरप्राइजेज, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट्स, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन, एंकरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट्स होल्डिंग्स, ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, मॉरिबस होल्डिंग्स, गोदरेज प्रोपर्टीज, कीस्टोन रियलटर्स और ओबेरॉय रियल्टी शामिल हैं.
पिछले साल अगस्त में मंगाए थे आवेदन
IRSDC ने पिछले साल 20 अगस्त को इस परियोजना के लिए पात्रता आवेदन (Request For Qualification-RFQ) मंगाए थे. पीटीआई की खबर के मुताबिक IRSDC के सीईओ और एमडी एस. के. लोहिया ने कहा कि कुल 10 कंपनियों की बोली को शॉर्टलिस्ट किया गया है. अब इनमें से जो हमारी शर्तों पर खरी उतरेगी, उन्हें चार महीनों के भीतर डीपीआर के बाद प्रस्ताव देने के लिए कहा जाएगा. लोहिया ने दिसंबर तक परियोजना का ठेका देने की प्रक्रिया पूरी करने और चार साल के भीतर विभिन्न चरणों में इसका री-डिवेलपमेंट पूरा करने की बात कही.
देश में पहली ट्रेन चलने का गवाह
देश में पहली यात्री ट्रेन 1853 में मुंबई के बोरी बंदर रेलवे स्टेशन से ठाणे के बीच चलायी गई. बाद में बोरी बंदर रेलवे स्टेशन को विकसित कर विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) बना दिया गया. विक्टोरिया टर्मिनस का डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स ने 1878 में किया था. बाद में 1996 में इस स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) कर दिया गया.
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