टेलीकॉम कंपनियों को 40 हजार करोड़ के बकाये पर मिलेगी राहत! स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज की समीक्षा करेगी सरकार 

Relief to telecom companies: सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दूरसंचार विभाग (DoT) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह टेलीकॉम के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार/समीक्षा कर रही है. विभाग ने तीन हफ्ते का समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है.

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टेलीकॉम कंपनियों को राहत देने की तैयारी (फाइल फोटो) टेलीकॉम कंपनियों को राहत देने की तैयारी (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 05 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST
  • कंपनियों पर 40 हजार करोड़ का बकाया
  • विवाद होने पर शुरू हुई थी मुकदमेबाजी

केंद्र सरकार टेलीकॉम कंपनियों को करीब 40,000 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज के बकाया मामले में राहत देने की तैयारी कर (Relief to telecom companies) रही है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफानामा दायर कर कहा है कि वह टेलीकॉम कंपनियों से स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज (SUC) वसूलने कि प्रक्रिया की समीक्षा कर रही है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने इसके लिए कोर्ट से कम से कम तीन हफ्ते की मोहलत मांगी थी जिसे कोर्ट ने दे दी है. 

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इस मामले की सुनवाई अगली सुनवाई अब 17 नवंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दूरसंचार विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार/समीक्षा कर रही है. 

कैबिनेट ने दिए थे संकेत 

स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज के लिए टेलीकॉम कंपनियों पर सरकार का 40,000 करोड़ रुपये बकाया है. गौरतलब है कि गत 15 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने कहा था कि स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज को युक्तिसंगत बनाया जाएगा और अब मासिक के बजाय दरों की वार्षिक चक्रवृद्धि होगी.

वन टाइम स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज (OTSUC) चुकाने पर देरी के लिए टेलीकॉम कंपनियों को दंडित करने के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए विभाग तैयारी कर रहा है. विभाग का कहना है कि टेलीकॉम कंपनियों पहले से ही आर्थ‍िक रूप से काफी परेशान हैं और अब किसी और मुकदमेबाजी से उन पर वित्तीय बोझ और बढ़ेगा. 

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क्या है मामला 

असल में दिक्कत तब शुरू हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में 2जी घोटाले के मामले में 122 टेलीकॉम परमिट रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस सार्वजनिक एसेट को नीलामी के द्वारा आवंटित होना चाहिए. तब तत्कालीन कैबिनेट ने निर्णय लिया कि अख‍िल भारतीय लाइसेंस के लिए किसी स्पेक्ट्रम आवंटन पर टेलीकॉम कंपनी से 1,658 करोड़ रुपये का एकमुश्त स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (OTSC) लिया जाएगा.

पहले यह चार्ज सब्सक्राइबर की संख्या से जुड़ा था. लेकिन यूपीए सेकंड की सरकार में इस नीति में बदलाव कर कहा गया कि 4.4 Mhz से ज्यादा के सभी स्पेक्ट्रम पर बाजार दर से यूजर चार्ज लिया जाएगा. इसमें पिछले साल के बकायों पर विवाद हुआ और टेलीकॉम कंपनियों ने इसका विरोध किया. यह मसला दूरसंचार विवाद अपील ट्राइब्यूनल (TDSAT) के पास पहुंचा जिसने जुलाई 2019 में यह आदेश दिया कि कंपनियों से पिछले वर्षों का बकाया नए नियम से नहीं लिया जा सकता और यह आगे की तिथ‍ि से ही लागू होगा. 

इस आदेश को दूरसंचार विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. अब सरकार मौजूदा स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज व्यवस्था को खत्म कर इस मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाना चाहती है. सूत्रों का कहना है कि इसके लिए इनकम टैक्स विभाग के 'विवाद से विश्वास' (VSV) जैसी स्कीम लाई जा सकती है. गौरतलब है कि इसके पहले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के बकाया वसूली पर भी सुप्रीम कोर्ट और सरकार से टेलीकॉम कंपनियों को राहत मिली है. 

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