बहुत जल्द ऐसा होने वाला है, जब शेयर बेचने के तुरंत बाद ही पैसा आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा. अभी शेयर बेचने के एक दिन बाद पैसा खाते में जमा होता है. लेकिन अब ये सिस्टम बदलने वाला है. मार्केट रेगुलेटरी बॉडी सेबी (SEBI) ट्रेडों को तुरंत निपटाने के सिस्टम पर काम कर रहा है. इस सिस्टम को T+0 कहा जाता है. यानी शेयर बेचने के तुरंत बाद आपके खाते में पैसे आएंगे. इसमें एक दिन का वक्त नहीं लगेगा. ये जानकारी सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरीबुच ने दी है. फिलहाल T+1 का सिस्टम लागू है.
तुरंत ट्रांजैक्शन पर जारी है काम
माधवी पुरीबुच ने कहा कि सेबी ने निपटान की समयसीमा को घटाकर एक दिन कर दिया है. वह इसे और भी कम करने पर विचार कर रही है और तुरंत ट्रांजैक्शन का निपटान ज्यादा दूर नहीं है. हम वर्तमान में उस पर काम कर रहे हैं. समय के साथ, सेबी इक्विटी जारी करने, म्यूचुअल फंड द्वारा नई योजनाओं और अन्य फंड जुटाने की गतिविधियों को मंजूरी देने में लगने वाले समय को कम करने पर काम कर रहा है. इस प्रक्रिया में तकनीकी उपकरण सबसे बड़ी मदद रहे हैं.
बदलाव की निगरानी कर रहा सेबी
उन्होंने कहा कि इस तरह के हस्तक्षेप से निवेशक समुदाय को सालाना आधार पर 3,500 करोड़ रुपये का मौद्रिक लाभ हुआ है. माधवी पुरीबुच ने कहा कि सेबी कई पहलुओं पर बदलाव के समय की निगरानी कर रहा है और कदम उठा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत पहली इकोनॉमी है, जो अपने सभी शेयरों के लिए T+1 व्यवस्था को लागू कर दिया है. इस कदम से निवेशकों के लिए सिस्टम में लगभग 10,000 रुपये की अतिरिक्त रकम फ्री करने में मदद मिली है.
उन्होंने बताया कि अभी दुनिया के ज्यादातर मार्केट T+2 व्यवस्था पर काम करते हैं. जबकि भारत T+1 सिस्टम के साथ उनसे आगे हैं. बता दें कि इस सिस्टम को इस साल के जनवरी के आखिरी में लागू किया गया था.
निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?
अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं, तो जाहिर है आपके पास डीमैट अकाउंट होगा. मौजूदा समय में अगर आप कोई शेयर खरीदते हैं, तो वो 24 घंटे में आपके अकाउंट में क्रेडिट होता है. क्योंकि फिलहाल T+1 नियम लागू है. T+0 व्यवस्था के लागू होने के बाद शेयर तुरंत आपके खाते में क्रेडिट हो जाएंगे.
वहीं, अगर आप शेयर बेचते हैं, तो उसके पैसे भी आपके अकाउंट में तुरंत जमा हो जाएंगे. इस नियम के लागू होने के बाद मार्केट में नकदी अधिक मात्रा में उपलब्ध हो सकेगी. मार्केट के जानकारों का मानना है कि अधिक नकदी उपलब्ध होने से निवेशक ज्यादा मात्रा में खरीद-बिक्री कर पाएंगे, इससे बाजार का वॉल्यूम बढ़ेगा.
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