देश के हर व्यक्ति को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. कोई ज्यादा टैक्स देता है, तो कोई कम Tax का पेमेंट करता है. अलग-अलग कैटेगरी के तहत लोगों को टैक्स भरना होता है, जिसे समझना सभी के लिए आसान नहीं होता. किसपर कितना टैक्स लगेगा, कौन सी इनकम टैक्स छूट में आती है और आपको अपने सालाना इनकम पर कितना इनकम टैक्स के तौर पर चुकाना होगा?... ये सभी सवाल अक्सर टैक्सपेयर्स को मुश्किल में डालते हैं.
वहीं अगर टैक्स छूट का लाभ उठाना हो तो इसका कैलकुलेशन (Tax Calculation) करना और भी ज्यादा कठिन हो जाता है और अगर आपने टैक्स छूट के लिए क्लेम नहीं किया तो आपको रिफंड के तौर पर मिलने वाली रकम भी नहीं मिलेगी. ऐसे में टैक्स छूट के साथ कैलकुलेशन को भी समझना बेहद जरूरी है. हालांकि आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं, बल्कि यहां एक ऐसा तरीका बताया जा रहा है, जिससे आसानी आप अपने इनकम पर टैक्स की गणना कर सकते हैं.
कैसे कैलकुलेट करें अपनी टैक्सेबल इनकम?
भारत में अपनी कुल टैक्स योग्य इनकम के बारे में जानने के लिए कई स्टेप हैं, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर आप अपनी टैक्सेबल इनकम को ज्यादा से ज्यादा कम कर सकें. साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने में भी आसानी हो.
ग्रॉस सैलरी
सबसे पहले अपनी ग्रॉस इनकम के बारे में जानना चाहिए. अगर आप कई जगहों से इनकम कर रहे हैं तो सभी को कैलकुलेट करें और ग्रॉस इनकम निकाले. वहीं अगर सैलरीज्ड एम्प्लाई हैं तो आपकी बेसिक सैलरी, अलाउंसेज, बोनस और दूसरे टैक्सेबल कंपोनेंट्स जोड़कर ग्रॉस इनकम निकाल लें.
टैक्स छूट
अब बारी आती है टैक्स छूट की, किसी व्यक्ति की सैलरी में कई कंपोनेंट्स को इनकम टैक्स से छूट दी गई है. इनमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), स्टैंडर्ड डिडक्शन और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) जैसी चीजें शामिल हैं. ऐसे में आपको सबसे पहले यह चेक करना चाहिए कि आपकी इनकम कहीं छूट के दायरे में तो नहीं आ रही है और अगर हां तो उसे ग्रॉस इनकम से हटा दें.
कटौती यानी डिडक्शन
टैक्स छूट के अलावा, डिडक्शन (Tax Deduction) एक ऐसा तरीका है, जिससे तहत आप अपने टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं. आयकर अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत कुछ कटौती पेश की जाती हैं. सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सबसे आम कटौती में पीएफ या इंश्योरेंस जैसे अलग-अलग निवेशों के लिए धारा 80C, होम लोन और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए धारा 80D शामिल हैं.
कितना होगा टैक्सेबल इनकम
ये सभी प्रोसेस फॉलो करने के बाद आपको पता चल जाएगा कि आपके कितने इनकम पर टैक्स लगेगा. आप अपनी इनकम पर लागू कुल इनकम टैक्स की कैलकुलेशन अलग-अलग टैक्स स्लैब के आधार पर कर सकते हैं. इसके बाद आपको पता चल जाएगा कि आपकी टैक्सेबल इनकम 10, 20, 30 या 50 हजार रुपये है. बता दें न्यू टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख तक की सालाना इनकम पर टैक्स छूट है, जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत कुल छूट 5 लाख रुपये है.
आईटीआर
अगर आप टैक्स कट चुका है और आपकी ग्रॉस इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो आप इनकम टैक्स रिटर्न भरके रिफंड के लिए क्लेम कर सकते हैं. कुछ दिन के बाद आपका कटा हुआ पैसा आपके अकाउंट में आ जाएगा.
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